Low Budget Bollywood Movies: इंडियन सिनेमा में आज के समय में 100 करोड़ से 600 करोड़ की बड़े बजट की खूब फिल्में बन रही हैं, लेकिन इनमें से बहुत सी ऐसी फिल्में हैं जो बॉक्स ऑफिस पर धराशायी हुई हैं। आज हम आपको हिंदी सिनेमा की कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में बताएंगे जो ना सिर्फ बजट में छोटी हैं बल्कि उनका ड्यूरेशन टाइम भी बहुत कम है, लेकिन ये वाकई देखने लायक हैं। दिलचस्प बात ये है कि इनमें से कुछ फिल्मों को फिल्म फेस्टिवल्स में अवार्ड भी मिल चुके हैं। चलिए जानते हैं, कौन सी हैं कम बजट की ये छोटी फिल्में, जिन्हें एक बार देखना तो बनता है।
मट्टो की साइकिल
मट्टो एक बहुत ही साधारण प्लॉट पर बनी कहानी है, जिसमें एक लोअर क्लास आदमी अपने घर का गुजारा करने के लिए दूर जाकर कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करता है और उसके सफर में साथ देती है उसकी पुरानी टूटी-फूटी साइकिल। एक दुर्घटना के दौरान इस व्यक्ति की साइकिल टूट जाती है तो इसकी जिंदगी ही बदल जाती है। पूरी फिल्म इसी के ईद-गिर्द घूमती है।
स्केटिंग गर्ल
यह फिल्म राजस्थान के एक छोटे से गांव खेमपुर की लड़की प्रेरणा की कहानी है। एक विदेशी लड़की इस गांव में अपने पिता का पास्ट जानने आती है, तो वहां पर उसे प्रेरणा सहित कुछ बच्चियों का ग्रुप दिखता है जिन्हें स्केटिंग में महारत हासिल है। ये विदेशी लड़की कैसे इन लड़कियों को स्केटिंग चैंपियनशिप तक लेकर जाती है, पूरी कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है।
नजर अंदाज
यह फिल्म एक व्यक्ति सुधीर की कहाना है जो जन्म से ही दृष्टिहीन है, लेकिन जब उनकी जिंदगी में एक चोर उसका सहारा बनता है तो उसकी जिंदगी बदल जाती है। पूरी कहानी इसी के आसपास घूमती नजर आती है।
कौन प्रवीण तांबे
भारतीय क्रिकेटर प्रवीण तांबे की बायोपिक फिल्म में श्रेयस तलपड़े हैं, जिसमें ये दिखाया गया है कि उम्र सिर्फ एक नंबर है और आपको अगर कुछ कर गुजरना है तो उसके लिए जुनून होना जरूरी है।
परीक्षा
एक रिक्शावाला अपने बेटे को पढ़ाने के लिए एक बेहतरीन स्कूल में दाखिले के लिए बहुत जद्दोजहद करता है, लेकिन भेदभाव के चलते उसके बेटे की पढ़ाई में रोड़े आ जाते हैं। पूरी फिल्म की कहानी इसी के ईद-गिर्द घूमती दिखाई देती है।
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