Laapataa Ladies Review: अभी तक न जानें कितनी ही फिल्में पति-पत्नी के रिश्तों के ऊपर बन चुकी हैं। इसके की सारे एग्जांपल हैं जैसे राजनीति पर बनी जोधा-अकबर की कहानी। या फिर बीवी को खो देने के गम पर आधारित बदलापुर हो। आप पैड मैन को भी इस लिस्ट में शामिल कर सकते हैं जिसमें अपनी बीवी की सेहत के लिए पति सारे जमाने की बातें सुनता है। वहीं अब इस कड़ी में एक नाम और जुड़ गया है, जो है किरण राव की मूवी लापता लेडीज (Laapataa Ladies)। बड़े पर्दे पर एक शानदार कहानी के साथ एंट्री हुई है, जिससे उम्मीद है कि वो लोगों को खूब पसंद आने वाली है।
क्या है फिल्म की कहानी?
बात फिल्म की कहानी की करें तो उसमें बिहार के एक छोटे से गांव की कहानी को बड़े ही अच्छे से दिखाया गया है। जहां से दीपक (स्पर्श श्रीवास्तव) अपनी नयी नवेली दुल्हन फूल (नीतांशी गोयल) को ले कर अपने गांव ट्रेन से जाता है। ट्रेन के उस कम्पार्टमेंट में और भी कई नवविवाहित जोड़ियां होती हैं। गांव की संस्कृति के मुताबिक सारी दुल्हनें अपने घूंघट में होती है। उसी दौरान स्टेशन के इंतजार में दोनों कपल शो जाते हैं।
बदल जाती है दुल्हन
जैसे ही स्टेशन आता है वो दोनों आनन-फानन में स्टेशन पर उतर जाते हैं। जब कपल घर पहुंचते हैं तो दीपक अपनी पत्नी फूल का घूंघट उठाता है तो हैरान हो जाता है। पर्दा उठाने के बाद उन्हें पता चलता है कि वो किसी और की बीवी सुषमा रानी / जया ( प्रतिभा रांटा ) को ले आया है। अब उसे अपनी बीवी की चिंता सताती है और वो उसकी तलाश में लग जाता है। वहीं दूसरी तरफ फूल अपने पति के इंतजार में स्टेशन पर ही बैठी-बैठी उसका इंतजार करती हैं।
क्या दीपक फूल को ढूंढ पाएंगे?
पूरी कहानी दीपक और फूल के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती है। वहीं दूसरी तरफ सुषमा भी किसी और के मर्द के साथ उसके घर में रहती हैं। ऐसे में उसके लिए भी मुश्किलें बढ़ ही रही हैं। अब कहानी में देखने वाली यही बात है कि क्या दीपक फूल को ढूंढ पाएगा? दूसरा सवाल ये भी उठता है कि क्या सुषमा को उसका पति अपनाएगा। ये जानने के लिए तो आपको अपने पास के नजदीकी सिनेमाघर में जाना होगा।
कहानी में आते हैं कई ट्विस्ट
2011 के धोबी घाट के बाद किरण राव ने लापता लेडीज के डायरेक्शन की कमान थामी है। ऐसे में ये कहना लाजमी होगा कि फिल्म के हर फ्रेम से आपको लगाव हो जाएगा और हर फ्रेम के साथ आप खुद कहेंगे कि यें किरण राव ने क्या कमाल कर दिया।
फिल्म में चार चांद तब लग जाता है जब कहानी धीरे धीरे मोड़ लेती है। बिप्लब गोस्वामी की कहानी को किरण राव ने बेहतरीन तरीके से फिल्माया है वही स्क्रीनप्ले और डायलॉग में बिप्लाब का साथ दिया है स्नेह देसाई और देवी निधि शर्मा ने। फिल्म का हर डायलॉग दिल छू लेने वाला है।
एक्सपेरिमेंट कर लिया रिस्क
बड़े पर्दे पर 3 बेहद ही नये कलाकारों के साथ किरण राव ने थोड़ा तो रिस्क लिया है। इन तीन कलाकारों की एक्टिंग कमाल की है। दीपक के किरदार में स्पर्श गांव के लड़के के रूप में बिलकुल ही ढल गए हैं वही फूल के किरदार में डेब्यू करती नजर आ रही हैं नीतांशी गोयल। तीनों नये एक्टर्स ने फिल्म में कमाल का काम किया है। हां, लापता लेडीज में किरण राव ने दो मजबूत एक्टर्स को भी ऑनबोर्ड लिया है। इंस्पेक्टर मनोहर के किरदार को निभाते नजर आएंगे रवि किशन वही स्टेशन पर चाय-पकौड़े के स्टाल पर काम करती मंजु माई यानि की छाया कदम पहचान में भी नहीं आने वाली।
क्यों देखें ये फिल्म?
किरण राव और आमिर खान बेहतरीन स्क्रीन पर- डायलॉग और एक बेहद ही नई कहानी के साथ फिल्म को लेकर आए हैं। इसमें नए किरदारों ने अपनी एक्टिंग का ऐसा तड़का लगाया है कि देखने वाले फैन हो गए हैं। कहानी दिल छू लेने वाली है, जो दर्शकों को कुर्सी से बांधे रखेगी। फिल्म में कई ऐसे भी मेसेज हैं जिसे जानना और उसका निर्वाह करना बेहद ही जरूरी है। एक गांव की शुद्ध कहानी, नये कलाकारों की बेहतरीन एक्टिंग और शानदार डायलॉग के लिये ये फिल्म देखी जा सकती है।
फिल्म को मिलते हैं 4 Star