The Mehta Boys Review: बोमन ईरानी की नई फिल्म द मेहता ब्वॉयज (The Mehta Boys) रिलीज कर दी गई है। इस फिल्म को इन्होंने बतौर निर्देशक करियर की शुरुआत की है। फिल्म बाप-बेटे के रिश्ते के साथ-साथ बाकी के रिश्तों को बिना किसी ड्रामे के पेश करती है। फिल्म में एक्टिंग में भी ज्यादातर स्टार्स ने बेहतरीन काम किया है। अगर आप इस फिल्म को देखने जाने का प्लान बना रहे हैं तो हमारे द्वारा किए गए इस रिव्यू को जरूर पढ़ लें…
परिवार के रिश्तों में फंसे लोग
अक्सर घरों में पिता और बेटे के बीच दूरियां बन जाती हैं। पिता समझना नहीं चाहता कि बेटा बड़ा हो गया है, और बेटा यह मानने को तैयार नहीं होता कि पिता की हर सीख में उसकी भलाई है। दोनों के रिश्ते के बीच मां, बहन और पत्नी फंस जाती है। बोमन ईरानी की फिल्म “मेहता ब्वॉयज” इसी रिश्ते के बारे में है। इनके रिश्ते की जर्नी को दिखाया जाता है।
अमय और उसके पिता शिव की कहानी
फिल्म में अमय मेहता (अविनाश तिवारी) शानदार आर्किटेक्ट होते हैं लेकिन उनके पास कॉन्फिडेंस की कमी होती है। उनकी गर्लफ्रेंड जोया (श्रेया चौधरी) उसकी ताकत बनने की कोशिश करती है, लेकिन अमय को अपने पिता से सपोर्ट चाहिए होता है। इसी बीच उसे खबर मिलती है कि उसकी मां का निधन हो गया है। जब वह अपने पिता शिव मेहता (बोमन ईरानी) से मिलने पहुंचता है, तो पिता-पुत्र के बीच के रिश्ते की गहराई समाने आती है।
मां के जाने के बाद बिखरता परिवार
शिव मेहता पत्नी को खोने के बाद टूट जाते हैं लेकिन फिर भी बेटे से कोई इमोशनल जुड़ाव नहीं दिखाते। अमय अपनी बहन अनू (पूजा सरूप) के साथ मिलकर पिता से दूरी कम करने की कोशिश करता है। अनू जल्द ही अमेरिका जाने वाली होती है। इसके बाद शायद पिता-पुत्र का फिर कभी मिलना न हो। इसी दौरान परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती हैं कि शिव को कुछ समय के लिए अमय के मुंबई वाले घर में रुकना पड़ता है। यहीं से शुरू होती है “मेहता ब्वॉयज” की असली कहानी।
बिखरे घर के साथ बिखरे रिश्ते और इमोशंस
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और सेट डिजाइन पिता-बेटे के रिश्ते को बारीकी से पेश करता है। बिखरा हुआ घर अमय के असमंजस को दिखाता है। छत से टपकती बूंदें रिश्ते में दरार और जरूरतों को दिखाती है। टूटी छत से दिखता आसमान नए सोच और संभावना का प्रतीक बनता है। प्लास्टिक शीट का उड़ना मां के उस आंचल की याद दिलाता है, जो अब भी पिता-पुत्र को जोड़कर रखे हुए है। फिल्म की सबसे बड़ी खूबसूरती इसके संवादों से ज्यादा खामोशी में छिपे इमोशंस हैं। फिल्म में कई ऐसे सीन होते हैं जैसे-शिव और जोया की मुलाकात। मुंबई की बारिश में बिजली गुल होने पर बालकनी में पिता-पुत्र का साथ में ड्रिंक लेना। अमय के गाड़ी चलाने पर शिव का हैंड ब्रेक कसकर पकड़ लेना, जो दर्शाता है कि वे अब भी अपने बेटे की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
फिल्म में पिता-पुत्र के रिश्ते को सुधारने का कोई ठोस तरीका नहीं बताया गया है। यहां तक कि कहानी के अंत में भी शिव अमेरिका जाने का फैसला कर लेते हैं। लेकिन यही “मेहता ब्वॉयज” की खासियत है जैसे जिंदगी हमेशा हमारी सोच के मुताबिक नहीं चलती, वैसे ही यह कहानी भी पूरी तरह प्रेडिक्टेबल नहीं है।
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लेखन, निर्देशन और परफॉर्मेंस
फिल्म में बोमन ईरानी ने एलेक्जेंडर डिनलेरिस जूनियर के साथ मिलकर इस फिल्म की कहानी लिखी है। इसके डायरेक्शन की बात करें तो बोमन ईरानी की पहली फिल्म है जिसे उन्होंने बखूबी संभाला है। अविनाश तिवारी ने अमय के किरदार में बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है। पूजा सरूप ने बहन के किरदार में प्रभावी अभिनय किया है, खासकर एयरपोर्ट वाले सीन में। श्रेया चौधरी की एक्टिंग भी काफी मजेदार है।
देखें या नहीं?
“मेहता ब्वॉयज” उन परिवारों की कहानी है, जहां पिता और बेटे के बीच का अहंकार रिश्तों को कमजोर बना देता है। यह फिल्म इमोशंस, रियलिस्टिक परफॉर्मेंस और बेहतरीन सिनेमैटोग्राफी के लिए जरूर देखी जानी चाहिए। इससे पिता और बेटे के बीच छुपे हुए इमोशंस और गहराई के बारे में समझ मिलती है।
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