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Pankaj Udhas Death: उदास कर गए गजल सम्राट, बेहद यादगार रहा पंकज उधास का सफर

Pankaj Udhas Death: गज़ल की दुनिया की हिंदुस्तान की सबसे मखमली आवाज़ ख़ामोश हो गई। 72 साल की उम्र में पंकज उधास ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी बेटी नायब उधास ने सोशल मीडिया पोस्ट कर ये ख़बर दी और बताया कि लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। जानकारी के मुताबिक, […]

Pankaj Udhas Death at the age of 72 unknown facts about singer
Pankaj Udhas Death: गज़ल की दुनिया की हिंदुस्तान की सबसे मखमली आवाज़ ख़ामोश हो गई। 72 साल की उम्र में पंकज उधास ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी बेटी नायब उधास ने सोशल मीडिया पोस्ट कर ये ख़बर दी और बताया कि लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। जानकारी के मुताबिक, उन्हे कुछ महीने पहले कैंसर डिटेक्ट हुआ था, वो ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में एडमिट थे।

चिठ्ठी आई है गाने ने दी पहचान (Pankaj Udhas Death)

इस ख़बर को सुनकर हिंदुस्तान में गज़ल का हर दीवाना मायूस है। 80 के दशक की सबसे मखमली आवाज, जिसने मय खाने और साकी पर एक बाद एक तमाम हिट गजलें गाई है। ‘एक तरफ उसका घर एक तरफ मयकदा’, ‘हुई महंगी बहुत ही शराब’ और ‘शराब चीज ही ऐसी है’ जैसी गज़लों को गाकर बेशुमार शोहरत हासिल की और फिर इसी दशक में डायरेक्टर महेश भट्ट ने अपनी फिल्म नाम में उस से गाना दिया। चिठ्ठी आई है और इस गाने ने पंकज उधास की दुनिया ही बदल दी। 18 साल पहले ही गज़ल गायिकी में अपनी सिल्वर जुबली मना चुके पंकज उधास को भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा।

6-7 साल की उम्र से ही शुरू किया गाना

गुज़रात के राजकोट के पास एक छोटे से गांव चरखड़ी में जमींदार परिवार हुआ करता था। पंकज उधास का जहां राजा-महाराजा के परिवार में संगीतकारों और कलाकारों को बुलाकर उनसे कार्यक्रम करवाया जाता था। उधास परिवार में संगीत वहीं से आया। आज़ादी मिलने के बाद जब पंकज उधास के पिता अपनी सरकारी नौकरी से लौटकर जब घर आते... तो अपने साज़ को लेकर रियाज़ करते यहीं से पकंज के बड़े भाई मनहर और उनके छोटे भाई निर्मल उधास की भी संगीत की दिलचस्पी जागी। बड़े भाईयों, पिता और मां की गायिकी का शौक पंकज उधास को भी लगा और 6-7 साल की उम्र से ही उन्होने भी गाना शुरु कर दिया।

प्रार्थनाओं और भगन गायिकी का सिलसिला

घर के पास ही स्कूल में हेड मास्टर असेंबली में पंकज उधास को बुलाते और उनसे प्रार्थना गवाते। स्टेज पर प्रार्थनाओं और भगन गायिकी का सिलसिला यही से शुरु हो गया। बड़े भाई मनहर उदास इंजीनियरिंग छोड़कर गायिकी की दुनिया में आएं तो पंकज उधास ने भी बाकयदा गायिकी की ट्रेनिंग शुर कर दी। 1962 में भारत-चीन युद्ध के वक्त लता मंगेशकर का गाया गाना ऐ मेरे वतन के लोगों का असर पूरी देश में था। इसी दौरान, जिस कॉलोनी में पंकज उधास का परिवार रहता था, उसमें माता की चौकी हो रही थी।

जब पंकज को मिला 51 रुपए का ईनाम

इस प्रोग्राम में पंकज उधास के टीचर ने उनसे एक गाना गाने को कहा और 11 साल के मासूम पंकज उदास ने यहां लता जी का गाया गाना – ऐ मेरे वतन के लोगों को गुनगुनाया वहां बैठे सारे लोगों की आख़ें इस मासूम से बच्चे की आवाज़ सुनकर गीली हो गई और एक दर्शक ने उठकर उन्हे 1962 में 51 रुपए का ईनाम दिया। मनहर और निर्जल ने संगीत की दुनिया में जब नाम कमाया तो पंकज उधास का भी एडमिशन राजकोट की संगीत एकेडमी में करा दिया गया। इसे पूरा करने के बाद अपने भाईयों के साथ वो स्टेज पर जाते, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में मुकाम बना पाना इतना भी आसान नहीं था। यह भी पढ़ें- अमीरों की पार्टी से गजल को पंकज उधास ने दिलाई थी मुक्ती, ऐसे बने संगीत की दुनिया के बेताज बादशाह

धर्मेंद्र की फिल्म के गाने को दी आवाज

1970 में पंकज उधास ने धर्मेंद्र की फिल्म तुम हसीं मैं जवां के गाने मुन्ने की अम्मा ये बता में एक किशोर कुमार के साथ गाने का एक हिस्सा गाया और फिर फिल्म कामना के लिए भी एक गाना गाया। वो फिल्म फ्लॉप हो गई। इस नाकामी के बाद पंकज उधास ने विदेश मे जाकर रहने का फैसला किया, हांलाकि उन्हे वहां नाम और पहचान दोनो मिली। 1980 में पंकज उधास का पहला एलबम आहट रिलीज़ हुई, जो बेहद कामयाब रही। इसके बाद 1982 मे दूसरा एलबम तरन्नुम, 1983 में तीसरा एलबम महफ़िल रिलीज़ हुई। मगर असल कामयाबी उन्हे 1985 में नायाब और 1986 में आफरीन से मिली।

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