Khusbhu Sundar: मलयालम सिनेमा के लिए जस्टिस हेमा कमेटी रिपोर्ट किसी काल की तरह आई है। उसके बाद से कई अभिनेत्रियां सामने आ चुकी हैं और एक्टर और फिल्म मेकर्स पर यौन शोषण के आरोप लगा चुकी हैं। हाल ही में एक्ट्रेस से नेता बनीं खुशबू सुंदर ने खुलासा किया है, कि जब वो 8 साल की थीं, तब उनके पिता ने ही उनका यौन शोषण किया था। मगर लंबे समय तक इस मामले पर चुप्पी साधने पर एक्ट्रेस ने रिएक्ट किया है। इसके साथ ही उन्होंने जस्टिस हेमा कमेटी को लेकर भी प्रतिक्रिया दी है।
खुशबू सुंदर ने हेमा रिपोर्ट पर किया रिएक्ट
साउथ फिल्मों में जानी-मानी एक्ट्रेस खुशबू सुंदर (Khusbhu Sundar) अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर एक लंबा नोट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि अपने पिता द्वारा दुर्व्यवहार (Khusbhu Sundar On Sexually Abused) किए जाने के बारे में पहले क्यों नहीं बताया। अपने ट्वीट में उन्होंने हेमा जस्टिस कमेटी पर कहा, ‘हमारे उद्योग में प्रचलित मीटू मूवमेंट का यह पल आपको तोड़कर रख देता है। उन महिलाओं को बधाई जिन्होंने अपनी जमीन पर डटे रहकर जीत हासिल की। हेमा कमेटी दुर्व्यवहार को रोकने के लिए यह बहुत ज़रूरी था। लेकिन क्या यह होगा?’
पिता से दुर्व्यवहार को लेकर क्या बोलीं एक्ट्रेस
खुशबू ने ट्वीट में लिखा, ‘ कुछ लोग मुझसे पूछते हैं कि मुझे अपने पिता के दुर्व्यवहार के बारे में बोलने में इतना समय क्यों लगा। मैं सहमत हूं कि मुझे पहले ही बोल देना चाहिए था। लेकिन मेरे साथ जो हुआ, वह मेरे करियर को बनाने के लिए कोई समझौता नहीं था। मुझे उस व्यक्ति के हाथों दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा, जिसे मुझे गिरने पर संभालने के लिए सबसे मज़बूत बाहें प्रदान करनी थीं।’
💔 This moment of #MeToo prevailing in our industry breaks you. Kudos to the women who have stood their ground and emerged victorious. ✊ The #HemaCommittee was much needed to break the abuse. But will it?
Abuse, asking for sexual favors, and expecting women to compromise to…
— KhushbuSundar (@khushsundar) August 28, 2024
महिला को भुगतना पड़ता है खामियाजा-खुशबू
उन्होंने आगे लिखा, ‘दुर्व्यवहार, यौन एहसान मांगना और महिलाओं से यह अपेक्षा करना कि वे पैर जमाने या अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए समझौता करें, हर क्षेत्र में मौजूद हैं। एक महिला से अकेले ही इस सब से गुज़रने की उम्मीद क्यों की जाती है? हालांकि पुरुषों को भी इसका सामना करना पड़ता है, लेकिन इसका खामियाजा महिलाओं को ही भुगतना पड़ता है। इस मुद्दे पर अपनी 24 साल और 21 साल की बेटियों से लंबी बातचीत की। पीड़ितों के प्रति उनकी सहानुभूति और समझ देखकर मैं हैरान रह गई। वे दृढ़ता से उनका समर्थन करती हैं और इस मोड़ पर उनके साथ खड़ी हैं। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आप आज बोलें या कल, बस बोलें। तुरंत बोलने से घाव भरने और ज़्यादा प्रभावी ढंग से जांच करने में मदद मिलेगी।’
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पीड़ित को दोषी ठहराना- एक्ट्रेस
एक्ट्रेस ने लिखा, ‘शर्मिंदा होने का डर, पीड़ित को दोषी ठहराना और “तुमने ऐसा क्यों किया?” या “तुमने ऐसा क्यों किया?” जैसे सवाल उसे तोड़ देते हैं। पीड़ित आपके या मेरे लिए अजनबी हो सकता है, लेकिन उसे हमारे समर्थन, सुनने के लिए कान और हम सभी से भावनात्मक समर्थन की ज़रूरत है। जब यह सवाल किया जाता है कि उसने पहले क्यों नहीं बताया, तो हमें उसकी परिस्थितियों पर विचार करने की ज़रूरत है – हर किसी को बोलने का सौभाग्य नहीं मिलता। एक महिला और एक मां के रूप में, इस तरह की हिंसा से मिले घाव न केवल शरीर में बल्कि आत्मा में भी गहरे घाव करते हैं। क्रूरता के ये कृत्य हमारे विश्वास, हमारे प्यार और हमारी ताकत की नींव को हिला देते हैं। हर मां के पीछे, पालन-पोषण और सुरक्षा की इच्छा होती है, और जब वह पवित्रता टूट जाती है, तो इसका असर हम सभी पर पड़ता है।’
पुरुषों से की खास अपील
एक्ट्रेस और राजनेता खुशबू (Khusbhu Sundar)ने अपने ट्वीट में पुरुषों से खास अपील करते हुए कहा, ‘वहाँ मौजूद सभी पुरुषों से, मैं आपसे पीड़ित के साथ खड़े होने और अपना अटूट समर्थन दिखाने का आग्रह करता हूँ। हर पुरुष एक महिला से पैदा होता है जिसने अविश्वसनीय दर्द और बलिदान सहा है। कई महिलाएँ आपके पालन-पोषण में अपरिहार्य भूमिका निभाती हैं, आपको वह व्यक्ति बनाती हैं जो आप आज हैं – आपकी मां, बहनें, चाची, शिक्षिकाएं और दोस्त। आपकी एकजुटता आशा की किरण हो सकती है, एक प्रतीक कि न्याय और दयालुता की जीत होगी। हमारे साथ खड़े होइए, हमारी रक्षा कीजिए और उन महिलाओं का सम्मान कीजिए जिन्होंने आपको जीवन और प्यार दिया है। हिंसा के खिलाफ लड़ाई में अपनी आवाज बुलंद कीजिए और अपने कार्यों से वह सम्मान और सहानुभूति दर्शाइए जिसकी हर महिला हकदार है। याद रखें, हम एक साथ मजबूत हैं, और केवल एक साथ ही हम इन घावों को ठीक कर सकते हैं और एक सुरक्षित, अधिक दयालु दुनिया का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। आइए हम यह समझें कि कई महिलाओं को अपने परिवारों का समर्थन भी नहीं मिलता है। वे आंखों में सितारे लेकर छोटे शहरों से आती हैं, चमकने की उम्मीद करती हैं लेकिन अक्सर अपने सपनों को शुरू से ही कुचला हुआ पाती हैं। यह सभी के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए। शोषण यहीं रुकना चाहिए। महिलाओं, सामने आओ और बोलो। याद रखो, जीवन में आपके पास हमेशा एक विकल्प होता है। आपका ना निश्चित रूप से ना है।’
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