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Dhaakad Movie Review: फायर है ‘एजेंट अग्नि’. कंगना भारत की ‘007’ बनने को तैयार

लोग कहते हैं बॉलीवुड में हौसला कम है। एक्सपेरीमेंट करने का, रोमांस से बाहर निकलने का, कुछ अनोखा और कुछ इंटरनेशनल दिखाने का। धाकड़ के ट्रेलर ने प्रॉमिस किया कि हिंदुस्तान की पहली सीक्रेट एजेंट अग्नि के ज़रिए वो बॉलीवुड को एक नया धाकड़ तोहफ़ा देना चाहता है। ये सच भी है कि फिल्म देखकर, […]

लोग कहते हैं बॉलीवुड में हौसला कम है। एक्सपेरीमेंट करने का, रोमांस से बाहर निकलने का, कुछ अनोखा और कुछ इंटरनेशनल दिखाने का। धाकड़ के ट्रेलर ने प्रॉमिस किया कि हिंदुस्तान की पहली सीक्रेट एजेंट अग्नि के ज़रिए वो बॉलीवुड को एक नया धाकड़ तोहफ़ा देना चाहता है। ये सच भी है कि फिल्म देखकर, लगता है कि आप कुछ इंटरनेशनल देख रहे हैं।

कंगना रनौत की धाकड़ के साथ ऐसी ही उम्मीदों को अंबार है। आप जब फिल्म देखते हैं, तो कंगना को देखते ही रह जाते हैं। एंजेट अग्नि के तौर पर उनके एक्सप्रेशन्स, उनका एक्शन, इंटरनेशनल लोकेशन… ये सब कुछ मिलाकर आपको लगता है कि आप बॉलीवुड से सीधा निकलकर बॉन्ड 007 की दुनिया में आ गए हैं।

कहानी समझनी है, तो ट्रेलर ने उसे बता दिया है कि एजेंट अग्नि, जिसका कोड नेम ड्रैगन फ्लाई है, वो एक ह्यूमन ट्रैफिकिंग सिडिकेट को ख़त्म करने के मिशन पर है। इस मिशन की शुरुआत होती है, तो इंटरनेशनल ऑपरेशन से है, लेकिन इसके तार जुड़े हैं इंडिया के कोल माफिया रुद्रवीर से। फिल्म की शुरुआत ही बुडापेस्ट में एक ज़बरदस्त एक्शन सीक्वेंस से होती है, जहां एजेंट अग्नि को एक पेन ड्राइव मिलती है। इस पेन ड्राइव को डिकोड करके रुद्रवीर की डिटेल्स मिलती हैं। अब एजेंट अग्नि को इंडिया आना है, रुद्रवीर के बारे में हर इन्फॉर्मेशन जुटानी है। इंडिया में अग्नि को एक लोकल एसेट फज़ल मिलता है। और फिर शुरु होता है चूहे-बिल्ली का खेल। कंगना लुक्स बदलती है, इमोशन्स से खेलती है, बंदूकों से खेलती हैं और रुद्रवीर की सल्तनत में दाखिल हो जाती हैं। लेकिन यहां एजेंट अग्नि का ऑपरेशन कॉम्प्रोमाइज्ड हो जाता है। एजेंट अग्नि को फाइलो में डेड डिक्लेयर कर दिया जाता है। इसके साथ शुरु होती है एजेंट अग्नि की बैक स्टोरी, रुद्रवीर से उसकी दुश्मनी के तार अब पर्सनल हो जाते हैं। मगर इस बीच कंगना के यकीन को एक ज़ोरदार ठोकर लगती है। जिसे वो अपना समझती है, वो उसका सबसे बड़ा गुनहगार निकलता है।

धाकड़ जब आप देखते हैं, तो इसके अंदाज़ को देखकर दंग रह जाते हैं, इंटरनेशनल सिनेमैटोग्राफर और एक्शन डायरेक्टर के साथ मिलकर कंगना के एक्शन सीन्स पर फिदा हो जाते हैं, लगता है कि हम वाकई कुछ ऐसा देख रहे हैं, जो इंडियन सिनेमा में इससे पहले नहीं किया गया।

मगर इन सबके साथ, धाकड़ एक बहुत बड़ी कमी लेकर आता है और वो है कहानी की। इंटनेशनल लुक देने के चक्कर में फिल्म की कहानी को कसना रेज़ी घई उर्फ़ रजनीश घई भूल गए। शायद इसकी वजह ये है कि वो इससे पहले एड फिल्म मेकर रहे हैं, और इसी के चलते फिल्म के विज़ुअल्स कमाल के हैं, मोंटाज अच्छे से पेश किए गए हैं। मगर किसी फिल्म को वाकई नेक्स्ट लेवल पर ले जाने के लिए ज़रूरत होती है, एक बेहतरीन स्क्रीनप्ले की। धाकड़, सुपरहिट मसालों के साथ भी, कच्ची सब्ज़ी बनकर रह जाती है। शुरु से अंत तक कहानी के तार नहीं जुड़ते, मेन विलेन और रुद्रवीर के बीच का कनेक्शन, तो ऐसी पहेली बन जाता है, जिसे आप सुलझा ही नहीं सकते।

परफॉरमेंस पर आइएगा, तो कंगना रनौत ने वो करने का हौसला दिखाया है, जो बॉलीवुड में अब तक किसी हीरोइन ने सोचा भी नहीं। 80 करोड़ की फिल्म अपने कंधे पर उठाकर ने सीक्रेट सर्विस और हैवी ड्यूटी एक्शन की ऐसी दुनिया में कदम रख दिया है, जिसमें अब तक सिर्फ़ बड़े हीरो को एंट्री मिलती थी। इसके लिए कंगना की तैयारियां देखकर आप दंग होते हैं। रुद्रवीर के किरदार में अर्जुन रामपाल को लगता है कि नया जीवन मिल गया है। स्क्रीन पर उनका विलेनियस अंदाज़ बेहतरीन है, ये अर्जुन के करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित होने वाला है। दिव्या दत्ता शानदार एक्ट्रेस हैं, वो जहां दिखती है और जैसे दिखती हैं आप बस उन्हे देखते हैं। लेकिन सच तो ये है कि रोहिणी ने किरदार में दिव्या मिस फिट हैं। अर्जुन के साथ आप दिव्या दत्ता को पचा नहीं पाते। सास्वत चटर्जी, को जितना स्क्रीन स्पेस मिला है, उन्होने उतने में ही समझा दिया है कि छोटा-बड़ा कुछ नहीं होता, एक्टर एक सीन में भी अपना कमाल दिखा सकता है।

धाकड़ एक ब्रेक थ्रो है, शानदार है, समझ लीजिए कि इंडियन 007 की नक्शे कदम पर है। बस कहानी में धार होती, तो बात बन जाती। कंगना के धाकड़ फैन्स के लिए ये फिल्म एक ट्रीट है।

धाकड़ को 3 स्टार।

First published on: May 20, 2022 02:31 PM

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