Chhaava Review: (Navin Singh Bhardwaj) भारत का इतिहास कई वीर योद्धाओं की गाथाओं से भरा पड़ा है। हर राज्य और हर शहर में आपको ऐसे नायकों की कहानियां सुनने को मिलेंगी। कई ऐतिहासिक फिल्मों और वेब सीरीज के जरिए हम इन वीरों की गाथा को देखते हैं और महसूस कर पाते हैं। इसी कड़ी में अब छत्रपति संभाजी महाराज की कहानी बड़े पर्दे दिखाई जा रही है। निर्माता दिनेश विजान और लक्ष्मण उतेकर की फिल्म “छावा” 14 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म शिवाजी सावंत के प्रसिद्ध उपन्यास “छावा”* पर आधारित है। आइए जानते हैं फिल्म की कहानी।
कैसी है फिल्म की कहानी?
यह कहानी 17वीं शताब्दी की है, जब मुगलों के बादशाह औरंगजेब (अक्षय खन्ना) का शासन था। छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद उनके पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज (विक्की कौशल) मराठा साम्राज्य की बागडोर संभालते हैं। उधर, औरंगजेब इस खबर से नाखुश होता है और दक्षिण की ओर कूच करता है ताकि मराठाओं पर राज कर सके। लेकिन संभाजी महाराज भी तैयार होते हैं और एक बड़े युद्ध की शुरुआत होती है। आगे की कहानी जानने के लिए आपको सिनेमाघरों का रुख करना पड़ेगा।
डायरेक्शन, कहानी और म्यूजिक
फिल्म लक्ष्मण उतेकर के डायरेक्शन में बनी है, जो इससे पहले विक्की कौशल के साथ “जरा हटके जरा बचके” भी बना चुके हैं। फिल्म के कई सीन्स में छत्रपति शिवाजी महाराज की झलक देखने को मिलती है। इसकी कहानी का थोड़ा सा हिस्सा अजय देवगन की आवाज में सुनाया गया है। हालांकि, फिल्म का पहला हाफ कभी बहुत धीमा तो कभी अचानक तेज रफ्तार पकड़ लेता है, जिससे कहानी की लय टूटती नजर आती है। संभव है कि सेंसर बोर्ड ने कई सीन काट दिए हों, जिससे फिल्म की स्टोरी टेलिंग प्रभावित हुई हो। फिल्म के डायलॉग्स ऋषि विरमानी और इरशाद कामिल ने लिखे हैं, जो अच्छे हैं लेकिन ज्यादा प्रभावी नहीं लगते। ए. आर. रहमान द्वारा दिया गया बैकग्राउंड स्कोर और गाने भी कुछ खास असर नहीं छोड़ते। मराठाओं के वीर इतिहास पर बनी इस फिल्म में संगीत की गूंज और प्रभाव की कमी खलती है।
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फिल्म की कास्ट
विक्की कौशल ने इस फिल्म में छत्रपति संभाजी महाराज के किरदार में बेहतरीन काम किया है। उनका समर्पण पर्दे पर साफ झलकता है। अक्षय खन्ना ने औरंगजेब के किरदार में वह प्रभावशाली लग रहे हैं, उनके अभिनय में ठहराव और गहराई दिखी है। रश्मिका मंदाना ने महारानी येसुबाई की भूमिका निभाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उनके किरदार में कुछ कमी महसूस होती है। दिव्या दत्ता और आशुतोष राणा ने राजमाता सोयराबाई और हंबीरराव मोहिते के किरदारों में शानदार परफॉर्मेंस दी है। विनीत कुमार सिंह ने कवि कलश का किरदार निभाया और फिल्म में अपनी अलग पहचान बनाई। डायना पेंटी ने औरंगजेब की बेटी जीनत-उन-निशा बेगम के किरदार में नजर आईं, लेकिन उनका किरदार बहुत प्रभावी नहीं रहा।
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फाइनल वर्डिक्ट
फिल्म “छावा” भारत के इतिहास के एक महान योद्धा की कहानी पर बनी है। हालांकि, इसकी स्टोरीलाइन और म्यूजिक में थोड़ी कमी लगी है। लेकिन विक्की कौशल का शानदार एक्टिंग और युद्ध के सीन्स इस फिल्म को एक बार देखने लायक जरूर बनाते हैं। यदि आपको ऐतिहासिक फिल्मों का शौक है और मराठा वीरों की कहानियों से प्रेरित होते हैं, तो यह फिल्म जरूर देखना चाहिए।
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