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Kesari Veer Review: Sooraj Pancholi का दमदार कमबैक, जानें कैसी है इतिहास से जुड़ी इस फिल्म की कहानी?

Kesari Veer Movie Review: सूरज पंचोली की 'केसरी वीर' आज यानी 23 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। वहीं मूवी का पहला रिव्यू भी सामने आ गया है। आइए जानते हैं मूवी की कहानी कैसी है?

Kesari Veer Movie Review (Ashwani Kumar): ‘केसरी वीर’ एक ऐसे वीर योद्धा की कहानी पर आधारित है, जिसे इतिहास में ज्यादा स्थान नहीं मिला, लेकिन गुजरात के लोकगीतों में उनका यशगान होता रहा है। वीर हमीर जी गोहिल ने सोमनाथ मंदिर की रक्षा करते हुए अपनी जान की बाजी लगाई थी। 'छावा' जैसी ऐतिहासिक फिल्मों की सफलता के बाद उम्मीद थी कि ‘केसरी वीर’ भी लोगों के दिलों में जगह बनाएगी और सूरज पंचोली का करियर फिर से चमकेगा। फिल्म का ट्रेलर उत्साह बढ़ाने वाला था, लेकिन क्या फिल्म ने वो उम्मीदें पूरी कीं? चलिए E24 के रिव्यू में सब जानते हैं। यह भी पढ़ें: India’s Got Latent की वापसी पर क्या बोले samay Raina? पॉडकास्ट में शो को लेकर की बात

कहानी

फिल्म की शुरुआत एक डिस्क्लेमर से होती है, जिसमें कहा गया है कि फिल्म में सिनेमैटिक लिबर्टी ली गई है। ये लिबर्टी इतनी अधिक हो गई कि जिन लोगों ने वीर हमीर जी की कहानी सुनी है, उन्हें पहले ही सीन से झटका लगता है। कहानी में रोमांस, इमोशनल ड्रामा और एक्शन जोड़ने की कोशिश फिल्म को उसके मूल उद्देश्य से दूर ले जाती है। हमीर जी और राजल का प्रेम प्रसंग, भील सरदार वेगड़ा जी के उत्सव में अफ्रीकी कबिलाई डांस और क्लाइमेक्स में मां का इमोशनल सीन- ये सब ऐसे एलिमेंट हैं जो फिल्म की गंभीरता को हल्का कर देते हैं। 'भारत विश्वगुरु' जैसा गाना भी जबरदस्ती ठूंसा गया लगता है। कई बार तो लगता है कि फिल्म 'ऐतिहासिक कहानी' से ज्यादा 'टीवी सीरियल' बनकर रह गई है। जब फिल्म हमीर जी की असली गाथा को दिखाती है, जैसे जफर खान की क्रूरता और सोमनाथ पर हमला, तब ऑडियंस कहानी से जुड़ जाती है। क्लाइमेक्स का युद्ध सीन खासा दमदार है और 'छावा' जैसी झलक देता है। मगर वीर हमीर जी की तलवार से उनका सिर कटने के बाद भी जफर खान को मार देना हद से ज्यादा सिनेमैटिक हो गया।

विजुअल इफेक्ट्स और सिनेमैटोग्राफी

विजुअल इफेक्ट्स और सिनेमैटोग्राफी की बात करें तो ये काफी अच्छे हैं। 'शंभू हर-हर' और 'केसरी बंधन' जैसे गाने भी प्रभावी हैं। लेकिन निर्देशक प्रिंस धिमान का टीवी बैकग्राउंड हर सीन को ग्रैंड बनाने की कोशिश करता है- कई बार ये जरूरत से ज्यादा एरियल शॉट्स में दिखता है। खासकर वेगड़ा जी पर पहाड़ गिरने वाले सीन में नकली सेट्स साफ नजर आते हैं।

एक्टिंग

सूरज पंचोली ने हमीर जी के किरदार में पूरी जान डाल दी है। उनकी फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन, एक्शन और इमोशनल सीन- सबमें मेहनत झलकती है। सुनील शेट्टी ने वेगड़ा जी के रूप में संतुलन साधा है। विवेक ओबेरॉय का जफर खान बनना फिल्म की सबसे मजबूत कड़ी है। वे डराते भी हैं और नफरत भी पैदा करते हैं। आकांक्षा शर्मा खूबसूरत लगीं और उनका एक्शन सराहनीय है। हालांकि अरुणा ईरानी और किरण कुमार का कैमियो विफल रहा, और बरखा बिष्ट का किरदार बेहद कमजोर लिखा गया है।

फाइनल वर्डिक्ट

वीर हमीर जी की 200 सैनिकों की सेना के साथ हजारों मुगल सैनिकों को 11 दिन तक रोकने की असल कहानी इतनी प्रेरणादायक है कि उसे बिना तामझाम के भी दिखाया जाता तो असरदार होती। लेकिन फिल्म में जबरदस्ती घुसेड़े गए रोमांस और इमोशनल ट्रैक्स ने इसकी गंभीरता कम कर दी। हम इस मूवी को 2.5 स्टार देंगे। यह भी पढ़ें: Bhool Chuk Maaf ओपनिंग डे पर कितनी करेगी कमाई? क्या कहते हैं एडवांस बुकिंग के आंकड़े?

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