Azaad Movie Review: इंसान और घोड़े के बीच यूनिक फ्रेंडशिप ने जीता दिल, जानें क्या है फिल्म की कहानी
Azaad Movie
Azaad Movie Review: (नवीन भारद्वाज) फिल्म 'आजाद' का कॉन्सेप्ट, टीजर और ट्रेलर में काफी ऑफ-बीट नजर आया था। एक्शन और रोमांस के इस दौर में जानवर और इंसान के प्यार की कहानी क्या कुछ कर भी पाएगी? इससे पहले भी 'हाथी मेरे साथी', 'तेरी मेहरबानियां' और 'दूध का कर्ज' जैसी फिल्मों में जानवरों और इंसानों के रिश्ते को दिखाया जा चुका है। लेकिन ‘आजाद' इन फिल्में से एक कदम आगे बढ़कर है। इस फिल्म का घोड़े के नाम पर टाइटल रखा गया है। फिल्म में कुछ तो अलग आपको देखने को मिलने ही वाला है। आइए आपको बताते हैं फिल्म का पूरा रिव्यू।
क्या है फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी 1920 के दौर की है, जब भारत में अंग्रेजों की हुकूमत थी और ज़मींदारों द्वारा किसानों पर अत्याचार किया जाता था। गोविंद (अमन देवगन) एक जमींदार राय बहादुर (पीयूष मिश्रा) के यहां घोड़ों की देखभाल करने का काम करता था। राय बहादुर का बेटा तेज बहादुर (मोहित मल्लिक) इलाके का क्रूर जमींदार था, जबकि उसकी बहन जानकी (राशा थडानी) को घुड़सवारी का शौक था। गोविंद खुद भी घुड़सवारी का शौकीन था, लेकिन उस दौर में निचले वर्ग के लोगों को जमींदारों के घोड़ों पर बैठने की इजाजत नहीं थी। हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि गोविंद को गांव छोड़कर भागना पड़ता है, और वह जाकर डाकू विक्रम सिंह (अजय देवगन) से मिलता है। विक्रम सिंह के घोड़े ‘आज़ाद’से गोविंद को गहरा लगाव हो जाता है। तेज बहादुर और अंग्रेज़ विक्रम सिंह के खिलाफ साजिश रचते हैं और अंततः विक्रम सिंह की हत्या करवा देते हैं। मरते वक्त विक्रम सिंह आजाद को गोविंद के हवाले करके जाता है। अब अंग्रेजों की नजर आजाद पर है, और वे उसे कब्जे में लेना चाहते हैं। इसके बाद कहानी में कई मोड़ लेती है।
डायरेक्शन, म्यूजिक और राइटिंग
डायरेक्टर अभिषेक कपूर ने फिल्म के प्रमोशन के दौरान बताया था कि उन्होंने 2016 में इस स्क्रिप्ट को लिखा था और इसे बनाने का सपना देखा था। लंबे समय तक स्क्रिप्ट पर काम करने का असर फिल्म पर भी दिखता है। अभिषेक कपूर ने सुरेश नायर और रितेश शाह के साथ मिलकर फिल्म लिखी है। डायरेक्शन दमदार है, लेकिन स्क्रिप्ट में कुछ खामियां नजर आती हैं। अगर विक्रम सिंह लंबे समय से गांववालों के लिए लड़ रहा था, तो उसकी मौत के बाद गांव वाले खामोश क्यों हैं? इसके अलावा, तेज बहादुर (मोहित मल्लिक) की पत्नी केसर (डायना पेंटी) का अपने ससुर के साथ एक ही टेबल पर खाना खाना 1920 के दौर के हिसाब से कुछ ज्यादा मॉर्डन लगता है।
फिल्म के पहले हाफ में कहानी गोविंद और जानकी के बजाय गोविंद और विक्रम सिंह पर ज्यादा फोकस करती है। राशा (जानकी) को फिल्म की शुरुआत में दिखाया जाता है, लेकिन इंटरवल तक वह लगभग गायब रहती हैं। इसके मुकाबले दूसरा हाफ ज्यादा रोमांचक है, जहां गोविंद और जानकी के रिश्ते को उभरने का मौका मिलता है। अमित त्रिवेदी द्वारा कंपोज किया गया संगीत और बैकग्राउंड स्कोर फिल्म को और दमदार बनाता है। खासकर इमोशनल और एक्शन सीक्वेंस में म्यूजिक कहानी को बेहतरीन तरीके से सपोर्ट करता है।
एक्टिंग: असली हीरो ‘आजाद’
फिल्म के टाइटल को देखते हुए मुख्य किरदार का क्रेडिट ‘आज़ाद’ नाम के घोड़े को मिलना चाहिए। राशा और अमन के साथ-साथ आजाद का भी यह डेब्यू है, और कहना पड़ेगा कि घोड़े ने कमाल की एक्टिंग की है।अमन देवगन और राशा थडानी ने अपनी पहली फिल्म के हिसाब से अच्छा काम किया है। वहीं, पीयूष मिश्रा, मोहित मल्लिक, डायना पेंटी और अजय देवगन अपने किरदारों में पूरी तरह डूबे नजर आते हैं।
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कुल मिलाकर देखनी चाहिए या नहीं?
'आजाद' एक अलग तरह की फिल्म है, जिसमें एक्शन, इमोशन और इंसान-जानवर की अनूठी दोस्ती को खूबसूरती से दिखाया गया है। हालांकि, पहले हाफ में धीमी गति और कुछ स्क्रिप्ट की खामियों के कारण यह फिल्म कुछ दर्शकों को कम आकर्षक लग सकती है। लेकिन अगर आप कुछ नया देखना चाहते हैं, तो ‘आजाद’ जरूर देख सकते हैं।
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