Guthlee Ladoo Movie Review: यह फिल्म सभी लोगों से यही सवाल उठती है कि आखिर कब तक हमारे समाज में जाती वाद को लेकर लोग एक दूसरे से बचते रहेंगे। इस फिल्म ने सभी से ये सवाल किया है कि अगर छोटी जात वाला अफसर बन गया तो बड़ी जात वाले को उससे हाथ मिलाने में दिक्कत नहीं लेकिन अगर वो सफाई करने वाला है तो उसके छूने से भी काफी तकलीफ हो जाती है। आज के समय में बनी ये फिल्म लोगों से पूछ रही है कि इस तरह की फिल्म कब तक बनती रहेगी और अगर ऐसा हो रहा है तो ये सब कब होता रहेगा।
ये है फिल्म की कहानी (Guthlee Ladoo Movie Review)
फिल्म की कहानी गुठली और लड्डू नाम के दो बच्चों की छोटी जाति को लेकर हैं। बच्चों का परिवार साफ सफाई का काम करता है लेकिन गुठली को पढ़ना काफी पसंद है और वो पढाई करना चाहता है। वो स्कूल की खिड़की से ही सब कुछ समझ लेता है जो क्लास में बैठे बच्चे नहीं समझ पाते लेकिन गुठली छोटी जाति का है इसलिए उसे स्कूल में एडमिशन नहीं मिलता।
वहीं स्कूल के प्रिंसिपल संजय मिश्रा भी पहले उसे पसंद नहीं करते हैं लेकिन उसके बाद वो चाहते हैं कि उसे एडमिशन मिल जाए। साथ ही गुठली के पिता भी ये चाहते हैं कि उसका पढ़ाई करे। क्या गुठली को बड़ी जाति वालों बच्चों के साथ एडमिशन मिल पता है। यही आपको इस फिल्म में देखने को मिलेगा। इस फिल्म कहानी आपको भी कही न कही ये सोचने पर मजबूर कर सकती है कि ऐसा आज के समय क्यों हो रहा है।
किस तरह की है फिल्म