शब्दों के जादूगर मिर्जा गालिब की शायरी जो बना देगी आपको दीवाना

Hema Sharma

आज ही के दिन शब्दों के साथ जादूगरी करने वाले मिर्जा गालिब ने दुनिया को अलविदा कहा था, उन्हें याद करते हुए पढ़ते हैं उनकी शायरी

तुम से बेजा है मुझे अपनी तबाही का गिला उसमें कुछ शाएबा-ए-ख़ूबिए-तक़दीर भी था

शब्दों से खेलते थे

पूछते हैं वो कि 'ग़ालिब' कौन है, कोई बतलाओ कि हम बतलाएं क्या।

उर्दू के फेमस शायर थे

इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया, वर्ना हम भी आदमी थे काम के !

आज उनकी पुण्यतिथि है

"उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़ वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है"

महंगी शराब पीने के थे शौकीन

"रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है"

शायरी का था नशा

हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी, कुछ हमारी ख़बर नहीं आती"

हमेशा रहेंगे याद