Pawan Singh Karakat Seat Result 2024: राजनीति में भोजपुरी सितारों का अपना एक अलग ही रुतबा है, चाहे फिर वो मनोज तिवारी हो या फिर रवि किशन हो या दिनेश लाल यादव जिन्हें आप निरहुआ के नाम से जानते हैं। भोजपुरी सिनेमा के पावर स्टार कहलाने वाले पवन सिंह पर इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में हर किसी की नजरें टिकी थी। पवन सिंह (Pawan Singh) वो नाम है, जिन्होंने अपने दम पर भोजपुरी इंडस्ट्री में खास पहचान बनाई और अब राजनीति में भी वो बागी नेता बन उभरे हैं। बिहार की काराकाट सीट से पवन सिंह चुनाव हार गए हैं और उनकी पावर स्टार की हार के 5 कारण हम आपको बताने जा रहे हैं।
बीजेपी से बगावत का खामियाजा (Pawan Singh Karakat Seat Result 2024)
बीजेपी ने पवन सिंह को पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से टिकट दिया था। मगर पावर स्टार ने उसे वापस कर दिया था, जिसके कुछ दिनों बाद ही उन्होंने काराकाट सीट (Karakat Seat Result 2024) से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर हर किसी को चौंका दिया था। मगर पवन सिंह ने जिस उम्मीद से बीजेपी की टिकट वापस करके निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था। पवन सिंह को बीजेपी में रहकर बीजेपी को बागी तेवर दिखाने की वजह भी चुनाव में भारी नुकसान हुआ है और पवन सिंह को बीजेपी से निकाले जाने के बाद बीजेपी समर्थकों के भी वोट नहीं मिले है। यूपी की हाईप्रोफाइल सीट पर काराकाट पर एनडीए उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा को बीजेपी का सपोर्ट था, उसके बावजूद पवन सिंह का उस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला भी उनके ही खिलाफ साबित हुआ है।
राजनीति में अनुभव की कमी
पवन सिंह पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरे हैं और यह उनका पहला चुनाव था। ऐसे में राजनीति के दांवपेंच की कमी भी उनकी हार का एक बड़ा कारण बनी है। पवन सिंह ने जनता के बीच काफी चुनाव प्रचार किया, मगर ना तो उन्हें किसी बड़े नेता का सपोर्ट मिला। सियासत में कमी की वजह से पवन सिंह को इस बार लोकसभा चुनाव में भारी नुकसान हुआ है, स्वतंत्र लड़ने की वजह से वो बीजेपी से भी हाथ धो बैठे और चुनाव में भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। लोकसभा जैसे चुनाव में जीत का डंका बजाने के लिए प्रत्याशी को सियासी दावपेंच की अच्छी समझ भी होनी चाहिए।
स्टारडम नहीं आया काम (Pawan Singh Karakat Seat Result 2024)
पवन सिंह काराकाट सीट पर तीसरे नंबर पर आए हैं और चुनाव में उनका स्टारडम कोई काम नहीं आया है। कुशवाहा दूसरे नंबर पर रहे हैं। ऐसे में इन दोनों के वोट बंट गए है, जिसका फायदा तीसरे को हो गया है। पवन सिंह के साथ भोजपुरी एक्टर खेसारी लाल यादव ने भी उनका चुनाव प्रचार किया था। मगर काराकाट की सीट ने भोजपुरी स्टार को नकार दिया है और उन्हें चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ गया है।
निर्दलीय लड़ने का नुकसान
भोजपुरी पावर स्टार पवन सिंह ने बीजेपी से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। मगर उनको इसका कोई फायदा नहीं मिला। बल्कि वो सिर्फ कुशवाह के वोट काटने में ही कामयाब हुए। पवन सिंह को काराकाट में पिछड़ी जाति के लोगों ने भी वोट नहीं दिए हैं क्योंकि वो राजपूत हैं। इस वजह से भी एक्टर को वोट कम मिले हैं और उन्हें इन सभी वजहों से हार का मुंह देखना पड़ा।
कमजोर कार्यकर्ता की कमी
पवन सिंह की हार का एक बड़ा कारण जमीनी स्तर पर देखने को मिली। उनकी रैली और जनसभा में तो फैंस की भीड़ उन्हें देखने के लिए उमड़ रही थी। मगर कमजोर कार्यकर्ता की वजह से पवन सिंह को लोकसभा चुनाव में भारी नुकसान पहुंचा है। हैलीकॉप्टर और लग्जरी गाड़ियों से चुनाव प्रचार तो पवन सिंह ने भर-भरकर किया। लेकिन जमीनी स्तर पर वो लोगों से जुड़ नहीं पाए।
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