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Bhediya Review: वरुण धवन और कृति सेनन ने ‘भेड़िया’ में कांड कर दिया, देखने से पहले रिव्यू पढ़ना है जरूरी

Bhediya Review, Ashwani Kumar: वरुण धवन और कृति सेनन ने फिल्म भेड़िया में कांड कर दिया है। वहीं इस फिल्म को देखने से पहले इसका रिव्यू पढ़ना जरूरी है। 1- जंगल को बचाना है। 2- नॉर्थ ईस्ट के लोगों के लिए भेदभाव को ख़त्म करना है। 3- इंसान और जानवरों के बीच के कनेक्शन को […]

Bhediya Review: वरुण धवन और कृति सेनन ने 'भेड़िया' में कांड कर दिया, देखने से पहले रिव्यू पढ़ना है जरूरी
Bhediya Review, Ashwani Kumar: वरुण धवन और कृति सेनन ने फिल्म भेड़िया में कांड कर दिया है। वहीं इस फिल्म को देखने से पहले इसका रिव्यू पढ़ना जरूरी है। 1- जंगल को बचाना है। 2- नॉर्थ ईस्ट के लोगों के लिए भेदभाव को ख़त्म करना है। 3- इंसान और जानवरों के बीच के कनेक्शन को समझाना है। 4- जंगल की लोक कथा और मान्यताओं को समझाना है। 5- वर्ल्ड क्लास VFX दिखाना है। 6- ऑडियंस को जमकर हंसाना है। 7- जंगल की खूबसूरती और डरावना रूप दोनों दिखाना हैष 8- और डराना भी है। भेड़िया की कहानी इस 8 सुत्रीय कार्यक्रम को लेकर आगे बढ़ती है। अब एक फिल्म के लिए जो 2 घंटे 36 मिनट की है, जिसमें गाने भी होंगे, थोड़ा रोमांस भी होगा... उसमें ये सब समेटना बहुत मुश्किल है। इस मुश्किल को राइटर निरेन भट्ट और अमर कौशिक ने जैसे शानदार तरीके से निभाया है, उससे बॉलीवुड को सीखना होगा।  और पढ़िए Khakee: The Bihar Chapter Review: बिहार के गैंगवार की कहानी दिखाती है ‘खाकी: द बिहार चैप्टर’, पढ़ें रिव्यू मतलब 3D में फिल्म देखना एक तर्जुबा है। फिल्म की कहानी में जब भास्कर भेड़िया बनता है, तो आपको ये ट्रांसफॉरमेशन इनता रीयल लगता है कि लगता है कि आपकी अपनी हड्डियां टूट रही हैं। जब भेडिया जंगल में जाता है और विषाणु के साथ पूरे जंगल की खूबसूरती दिखाई जाती है, तो लगता है कि डिज़्नी की जंगल बुक देख रहे हैं। इतना ज़बरदस्त वीएफएक्स का काम देखकर, लगता है कि वाकई हम आगे बढ़ रहे हैं। भेड़िया का फर्स्ट हॉफ़ मुड सेट करता है यानि वो भास्कर के दिल्ली से अरुणाचल प्रदेश तक पहुंचने की कहानी है। जंगल के पेड़ काटकर, हाईवे बनाने की साज़िश है, आदिवासियों के जंगल को अपना भगवान मानने, परंपरा और मान्यताओं को झलक दिखाता है, भास्कर-जनार्दन और जोमिन की केमिस्ट्री सेट करता है, जानवरों की डॉक्टर अनिका की एंट्री और पांडा की चेतावनी के लिए माहौल बनाता है। आपको जमकर हंसाता है, लेकिन फिर भी फर्स्ट हॉफ में थोड़ा खाली पन रह जाता है, क्योंकि भास्कर के भेड़िया रूपांतरण का असर फर्स्ट हॉफ के बिल्कुल एड में है। यानि इतना कुछ हो जाता है, लेकिन आपकी भूख बस शुरु ही होती है, बिल्कुल खाने से पहले स्टार्टर की तरह।  और पढ़िए –  Freddy Review: कार्तिक आर्यन की फिल्म ‘फ्रेडी’ इंटेंस है, डार्क है…और थोड़ी प्रेडिक्टेबल, यहां पढ़ें रिव्यू सेकेंड हॉफ आपको चौंकता है, हंसाता है, डराता है और ऐसे-ऐसे सरप्राइज़ देता है, जिसके लइए आप बिल्कुल भी तैयार नहीं होते। जंगल और पर्यावरण की बात, भेड़िया में इतनी आसानी से बिना बोरिंग क्लासरूम के समझा दी गई है, कि आप एक भी पेड़ को कटते देखकर, उसके खिलाफ़ बोलेंगे। नार्थ-ईस्ट के लोगों के साथ दशकों से चले आ रहे भेदभाव का भी ये फिल्म इनता सिंपल सॉल्यूशन देती है, कि मुंह मीठा हो जाता है। भेड़िए को बुलाने के लिए हाउलिंग की जगह, हिमेश रेशमिया का तेरा सुरूर बजाना, शहनाज़ गिल का क्या करूं मैं मर जाऊं वाले डायलॉग को बखूबी फिट करना, संजीव कुमार की जानी दुश्मन से लेकर, राहुल रॉय की जुनून और फिर गुलज़ार के लिए गाने जंगल-जंगल बात चली है तक, भेड़िया की स्क्रिप्ट में निरेन भट्ट ने बहुत खूबी से पिरोया है। निरेन का लिखा एक भी जोक, गलत लैंड नहीं करता... सारे कॉमिक सेक्वेंस, हॉरर वाली फीलिंग के साथ अपना असर छोड़ते हैं। अमर कौशिक ने इस फिल्म को बहुत खूबी से समेंटा है, एक लम्हे के लिए बिखरने नहीं दिया। हंसाते हुए सिखाना, उनकी काबिलियत है। अरुणाचल प्रदेश की खूबसूरती, जंगल का डर और उसकी ब्यूटी को सिनेमैटोग्राफर जिष्णु भट्टाचार्जी ने बहुत सलीके से पेश किया है। और विज़ुअल इफेक्ट्स तो ऐसे हैं, कि आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। ठुमकेश्वरी को फिल्म का हिस्सा ना बनाकर और प्रमोशन में इस्तेमाल करने का आइडिया शानदार है। अमिताभ भट्टाचार्या के लिरिक्स और सचिन जिगर का म्यूज़िक सिचुएशन के हिसाब से बिल्कुल परफेक्ट है। अब परफॉर्मेंस पर आते हैं। भेड़िया की जान वैसे तो वरुण हैं, लेकिन इस बार अपनी दमदार अदाकारी से सबसे ज़्यादा नंबर हासिल किए हैं अभिषेक बनर्जी ने। जर्नादन के किरदार में अभिषेक की कॉमिक टाइमिंग इतनी परफेक्ट है, कि आप हर बार उनके पंचेज़ को गौर से सुन रहे होते हैं। वरुण धवन ने अपने करियर की डिफाइनिंग परफॉरमेंस दी है। भास्कर और भेड़िए के फर्क को मिटाने के लिए, वरुण ने अपनी जान लगा दी है। कृति सेनन, भेड़िया का सरप्राइज़ पैकेट हैं, शुरुआत से लेकर एन क्लाइमेक्स के पहले तक लगता है कि डॉक्टर अनिका बनी कृति को कुछ और स्पेस मिलता, लेकिन ऐन क्लाइमेक्स पर उनके कैरेक्टर के ट्विस्ट ने भेड़िया का ग्राफ बढ़ा दिया है। दीपक डोबरियाल अपने किरदार में चमकते हैं। हां, सौरभ शुक्ला का रोल गेस्ट अपीयरेंस जैसा है, लेकिन उनकी काबिलियत पर किसे शक है। अपने सेकेंड्स के रोल में भी शरद केलकर असर छोड़ जाते हैं। Qala Review: तृप्ति डिमरी और बाबिल की फिल्म को टिककर देखिए, क्योंकि ये ‘कला’ है भेड़िया देखिए, सीखने के लिए, समझने के लिए और हंसने के लिए... वो भी थियेटर में जाकर भेड़िया को 3.5 स्टार।  और पढ़िए –  Reviews से  जुड़ी ख़बरें

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