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Runway 34 Review: अजय देवगन के डायरेक्शन में भारत की पहली ‘Aviation Thriller’ , Must Watch

अजय देवगन ने अपनी फिल्म Mayday का नाम बदलकर रनवे 34 रख दिया था। वजह थी कि अजय देवगन को समझ आ गया था कि अच्छे खासे पढ़े लोग भी Mayday का मतबल समझ नहीं पाएंगे। रनवे 34 के साथ यही मुश्किल आने वाली है कि एंटरटेनमेंट देखने के शौकीन लोगों को खराब मौसम, कम तेल और ख़तरे में फंसी 150 ज़िंदगियों के हालात समझ में आएगी या नहीं ?

सबसे पहले MAYDAY का मतलब समझिए। इसका मतलब होता है एविएशन और मरीन सेक्टर यानि हवाई जहाज और पानी के जहाज, जब ज़िंदगी और मौत के बीच झूलते हैं, तो पायलट एमरजेंसी प्रोसेजर वर्ड MAYDAY का इस्तेमाल करते हैं। ये एक SOS यानि एमरजेंसी मैसेज होता है, जो पायलट की तरफ़ से भेजा जाता है। सुनने में ये बहुत टेक्निकल लगता है, और अजय देवगन की खूबी ये है कि फिल्म में उन्होने इस टेक्नीकैलिटी को बिल्कुल आसान कर दिया है।

दुबई से कोचिन जा रही एक फ्लाइट. ऐन लैडिंग के पहले ऐसे ख़राब मौसम में फंसी जाती है कि फ्लाइट को लैंड करना नामुमकिन है। कोचिन एयरपोर्ट पर दो अनसक्सेसफुल लैंडिग के बाद, एयर ट्रैफिक कंट्रोल इंस्ट्रक्शन्स के साथ फ्लाइट को त्रिवेन्द्रम की ओर डाइवर्ट कर दिया जाता है। इस बीच कोचिन के एयर ट्रैफिक कंट्रोल टीम से एक गड़बड़ होती है कि वो फ्लाइट कैप्टन विक्रांत और को-कैप्टन तान्या को ये जानकारी देना मिस कर जाते हैं कि त्रिवेंद्रम में भी मौसम के हालत तेजी से बिगड़ रहे हैं। ऐसे में कैप्टन विक्रांत जब प्लेन लेकर त्रिवेंद्रम पहुंचते हैं, तो रनवे पर प्लेन उतारने के हालात नहीं है, ना ही उनके पास और तेल है कि प्लेन को हवा में रखा जा सके। हालात के बीच फंसकर कैप्टन विक्रांत फैसला लेते हैं कि वो रनवे 34 पर प्लेन उतारेंगे, जो इस खराब मौसम में लैडिंग के लिए सबसे गलत चुनाव हो सकता है। इस बीच कैप्टन विक्रांत MAYDAY का SOS मैसेज भेजते हैं… और 150 पैसेंजर्स को मौत से चंद कदम दूर, प्लेन की सेफ लैंडिंग कराकर हीरो बन जाते हैं।

मगर MAYDAY एनाउंस करने के साथ ही इस हादसे को लेकर इन्वेस्टीगेशन ने बैठती है। कैप्टन विक्रांत और कैप्टन तान्या को AAIB के तेज तर्रार ऑफिसर नारायण वेदांत की इन्वेस्टीगेशन और एवीएशन कोर्ट रूम का सामना करना होता है। यहां कहानी एक और टर्न लेती है। कैप्टन विक्रांत ने जो किया, वो सही था या गलत ? सेकेंड हॉफ़ इसी सवाल को लेकर आगे बढ़ता है। टर्न, ट्विस्ट, लाई डिटेक्टर टेस्ट, हादसे के बाद हार्ट अटैक से हुई एक मौत और कोर्ट के सामने रूल ब्रेकर विक्रांत का सच….। बहुत कुछ।

एक बात मानकर चलिए कि रनवे34 को बनाने का फैसला करना ही अपने आप चुनौती है। हिंदुस्तान में ये पहली बार है, जब कॉकपिट के दूसरी ओर की कहानी दिखाई जा रही है। एक प्लेन के अंदर, जो कुछ होता है…. वो ऑडियंस पहली बार देख रही है, हर मिनट पर होने वाले फैसलों को समझ रही है। हिंदुस्तान की पहली एविएशन फिल्म रनवे, इस मामले में पहले ही स्कोर कर लेती है।

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फिल्म का फर्स्ट हॉफ शानदार है। जो लोग फ्रेक्वेंट फ्लायर हैं और खराब मौसम में कभी भी फंसे हैं। रनवे34, उनके लिए Déjà vu (डेजा वू) वाली फीलिंग लेकर आएगा। आप थियेटर में बैठकर अपनी कुर्सी पर चिपक जाएंगे, शायद आप आगे प्लेन में बैठने से भी डरें। कमाल के फर्स्ट हॉफ में अजय देवगन ना सिर्फ़ एक्टर, बल्कि डायरेक्टर के तौर पर चमकते हैं। टेक्नीकल साइड में अजय देवगन कमाल हैं। असीम बजाज की सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन है।

सेकेंड हॉफ़ कोर्ट रूम ड्रामा है, फिल्म की इमोशनल साइड है… इसलिए थोड़ा स्लो ज़रूर लगता है। लेकिन ये भी समझिए कि ये फॉर्मेट कमाल का है, जहां फर्स्ट हॉफ थ्रिलिंग और सेकेंड हॉफ़ इमोशनल हो। सेकेंड हॉफ़ देखने के बाद फिल्म का फर्स्ट हॉफ देखकर डरे, लोगों को समझ आएगा कि एविएशन सेक्टर भरोसे से चलते हैं। कायदों से आगे एक्सपीरियंस और फैसलों का असर यहां पड़ता है।

रनवे एक शानदार फिल्म है, अपने तरह की पहली। VFX एक्सपीरियंस इसे रीयल बनाता है। संदीप केलवानी की ये कहानी ऐसे ही असली घटना से प्रेरित है। संदीप और आमिल का स्क्रीन प्ले इफेक्टिव है। 148 मिनट की इस फिल्म का क्रिस्प बनाए रखने के लिए बहुत सारे किरदारों को अंडर डेवेलप्ड छोड़ दिया गया है, वो खटकता है। साबू साइरिल, सुजीत सुभाष और श्रीराम कनन का प्रोडक्शन डिज़ाइन बहुत रियलिस्टिक है।

अजय देवगन ने एक सेकेंड के लिए भी कैप्टन विक्रांत के अपने किरदार को नहीं छोड़ा है। इस मुश्किल फिल्म में प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और एक्टर तीनों मोर्चों पर अजय ने जीत हासिल की है। रकुल प्रीत ने रनवे34 में हैरान कर दिया है। तान्या के किरदार में अजय देवगन, अमिताभ बच्चन जैसे दमदार एक्टर्स के बीच रुकल बिजली की तरह चमकी हैं। उनके करियर का ये अब तक की बेस्ट परफॉरमेंस है। नारायण विक्रांत के किरदार में अमिताभ बच्चन अपने फुल फॉर्म में हैं। उनके शुद्ध हिंदी वाले डायलॉग्स, के.बी.सी वाले फ्लेवर की याद दिलाते हैं….। बस खटकता तब है, जब हिंदी के बाद वो अंग्रेज़ी में वही डायलॉग दोहराने लगते है और वो भी बार-बार। बोमन इरानी के किरदार को डेवलप होने का मौका ही नहीं दिया गया, यही अजय की पत्नी का किरदार कर रही आकांक्षा सिंह के साथ हुआ। अजय नागर उर्फ़ कैरी मिनाती का फिल्म में बस जैसे-जैसे सेट कर दिया गया है। ज़ाहिर है अजय फिल्म की लंबाई बढ़ाना नहीं चाहते थे।

रनवे 34 देखिए, इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में अपनी तरह का पहला तर्जुबा है। बड़ी-बड़ी फिक्शनकल कहानियों के बीच एक असली कहानी के लिए रास्ता बनना ही चाहिए।
रनवे 34 का साढ़े तीन स्टार।

 

 

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