Saturday, 21 September, 2024

---विज्ञापन---

फिल्में पास करने वाला सेंसर बोर्ड कैसे करता है काम? किस आधार पर दिया जाता है सर्टिफिकेट

How Censor Board Did Work: अक्सर सुनाई देता है कि इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने पास नहीं किया, इस फिल्म पर सेंसर बोर्ड की कैंची चली, लेकिन कई लोगों के दिमाग में सवाल आता है कि आखिर क्या होता है सेंसर बोर्ड। तो चलिए जान लेते हैं...

Censor Board
इमेज क्रेडिट: Google

How Censor Board Did Work: इन दिनों कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की फिल्म ‘इमरजेंसी’ (Emergency) चर्चा का विषय बनी हुई है। ये फिल्म 6 सितंबर 2024 को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी। लेकिन रिलीज से पहले ही मूवी विवादों में फंस गई है। कहा जा रहा है कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट नहीं दिया है। जैसे ही सेंसर बोर्ड (CBFC) का नाम आता है तो कई लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर क्या होता है सेंसर बोर्ड, ये कैसे करता है काम। किस आधार पर फिल्मों को दिया जाता है सर्टिफिकेट। तो चलिए इन सभी सवालों के जवाब सिर्फ एक आर्टिकल में दे देते हैं। फिर देर किस बात की जान लेते हैं उत्तर…

क्या होता है सेंसर बोर्ड

चलिए सबसे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर क्या होता है सेंसर बोर्ड। इसका पूरा नाम है सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) जिसे शॉर्टकट में सेंसर बोर्ड कहा जाता है। बता दें कि ये एक वैधानिक संस्था है जो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन आती है। सेंसर बोर्ड का काम इंडिया में बनने वाली फिल्मों को रिलीज होने से पहले, उसके कंटेंट के हिसाब से सर्टिफिकेट देना है। जान लें कि ये सर्टिफिकेट सिनेमैटोग्राफी एक्ट 1952 के तहत आने वाले प्रावधानों के अनुसार फिल्मों को दिए जाते है।

कैसे हुई सेंसर बोर्ड की स्थापना

अब ये भी एक सवाल है कि आखिर कैसे हुई सेंसर बोर्ड की स्थापना। दरअसल भारत में सबसे पहले साल 1913 में राजा हरिश्चंद्र फिल्म रिलीज हुई। ये पहली और आखिरी ऐसी फिल्म थी जिसे सेंसर बोर्ड के दर से नहीं गुजरना पड़ा। क्योंकि इंडियन सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1920 में बना और उसी समय से लागू भी हुआ था। इसके बाद साल 1952 में सिनेमेटोग्राफ एक्ट लागू दोबारा लागू किया। इसके बाद उसका नाम ‘सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सेंसर्स’ रखा गया। एक बार फिर साल 1983 में इस एक्ट में बदलाव हुआ और संस्था का नाम फिर से बदलकर ‘सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन यानि सीबीएफसी’ रख दिया गया।

Censor Board

इमेज क्रेडिट: गूगल

यह भी पढ़ें: अपाहिज बेटे की मां, खास मन्नत ले नंगे पैर बैठीं हॉट सीट पर; 50 लाख के सवाल पर अटकी, क्या आप जानते हैं उत्तर?

कौन करता है सेंसर बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति

अब ये भी सवाल उठता है कि आखिर कौन करता है सेंसर बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति। दरअसल उन सदस्यों की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है। ये सदस्य किसी भी सरकारी पद पर आसीन नहीं होते। उन लोगों का काम ही ये होता है की किसी भी फिल्म के रिलीज होने से पहले उसे देखें और निर्धारित करें कि उन्हें कौन सा सर्टिफिकेट देना है।

कितनी कैटेगरी में फिल्मों को बांटा जाता है

आपने अक्सर सुना होगा कि इस फिल्म को कैटेगरी में डिवाइड कर दिया जाता है। दरअसल 4 कैटेगरी बनाई गई हैं।

‘A’ सर्टिफिकेट- इस कैटेगरी की फिल्मों को सिर्फ एडल्ट लोग ही देख सकते हैं।

‘UA’ सर्टिफिकेट- इस कैटेगरी की फिल्मों को 12 साल से कम उम्र के बच्चे माता-पिता या किसी बड़े के साथ देख सकते हैं।

‘U’ सर्टिफिकेट-  इस कैटेगरी की फिल्मों को परिवार के साथ किसी भी उम्र और वर्ग के लोग देख सकते हैं।

‘S’ सर्टिफिकेट- इस कैटेगरी की फिल्मों को किसी स्पेशल क्लास के लोग जैसे डॉक्टर आदि देख सकते हैं।

Censor Board

कैसे निर्धारित होती है फिल्म की कैटेगरी

जान लें कि सेंसर बोर्ड फिल्मों की कैटेगरी कैसे निर्धारित करता है। दरअसल सेंसर बोर्ड के पास फिल्मों को पास करने के लिए 68 दिन का समय होता है। फिल्मों में दिखाए जाने वाले खून-खराबे और बोल्ड सीन के आधार पर ही सेंसर बोर्ड फिल्मों की कैटेगरी निर्धारित करता है।

यह भी पढ़ें: अपाहिज बेटे की मां, खास मन्नत ले नंगे पैर बैठीं हॉट सीट पर; 50 लाख के सवाल पर अटकी, क्या आप जानते हैं उत्तर?

First published on: Aug 31, 2024 12:25 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.