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Chandu Champion Review: चंदू नहीं, चैंपियन है मैं…कार्तिक आर्यन की एक्टिंग ने जीता दिल, इमोशन से भरी है कहानी

Chandu Champion Review: कार्तिक आर्यन की अपकमिंग फिल्म चंदू चैंपियन को लेकर हाइप बना हुआ है, ये एक बायोपिक फिल्म है जिसमें मुरलीकांत पेटकर के संघर्ष की कहानी आपको इमोशनल कर देगी...

Chandu Champion

Chandu Champion Review: कार्तिक आर्यन की अपकमिंग फिल्म ‘चंदू चैंपियन’ (Chandu Champion) का सभी को इंतजार है। फिल्म में कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan) के गजब के ट्रांसफॉर्मेंशन को देख तो आंखें खुली की खुली रह गई हैं। वहीं बात कबीर खान की करें तो “हाउज़ द जोश से आगे बढ़ते हुए उन्होंने ‘चंदू चैंपियन’ का निर्माण किया है। ये फिल्म एक स्पोर्ट्स बायोपिक, जिसमें कार्तिक ने  मुरलीकांत पेटकर (Murlikant Petkar) का किरदार निभाया है। कहानी ने लोगों को इमोशनल भी किया है तो कहीं मुरलीकांत के संघर्ष की कहानी को दिखा लोगों का मोटिवेशन भी बढ़ाया है। ये फिल्म 14 जून को सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए पूरी तरह से तैयार है। एक बार थिएयर पर जाकर कार्तिक की एक्टिंग को जरूर देखे।

दिल छू लेने वाली है कहानी

बात फिल्म की कहानी की करें तो ये एक रियल बेस्ड स्टोरी है। दरअसल चंदू चैंपियन मुरलीकांत पेटकर की बायोपिक है। कबीर खान द्वारा निर्देशित ये मूवी आपको 70 के दशक में ले जाएगी, जब मुरलीकांत पेटकर ओलंपिक चैंपियन बनने के लिए संघर्षों का सामना करता है। दरअसल यंग मुरली का सपना ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक हासिल करना है। महान पहलवान दारा सिंह की बदौलत, मुरली बचपन से ही कुश्ती के प्रति आकर्षित रहे और उन्होंने बहुत कम उम्र में अपने गांव में ही ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी।

यंग एज में ही वो मैदान में दूसरों को कुश्ती करते हुए देखकर ही फिट हो जाता और खेल की चालें और चालें सीख लेता है। गांव में एक स्थानीय प्रतियोगिता में मुरली बिना किसी  प्रोफेशनल ट्रेनिंग के स्टेट लेवल के व्यक्ति को हराने में कामयाब होता है। हालांकि वो भी एक नौसिखिया होता है, लेकिन खेल में उसने प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली होती है।

कैसे बनता है एथलीट

अब शुरू होता है एथलीट बनने का सफर, जब उसे भागने के लिए मजबूर होना पड़ता है और वो ट्रेन पकड़ता है। वहीं से ही उसके सपनों की यात्रा शुरू होती है। वो एक युवा एथलीट  से ट्रेंड खिलाड़ी बन जाता है, फिर इंडियन आर्मी में सैनिक के रूप में भर्ती हो जाता है। बता दें कि कोई इसकी तुलना भाग मिल्खा भाग से भी कर सकता है। मुरलीकांत पेटकर एक पहलवान से एक मुक्केबाज बन जाता है।

मुरली के संघर्ष की कहानी

फिर शुरू होती है मुरली के संघर्ष की कहानी। साल 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान नौ गोलियां लगने के बाद घुटने से लकवाग्रस्त हो जाता है। लेकिन फिर भी वो जीवन से हार मानने को तैयार नहीं होता। फिल्म के सेकेंड पार्ट में इमोशनल सीन्स देख आपकी आंखें भी नम हो जाएंगी। पूरी फिल्म आपको अंत तक कुर्सी से बांधे रखेगी।

कार्तिक की एक्टिंग ने जीता दिल

अब बात एक्टिंग की कर लें तो चॉकलेटी बॉय की छवि से बाहर आते हुए कार्तिक आर्यन ने मुरलीकांत पेटकर के रोल को बखूबी निभाया है। उनके गजब के ट्रांसफॉर्मेंशन को देख भी आप दंग रह जाएंगे। हालांकि ये उनके लिए आसान नहीं था लेकिन किरदार को जीवंत करने के लिए एक्टर ने कड़ी मेहनत की। वहीं बात अन्य किरदारों की करें तो विजय राज, राजपाल यादव और भुवन अरोड़ा ने भी बेहतरीन काम किया है। कुल मिलाकर कबीर खान द्वारा कुशलतापूर्वक निर्देशित चंदू चैंपियन उम्मीदों पर खरी उतरेगी ये पूरी आशा है।

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First published on: Jun 13, 2024 09:09 AM

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