Netflix Movie Do Patti: सस्पेंस और थ्रिलर फिल्मों का दर्शकों के बीच अलग ही क्रेज देखने को मिलता है और विक्रांत मेसी की फिल्म ‘सेक्टर 36’ जैसी कुछ फिल्मों ने थ्रिलर मूवीज का ग्राफ कई गुना बढ़ा दिया है। ऐसे में 25 अक्टूबर को नेटफ्लिक्स पर काजोल और कृति सेनन की फिल्म ‘दो पत्ती’ आई। मूवी के ट्रेलर को देखकर दर्शकों के बीच इसे लेकर एक अलग जोश था, मगर फिल्म देखने के बाद लोग अपना माथा पकड़ने पर मजूबर हो जाएंगे। आइए बताते हैं कि कृति काजोल और शहीर शेख की फिल्म ‘दो पत्ती’ की 5 कमियां, जिसकी वजह से फिल्म फीकी पड़ गई।
‘दो पत्ती’ की 5 कमियां
क्लियर नहीं मूवी की सेंट्रल थीम
‘दो पत्ती’ हो या फिर कोई भी फिल्म वो एक सेंट्रल थीम पर बनाई जाती है और शुरुआत से लेकर एंड तक मूवी अपनी सेंट्रल थीम के इर्द-गिर्द ही घूमती है। मगर कृति सेनन की बतौर प्रोड्यूसर पहली फिल्म ‘दो पत्ती’ इस मामले में कमजोर पड़ गई। मूवी के ट्रेलर और शुरुआत में ऐसा ही लगता है कि यह दो बहनों की जलन और आपसी रंजिश की कहानी है, मगर फिर कहानी किसी दूसरी ही डायरेक्शन में चली जाती है। जी हां, अगर आप भी यह सोच रहे हैं कि डबल रोल में नजर आने वाली कृति इस मूवी की विलेन हैं, तो नहीं। फिल्म घरेलू हिंसा पर बनी है, जिसके विलेन शहीर शेख हैं। फिल्म का नाम ‘दो पत्ती’ है और यह मूवी भी कुछ वैसी ही है, जैसे दो अलग चीजों को मिलाने की कोशिश मेकर्स द्वारा की गई है।
एक्सेंट बना सिरदर्द
कृति सेनन ने अपने दोनों किरदारों को बखूबी निभाने की कोशिश की है। फिल्म में पुलिस अफसर के किरदार में काजोल हैं, जो कभी बहुत चुलबली हैं और फनी है। दूसरे ही पल वो काफी सीरियस हो जाती है। मेकर्स ने काजोल के रोल को बहुत ही अजीब बना दिया है, जिसमें एक्ट्रेस बिल्कुल फिट नहीं बैठीं। इसके अलावा काजोल को एक खास एक्सेंट फिल्म में दिया गया है, जो अलग ही सिरदर्द बन जाता है। काजोल ने आजतक ऐसा कोई एक्सेंट पहले नहीं बोला है और इस वजह से उन हरियाणवी बोली कुछ खास जम भी नहीं रही है।
यह भी पढ़ें: पद्मभूषण भोजपुरी सिंगर की हालत नाजुक, हाल ही में पति का हुआ था निधन
नया अंदाज पुरानी कहानी
‘दो पत्ती’ की ओवर ऑल बात करें तो डबल रोल, बहनों की जलन और प्यार.. यह सब कई बार हिंदी फिल्मों में देखा जा चुका है। इसके अलावा डोमेस्टिक वायलेंस को दिखाती कई बॉलीवुड फिल्में आ चुकी हैं। उनमें से एक तापसी पन्नू की फिल्म थप्पड़ भी थी, जिसे लोगों ने पसंद किया था। मगर डोमेस्टिक वायलेंस की सारी हदें ‘दो पत्ती’ में मेकर्स ने दिखा दी है, जो शायद कुछ ज्यादा हो गया है। फिल्म को देखकर आपको कोई नयापन नजर नहीं आता है और यह इस फिल्म की सबसे बड़ी कमी है।
विलेन के रोल में फीके लगे शहीर
टेलीविजन सीरियल में रोमांटिक कॉलेज बॉय बनकर ‘अनंत’ बन डेब्यू करने वाले एक्टर शहीर शेख काफी शानदार एक्टर हैं, मगर उनकी इमेज क्यूट बॉय वाली ही है। मगर ‘दो पत्ती’ में तो उन्हें विलेन बना दिया है और इस रोल में बिल्कुल नहीं जच रहे हैं। मेकर्स ने एक तो उनको विलेन दिखाने के लिए बॉलीवुड फिल्मों के विलेन की तरह गर्दन टेढ़ी करके धीमी आवाज़ में बोलना काफी बोरिंग लगता है।
फिल्म के लूपहोल्स
थ्रिलर फिल्म ‘दो पत्ती’ की कहानी अगर आप थोड़ा फोकस के साथ देखते हैं, तो पूरी कहानी पहले ही खुल जाती है। ऐसे में फिल्म में कुछ सस्पेंस नहीं रहता है, जिसके लिए कोई फिल्म के क्लाइमेक्स तक जाए। पुलिस बनी काजोल जांच करती है और बिना परमिशन के ही कही भी घुस जाती है और इतना ही नहीं उसे केस मिला भी नहीं होता है। उसके बावजूद वो सरकारी खर्चों पर उत्तराखंड से हरियाणा चली जाती है। इस तरह के कई लूपहोल्स फिल्म में मौजूद हैं।
यह भी पढ़ें: रानी चटर्जी ने आम्रपाली दुबे के लिए डाली पोस्ट, कहा- वो आई… मैं सारा दर्द भूल गई…