Content Oriented Bollywood Films: साल 2024 बॉलीवुड फिल्मों के लिए काफी मुश्किलों भरा रहा। इस साल रिलीज हुई ज्यादातर बड़े बजट की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी हैं। वहीं, छोटे बजट की फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर गदर काट दिया। एक तरफ जहां अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ की बड़े मियां छोटे मियां, अजय देवगन की मैदान तथा सिंघम अगेन बॉक्स ऑफिस पर संघर्ष करती नजर आईं। वहीं, दूसरी तरफ नए चेहरों से भरी किरण राव की लापता लेडीज, विक्रांत मैसी अभिनती 12वीं फेल जैसी छोटी फिल्मों ने जमकर निर्माताओं की जेब भरी।
ऐसे में एक सवाल उठता है कि आखिर क्यों बड़े बजट की फिल्में लगातार फ्लॉप हो रही हैं और छोटी फिल्मों को दर्शकों की स्वीकार्यता मिल रही है। इसके पीछे की एक वजह ये भी है ओटीटी के बढ़ते प्रभाव के कारण दर्शकों के पास अब कई बेहतरीन विकल्प हैं, जिसकी वजह से अब वह महज अपने चहेते कलाकार को देखने के लिए बिना सर पैर वाली कहानी को देखने नहीं जाते। चलिए कुछ फिल्मों के प्रदर्शन को देखते हुए इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं।
लापता लेडीज की सफलता और कंटेंट आधारित फिल्मों की बढ़ती स्वीकार्यता
इस साल मार्च में रिलीज हुई लापता लेडीज को दर्शकों से बहुत ज्यादा प्यार मिला। फिल्म में नितांशी गोयल, प्रतिभा रांटा,स्पर्श श्रीवास्तव जैसे कलाकारों ने अपने सहज और सरल अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। फिल्म में कोई बड़ा स्टार नहीं था, लेकिन फिर भी निर्माताओं के लिए फिल्म ने खूब पैसे छापे। महज 5 करोड़ रुपये में बनी इस फिल्म ने 25 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की। इसके पीछे की वजह थी, फिल्म का कंटेंट। अब दर्शक स्टार नहीं, बल्कि कंटेंट देखना पसंद करते हैं। ग्रामीण पृष्ठभूमि की चादर में लिपटी इस फिल्म ने दर्शकों को भारत की आत्मा से मिलाया, जो हॉलीवुड फिल्मों की नकल करने की कोशिश में लंबे समय से गौण हो गई थी। इस वजह से दर्शकों ने फिल्म को हाथों हाथ लिया। इसकी सफलता कहती है कि अब सरल और जड़ों से जुड़ी कहानियों का दौर है।
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बड़े मियां छोटे मियां की विफलता और बेअसर होते स्टार पावर
दूसरी तरफ अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ जैसे स्टार और बड़े बजट के बावजूद बड़े मियां और छोटे मियां बॉक्स ऑफिस पर नाकाम साबित हुई। 350 करोड़ रुपये की लागत में बनी फिल्म 100 करोड़ रुपये भी नहीं बटोर पाई। इस फिल्म में भी वही घिसा-पीटा फॉर्मूला इस्तेमाल किया गया। बड़े स्टार्स को लेकर, उनके इर्द-गिर्द भव्यता दिखा कर उनके चेहरे पर फिल्म बेचने की कोशिश की गई, जिसे दर्शकों ने नकारते हुए साफ कर दिया कि अब वो कंटेंट को ज्यादा वरीयता देना चाहते हैं। बड़े स्टार्स की फिल्मों का हाल देखकर ये साबित होता जा रहा है कि दर्शक फैन कल्चर को नकारने लगे हैं।
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नयेपन की वजह से ब्लॉकबस्टर हुई स्त्री 2
अमर कौशिक के निर्देशन वाली स्त्री 2 ने अपने प्रदर्शन से काफी चौंकाया है। इस फिल्म ने अपनी सीमित बजट के दायरे में रहने के बावजूद दर्शकों को स्क्रीन पर एक लाजवाब अनुभव दिया, जिसमें मौजूद नयापन को दर्शकों ने काफी पसंद भी किया। कलाकारों के बेहतरीन अभिनय,अच्छी कहानी और शानदार तरीके से पर्दे पर दिखा पाने की निर्देशक की काबिलियत ने फिल्म को ब्लॉकबस्टर बना दिया। इसके साथ ही फिल्म में एक नयापन था, हॉरर कॉमेडी के जॉनर पर बहुत ज्यादा फिल्में बनी नहीं थीं, जिसे इस फ्रेंचाइजी ने एक अवसर के रूप में देखा। दर्शकों को भी पर्दे पर कुछ नया दिखा, जिसे उन्होंने प्रोत्साहन भी दिया। महज 50 करोड़ रुपये में बनी इस फिल्म ने घरेलू बॉक्स ऑफिस पर 591 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का कारोबार किया। इसकी सफलता ने ये साबित कर दिया कि दर्शक अब पर्दे पर कुछ नया देखना चाहते हैं और अगर कोई ईमानदारी से दर्शकों को कुछ नया परोसने की कोशिश करेगा,तो उसे प्रोत्साहन भी मिलेगा।
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मुंजा की सफलता ने बताया बड़े नाम की जगह अभिनेताओं को मिलेगी तरजीह
एक समय हुआ करता था, जब बड़े स्टार के नाम पर फिल्में सुपरहिट हो जाया करती थीं। सलमान खान की कई फिल्में, सिर्फ उनके नाम पर बिक जाती थीं, लेकिन हाल के कुछ वर्षों में उनकी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। वहीं, दूसरी ओर अभय वर्मा और शरवरी वाघ अभिनीत मुंजा तथा विक्रांत मैसी की 12वीं फेल ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया। इससे साबित होता है कि दर्शक अब बड़े स्टार्स के बजाय एक्टर्स को देखना चाहते हैं। इन दोनों ही फिल्मों में वो कलाकार थे, जिनका नाम उतना मशहूर भी नहीं था, लेकिन उनकी फिल्मों ने कई बड़े स्टार्स की फिल्मों को पछाड़ दिया।
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ओटीटी प्लेटफॉर्म का बढ़ता प्रभाव और क्षेत्रीय कंटेंट का एक्सपोजर
भारत में नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म के उदय ने भी बॉलीवुड फिल्मों के प्रभाव पर नकारात्मक असर डाला है। आज इन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर तमिल, तेलुगु आदि अन्य शानदार क्षेत्रिय कंटेंट की भरमार है, जिसकी वजह से दर्शक घर बैठे इन फिल्मों को देख पाते हैं। इससे रीमेक का धंधा भी खराब हो गया है, क्योंकि अब दर्शक रीमेक की बजाय मूल फिल्म को देखना पसंद करते हैं। इसका ताजा उदाहरण है अक्षय कुमार की सरफिरा, जो तमिल फिल्म सोरारई पोटरू की रीमेक थी। दर्शकों ने ओटीटी पर सूर्या की सोरारई पोटरु को देखा और काफी पसंद किया, जिस वजह से इसके रीमेक में दर्शकों की कोई दिलचस्पी नहीं दिखी और फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हो गई।
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साउथ फिल्मों की बढ़ती लोकप्रियता
बॉलीवुड फिल्मों को बीते कुछ वर्षों में साउथ फिल्मों से कड़ी टक्कर मिली है। साउथ फिल्मों में नयापन और रिस्क लेने की क्षमता ने दर्शकों के बीच इनकी लोकप्रियता में इजाफा किया है, जबकि बॉलीवुड में अभी भी सितारों के चेहरे पर फिल्म बेचनी की कोशिश की जा रही है। साउथ की बाहुबली, आरआरआर,केजीएफ, आवेशम, मंजुम्मल ब्वायज जैसी फिल्में अपने अनूठेपन की वजह से पूरे देशभर में स्वीकार की जा रही हैं। आज पुष्पा 2 अभिनेता अल्लू अर्जुन, राम चरण, एनटीआर आदि साउथ सुपरस्टार्स अब देश भर में काफी लोकप्रिय हो चुके हैं और बॉलीवुड सितारों के समकक्ष आ खड़े हुए हैं। ऐसे में अब बॉलीवुड को भी कमर कसनी पड़ेगी और रिस्क लेना पड़ेगा, दर्शकों तक कुछ नया लाना होगा,तभी उनकी स्थिति में भी सुधार हो सकेगी।
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