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एकलौते बेटे की मौत के बाद टूटी सिंगर, खुद को संभालने के लिए उठाया ये बड़ा कदम

Anuradha Paudwal: बीजेपी में शामिल हुई अनुराधा पौडवाल ने अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और फिर उन्होंने खुद को चैरिटी में लगा दिया।

Anuradha Paudwal
Anuradha Paudwal: संगीत जगत का जाना-माना नाम अनुराधा पौडवाल (Anuradha Paudwal)अचानक सुर्खियों में आ गई हैं। म्यूजिक इंडस्ट्री में अपने नाम का डंका बजाने के बाद अब अनुराधा ने राजनीति में एंट्री ले ली है। मशहूर गायिका ने बीजेपी पार्टी की सदस्यता ले ली है और लोकसभा चुनाव की तारीखें सामने आने के ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी का दामन हाथ लिया है। भले ही संगीत की दुनिया में अनुराधा ने काफी ऊंची उड़ान देखी है, मगर उनकी असल जिंदगी उतनी ही मुश्किलों भरी रही है। जवान बेटे की मौत के सदमे से वो आज भी पूरी तरह से उबरी नहीं है, लेकिन एकलौते बेटे के जाने को गम से खुद को उन्होंने कैसे संभाला। इसे लेकर खुद अनुराधा ने एक बार खुलासा किया था।

साल 2020 में खोया जवान बेटा

भक्ति गीतों से लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाने वाली अनुराधा पौडवाल (Anuradha Paudwal)ने अपनी जिंदगी में काफी दुख झेले हैं। सितंबर 2020 में सिंगर ने के एकलौते बेटे की मौत से उन्हें गहरा सदमा लगा था। सिंगर के बेटे आदित्य उस समय महज 35 साल के थे, किडनी फेलयर की वजह से उनकी मौत हुई थी। सोशल मीडिया पर वो अक्सर अपने बेटे की तस्वीरें साझा करती रहती हैं।  

बेटे की मौत के बाद खुद कैसे संभाला?

बेटे की मौत के बाद अनुराधा ने अपने आप को चैरिटी के कामों में लगा दिया था। उन्होंने कई जरूरतमंद लोगों के लिए काम किया है खुद को पूरी तरह से लोगों की सेवा में ही मसरूफ कर लिया। हालांकि साल 2021 में एक मीडिया इंटरव्यू के दौरान अनुराधा पौडवाल ने अपने बेटे को लेकर बात की थी। उस दौरान उन्होंने कहा था कि 'मैं बस इतना ही कहूंगी कि आदित्य मुझसे अलग नहीं है, वो अब मेरे भीतर रहता है। मेरा एक अहम हिस्सा बन चुका है। मैं यह मानती भी हूं कि मुझमें ही कहीं है और मुझसे जुड़ा है। बस इसी में सबकुछ हो जाता है।

सूर्योदय फाउंडेशन की रखी नींव

साल 2020 में बेटे को खो देने के बाद सिंगर ने कोरोना पीड़ितों के लिए फ्रंट लाइन पर आकर मदद की थी। इसके अलावा उन्होंने महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के दो शहरों के कुछ हॉस्पिटल में ऑक्सीजन कॉन्स्ट्रेंट और वेंटीलेटर गिफ्ट किया था। अनुराधा ने अपने दर्द को भूलाकर खुद को पूरी तरह से लोगों की सेवा में लगा दिया था। इसके चलते ही उन्होंने सूर्योदय फाउंडेशन की भी नींव रखी थी। उनकी इस फाउंडेशन में दस स्कूल और गांव में वाटर कंजर्वेशन पर काम करते हैं। यह भी पढ़ें: पहले पति फिर जवान बेटे की मौत, गुलशन कुमार संग अफेयर, एक फैसले ने बर्बाद कर दिया करियर

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