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Zwigato: आधी अधूरी रिसर्च का नतीजा है ज्विगाटो, पर्दे पर कमाल दिखाने में फेल हुए Kapil Sharma

Zwigato Film Review: कॉमेडियन कपिल शर्मा एक बार फिर सिल्वर स्क्रीन पर नजर आ रहे हैं। फिल्म ‘ज्विगाटो’ के जरिए उन्होंने एक बार फिर अभिनय करने की ठानी है। बता दें कि 6 साल पहले कपिल की फिल्म ‘फिरंगी’ रिलीज हुई थी जिसके बाद अब उनकी ज्विगाटो आ गई है। आज 17 मार्च को फिल्म […]

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Zwigato Film Review: कॉमेडियन कपिल शर्मा एक बार फिर सिल्वर स्क्रीन पर नजर आ रहे हैं। फिल्म 'ज्विगाटो' के जरिए उन्होंने एक बार फिर अभिनय करने की ठानी है। बता दें कि 6 साल पहले कपिल की फिल्म 'फिरंगी' रिलीज हुई थी जिसके बाद अब उनकी ज्विगाटो आ गई है। आज 17 मार्च को फिल्म रिलीज हो गई है। फिल्म के रिलीज होने पर आइए जानते हैं कैसा है फिल्म का रिव्यू।

आर्थिक तंगी की मार झेलता है पूरा परिवार (Zwigato Film Review)

नंदिता दास की फिल्म ज्विगाटो एक डिलीवरी ब्वॉय की कहानी है। कोविड के दौरान कोई एक देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व इसकी चपेट में था। इस दौरान न जाने कितने लोगों ने अपनो को खोने के साथ ही साथ आर्थिक मंदी का भी सामना किया। न जाने कितने ही लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। हजारों, लाखों कमाने वाले कब पैसे के मोहताज हो गए पता ही नहीं चला। यह फिल्म एक ऐसे ही परिवार की कहानी है जिस पर आर्थिक मुसीबत आ पड़ी है। ऐसे में ज्विगाटो के लीड रोल को अपनी नौकरी से हाथ धोने के बाद फूड डिलीवरी ब्वॉय का काम करना पड़ रहा है। पत्नी प्रतिमा चाहती है कि वह भी कुछ काम कर ले। दोनों के दो बच्चे हैं, स्कूल में पढ़ते हैं। घर पर बूढ़ी मां भी है। अब एक तरफ नौकरी का संघर्ष है तो दूसरी तरफ परिवार की जिम्मेदारियों हैं और इन दो पाटों के बीच पिसती सी चलती है फिल्म ‘ज्विगाटो’ की कहानी।

निर्देशक के तौर पर फेल हो गईं नंदिता दास (Director Nandita Das)

बात कर लेते हैं फिल्म हिट साबित हुई या फ्लॉप तो निर्देशक के तौर पर अगर देखा जाए तो फिल्म में नंदिता दास लोवर मिडिल क्लास फैमिली को पर्दे पर उतारने में नाकाम साबित हुई हैं। फिल्म में वो रियालिटी नहीं दिखी जिसस वास्तव में लोवर मिडिल क्लास की फैमिली हर दिन रूबरू होती होगी। बेशक इस फिल्म पर और रिसर्च की जरूरत थी। पहली बात तो फिल्म कहानी में ही मात खा जाती है। फिल्म की कहानी में वो गहराई ही नहीं है जिसकी इसे जरूरत थी। कहानी में कई ऐसे पहलू जोड़े गए जो न भी होते तो काम चल जाता उदाहरण के तौर पर फिल्म में नेता-नगरी को जोड़ने की कोई जरूरत ही नहीं थी क्योंकि फिल्म का मूल विषय ही कुछ और था।

 फीके पड़ गए कलाकारी के रंग  (Kapil Sharma In Zwigato)

अब बात कर लेते हैं अभिनय की तो लीड रोल में नजर आने वाले कॉमेडियन कपिल शर्मा का अभिनय फीका साबित हुआ। एक्टिंग से पहले अगर कपिल शर्मा रियल लाइफ डिलीवरी ब्वॉय से मिलते और उन्हें समझते तो अपने किरदार को समझना उनके लिए और आसान हो जाता। बता दें कि यह नंदिता दास के साथ ही साथ कपिल शर्मा की बतौर एक्टर तीसरी फिल्म है। कपिल शर्मा ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत अब्बास -मस्तान के निर्देशन में बनी फिल्म ‘किस किसको प्यार करूं’ से की। फिर उन्होंने खुद अपनी दूसरी फिल्म बनाई, ‘फिरंगी’। इस फिल्म ने कपिल की कलाकारी के सार रंग फीके कर दिए। छह साल के बाद कपिल शर्मा ने फिर हिम्मत जुटाई हैं और नंदिता दास की फिल्म ‘ज्विगाटो’ के जरिए एक बार फिर दर्शकों के सामने हैं। बात करें नंदिता दास की तो 'ज्विगाटो' से पहले नंदिता दास 'फिराक' और 'मंटो' जैसी फिल्में निर्देशित कर चुकी हैं।

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