Gram Chikitsalaya Review/Ashwani Kumar: इस हफ्ते फिल्में थियेटर से गायब हैं, भूल चूक माफ़ को देश में सिक्योरिटी के हालात के चलते अगले हफ्ते ओटीटी पर रिलीज़ किया जाएगा। ऐसे में ओटीटी पर दो सीरीज़ आई हैं। पहली, नेटफ्लिक्स पर ‘द रॉयल्स’ और दूसरी ‘ग्राम चिकित्सालय’ जो प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हुई है। ट्रेलर को देखकर लगा था कि ग्राम चिकित्सालय प्राइम की सीरीज पंचायत का एक्सटेंशन है, क्योंकि सीरीज के मेकर्स भी TVF, यानि द वायरल फीवर हैं। कहानी गांव की है, जिसके ग्राम चिकित्सालय का वही हाल है, जो फुलेरा के पंचायत का था। मगर धोखा मत खाइएगा, क्योंकि हिंदुस्तान के गांवों की कहानी, पंचायत से लेकर चिकित्सालय तक भले ही एक जैसी लगे। लेकिन इनका अपना-अपना दुख, अपना-अपना दर्द है।
ग्राम चिकित्सालय की कहानी
ग्राम चिकित्सालय के महज 5 एपिसोड पहले सीजन में हैं और कहानी छत्तीसगढ़ के गांव भटकण्डी की है। जहां के चिकित्सालय में कोई मेडिकल ऑफिसर सालों से नहीं आया और गांव में मरीजों का ईलाज एक झोला छाप डॉक्टर चेतक कुमार, गूगल से देखकर कर करते हैं। ऐसे में मेडिकल कॉलेज का गोल्ड मेडलिस्ट, दिल्ली में पापा के एक बड़े हॉस्पिटल को छोड़कर एक दूर गांव में इस उम्मीद के साथ पहुंचता है कि गांव वालों को सही ईलाज मिले। मगर डॉक्टर प्रभात सिन्हा को भटकण्डी गांव के ग्राम चिकित्सालय में पहुंचने के रास्ते में एक कब्जा किया हुआ खेत मिलता है।
फर्जी और असली डॉक्टर
फुटानी और गोविंद को ग्राम चिकित्सालय को चलाना था, मगर वो गांव में रिश्तेदारी निभा रहे हैं। सरकारी दवाएं बेच रहे हैं… प्रभात को चिकित्सालय भी सुधारना है और गांव के लोगों का भरोसा भी जीतना है, जिससे वो बिना डिग्री वाले डॉक्टर चेतक कुमार की जगह चिकित्सालय में आकर सही ईलाज कर सके। इस जतन में प्रभात से गलतियां होती हैं, चेतक कुमार से ही गांव को समझने की सीख मिलती है। सीएमओ की फटकार मिलती है, डॉक्टर गार्गी का साथ मिलता है। हजार मुश्किलों को झेल रही नर्स इंदू की ईमानदारी से की मेहनत से हौसला मिलता है और नर्स के बेटे सुधीर के झूठ का झटका मिलता है।
TVF ने लिया ये बड़ा रिस्क
ग्राम चिकित्सालय के ट्रेलर को देखकर आपको लगा होगा कि TVF ब्रैंड मार्का ये प्रोडक्ट भी पंचायत की तरह गुदगुदाएगा, हंसाएगा, मगर ग्राम पंचायत की ये सीरीज गांव के लोगों के भोलेपन, भरोसे, स्वास्थ्य के साथ आगे बढ़ते हुए मेंटल हेल्थ के ऐसे सेंसिटिव मोड़ तक पहुंच जाती है, जिससे जबरदस्त झटका लगता है। यकीन जानिए कि आप इसके लिए तैयार नहीं होंगे, क्योंकि मेंटल हेल्थ को पागलपन समझने वाली जीन्स अब तक बड़े शहरों के पढ़े-लिखों के दिमाग से ही बाहर नहीं निकल पाया है, तो गांव के माहौल में इसकी कहानी बताना एक बड़ा रिस्क है, जो TVF ने लिया है।
झिंझोड़ देंगे आखिरी एपिसोड
दीपक कुमार और अरुनाभ की ये कहानी जानते-बूझते एक बड़ा रिस्क लेती है, वो चाहते तो आपको एक गुदगुदाने वाली स्टोरी बनाकर एक सेफ स्पेस में जा सकते थे, लेकिन TVF की ये सीरीज चौथे और पांचवे एपिसोड में आपको झिंझोड़ देती है। राहुल पांडे ने इस कहानी को बांधा नहीं है बल्कि बहने दिया है। पांचवें एपिसोड के आखिर में एक बांध लगाकर इन इमोशन्स को रोक दिया है, जो झटके सा लगता है। सीरीज के दो गाने ऐसे हैं, जो गांव की खुशबू और सच्चे इमोशन्स से भरे हुए हैं, वो आपके दिल को छू जाएंगे।
कैसी है स्टार्स की एक्टिंग?
वैसे तो डॉक्टर प्रभात सिन्हा बने अमोल पराशर इस सीरीज के लीड हैं, लेकिन फर्जी डॉक्टर बने विनय पाठक ने अपना बराबर का असर दिखाया है। फुटानी बने आनंदेश्वर सिंह और गोबिंद के किरदार में आकाश मखीजा का काम कमाल का है। नर्स इंदू बनी गरिमा सिंह और उनका बेटा सुधीर बना, संतू कुमार इस सीरीज के वो दमदार पिलर हैं, जिन्हे ट्रेलर में छिपाकर रखा गया है। डॉक्टर गार्गी बनी आंकाक्षा रंजन कपूर का पूरा किरदार अभी सीरीज में खुला नहीं है, लेकिन जहां-जहां वो दिखती हैं, गहरा असर छोड़ती हैं।
ग्राम चिकित्सालय देखते समय याद रखिए कि आप पंचायत नहीं देख रहे हैं, ये गांव की कहानी तो है, लेकिन सिस्टम, सोच के अंदर छिपी बीमारी का ईलाज करने वाले सीरीज है।