Lok Sabha Election 2024 Raj Babbar: राज बब्बर (Raj Babbar) का फिल्मी सफर तो शानदार ही रहा। उनका सियासी सफर भी उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। कभी सफलता का स्वाद चखा तो कभी असफलता का कड़वा घूंट भी पीना पड़ा। इस बार भी अभिनेता का सियासी सफर उड़ान भरने से वंचित रह गया। जी हां इस बार साइबर सिटी गुरुग्राम (Cyber City Gurugram) से कांग्रेस (Congress) की सीट से लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election Result 2024) लड़ने वाले राज बब्बर को भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे बीजेपी (BJP) के वरिष्ठ नेता राव इंद्रजीत सिंह ने करारी शिकस्त दी है। आइए जानते हैं वो 5 कारण जो राज बब्बर की जीत के आगे रोड़ा बने।
1. साइबर सिटी गुरुग्राम के लिए थे नया चेहरा
राज बब्बर राजनीति में आज से तो हैं नहीं उनका राजनीतिक सफर बहुत पुराना है। लेकिन इस बार हार की बड़ी वजह उनका साइबर सिटी गुरुग्राम से लोकसभा चुनाव लड़ना था। वहां के लोगों के लिए वो नया चेहरा थे, ऐसे में जल्दी से भरोसा करना सभी के लिए थोड़ा मुश्किल था।
2. अपोजिट कैंडिडेट था दमदार
हालांकि राज बब्बर कोई छोटा नाम तो है नहीं। लेकिन बात बीजेपी के वरिष्ठ नेता राव इंद्रजीत सिंह की करें तो उनके आगे राज बब्बर का ठहरना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। और हुआ भी वही राव इंद्रजीत सिंह ने अभिनेता से राजनेता बने राज बब्बर को भारी मार्जिन से करारी शिकस्त दी।
3. लोगों से इंटरैक्शन की कमी
इस बात में तो कोई दो राय नहीं कि हर कोई यही चाहता है कि उनके क्षेत्र से वही सांसद बने जो उनसे कहीं न कहीं जुड़ा हुआ हो। जाहिर सी बात है कि जमीनी स्तर का नेता होगा तो हमारे और आपके हित के लिए सोचेगा। लेकिन राज बब्बर के साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। ताज नगरी आगरा में जन्में और माया नगरी मुंबई में अपना करियर बनाने वाले अभिनेता का गुरुग्राम से कोई कनेक्शन तो है नहीं, जो उनकी हार का बड़ा कारण है।
4. अपना पुराना गढ़ छोड़ना पड़ा भारी
राज बब्बर का दबदबा उत्तर प्रदेश की जमीन पर था। लेकिन इस बार वो अपना भाग्य आजमाने के लिए गुरुग्राम की सीट पर चुनाव लड़े। लेकिन उनका ये फैसला कहीं न कहीं उनकी हार का कारण बना। हालांकि वो बीते 3 बार से लगातार हार रहे हैं, लेकिन इस बार अगर वो अपनी पुरानी सीट से ही लड़ते तो हो सकता था कि जीत उनके नाम होती।
5. अच्छे एक्टर तो रहे लेकिन राजनेता नहीं
राज बब्बर की एक्टिंग की जितनी तारीफ करें उतनी कम है। उन्होंने अपने एक्टिंग सफर में हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक अच्छी फिल्म दी। लेकिन वो उतने अच्छे राजनेता बन नहीं उबर पाए। ऐसे में अगर हम ये कहें कि उनकी हार के पीछे की एक बड़ी वजह ये भी हो सकती है तो गलत तो ना होगा।
कब शुरू हुआ राजनीतिक सफर
राज बब्बर का एक्टिंग करियर तो बेहद शानदार रहा उन्होंने अपने फिल्मी सफर में इंसाफ का तराजू, आज की आवाज जैसी कई शानदार फिल्मों से एक अलग पहचान बनाई। वहीं राजनीति में भी हाथ आजमाने से वो पीछे नहीं रहे। राज बब्बर ने अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत साल 1989 में जनता दल से की थी। उस समय ये दल चौथा नेशनल दल था जिसकी अगुवाई विश्वनाथ प्रताप सिंह ने की थी।
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