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Sitaare Zameen Par Review: आमिर खान की मूवी में दिखा जिंदगी का असली रंग, कैसी है स्पेशल बच्चों की ये जर्नी?

Sitaare Zameen Par Review: आमिर खान की मोस्ट अवेटेड फिल्म 'सितारे जमीन पर' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। मूवी में 10 स्पेशली एबल्ड बच्चों की कहानी को दिखाया गया है। आइए आपको भी बताते हैं मूवी की कहानी कैसी है?

Photo Credit- Social Media
Sitaare Zameen Par Review: आमिर खान अपनी मोस्ट अवेटेड फिल्म 'सितारे जमीन पर' सिनेमाघरों में दस्तक दे चुके हैं। 'लाल सिंह चड्ढा' के बाद आमिर खान ने इस मूवी से बड़े पर्दे पर वापसी की है। हालांकि ये मूवी एक स्पैनिश फिल्म 'चैम्पियन्स' का हिंदी रीमेक है। मेकर्स इस मूवी को पहले आमिर खान और सलमान खान के साथ बनाने का प्लान बना रहे थे, लेकिन ये बाद में प्लान के मुताबिक नहीं हो पाया था। इसका कारण भी आमिर ही थे क्योंकि उन्होंने रिटायरमेंट की बात की थी। हालांकि बाद में मूवी के डायरेक्टर आर.एस. प्रसन्ना के इस स्पेशल आइडिया से आमिर मूवी करने के लिए राजी हो गए और अब लंबे इंतजार के बाद फाइनली मूवी थिएटर्स में रिलीज हो गई है। अगर मूवी की कहानी के बारे में अच्छे से जानना है तो E24 का ये रिव्यू जरूर पढ़ें। यह भी पढ़ें: Sitaare Zameen Par X Review: आमिर खान की मूवी ने जीता ऑडियंस का दिल, तारीफ करते नहीं थक रहे फैंस

फिल्म की कहानी

मूवी में आमिर खान ने बॉस्केटबॉल कोच गुलशन अरोड़ा का किरदार निभाया है। वहीं मूवी की शुरुआत भी उन्हीं से होती है। गुलशन बने आमिर अपने गुस्सैल नेचर के चलते नौकरी से सस्पेंड हो जाते हैं। वहीं एक शराबी घटना के बाद कोर्ट से गुलशन को 90 दिनों की कम्युनिटी सर्विस की सजा मिलती है। इसके बाद उन्हें स्पेशली एबल्ड बच्चों कोचिंग देनी पड़ती है। वहीं पहले तो वो इन बच्चों को बिल्कुल भी सीरियस नहीं लेते, लेकिन उनके जज्बे को गुलशन इन बच्चों के जरिए खुद को समझने लगते हैं और उन्हें अच्छे से गाइड करते हैं।

फर्स्ट हाफ

फिल्म का पहला हाफ गुलशन के गुस्से, उनकी पत्नी सुनीता (जेनेलिया डिसूजा) से तनाव और उसके अकेलेपन को दिखाता है। हालांकि इस हिस्से में कहानी कई बार भटकती भी है और दर्शक कन्फ्यूज हो सकते हैं कि फिल्म किस दिशा में जा रही है। फिर भी आमिर खान की एक्टिंग इस हिस्से को संभाले रखती है।

सेकंड हाफ

वहीं दूसरे हाफ में राइटर दिव्य निधी शर्मा ने फिल्म को नई दिशा दी। यहां स्पेशली एबल्ड बच्चों की काबिलियत को बारीकी से दिखाया गया है। फिल्म का ये हिस्सा दिल को छू लेता है और गुलशन के अंदर पॉजिटिव बदलाव लाता है। ये बच्चे दर्शकों को खुश रहना और जिंदगी की चुनौतियों को हल्के में लेना सिखाते हैं।

कास्टिंग और एक्टिंग

फिल्म की कास्टिंग की बात करें तो सभी कलाकारों की एक्टिंग इसमें काबिल-ए-तारीफ है। अनमोल आहुजा और टेस जोसेफ ने जिन 10 सितारों को चुना, वे पहली बार कैमरे पर आकर भी बेहतरीन एक्टिंग करते नजर आए। आमिर खान ने गुलशन के दो रूपों को बखूबी निभाया। वहीं जेनेलिया डिसूजा, डॉली अहलूवालिया और बिजेन्द्र काला जैसे कलाकारों ने भी फिल्म में जान डाल दी।

सिनेमैटोग्राफी और डायरेक्शन

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, लुक और बैकग्राउंड स्कोर शानदार है। हालांकि शंकर-अहसान-लॉय के गानों में ‘तारे जमीं पर’ जैसी गहराई नहीं मिलती। अमिताभ भट्टाचार्य के गीत फिल्म में तो प्रभावशाली हैं, लेकिन थियेटर से बाहर निकलते ही भूल जाते हैं। मूवी की कहानी तो अच्छी है लेकिन मूवी के गाने ऑडियंस को बांध नहीं पाए।

फाइनल वर्डिक्ट

'सितारे जमीन पर' आपको रुलाती नहीं, बल्कि स्पेशली एबल्ड बच्चों को बराबरी का दर्जा देने का पाठ पढ़ाती है। गर्मी की छुट्टियों में ये एक पारिवारिक, समझदार और प्रेरणादायक फिल्म है। इसे हम 3.5 स्टार्स रेटिंग देते हैं। यह भी पढ़ें: Sitaare Zameen Par और Kuberaa ओपनिंग डे पर किसका चमकेगा सितारा? जान लें प्रीडिक्शन

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