Saturday, 20 April, 2024

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Drishyam 2 Review: विजय सलगावकर के केस ने लिया क्या अंजाम? पढ़ें ‘दृश्यम 2’ का रिव्यू

Drishyam 2 Review, Navin Singh Bhardwaj : इस साल कई ऐसी फ़िल्में आई हैं जिनसे लोगों को काफ़ी उम्मीदें थीं। बड़े पैमाने – बड़े सितारों और बड़े बजट की फ़िल्म होने के बावजूद भी बॉक्स ऑफिस पर ज़्यादा कमाल नहीं कर पायी है। एक्का दुक्का ऐसी फ़िल्में हैं जिसे देखा जा सकता है इस साल […]

Drishyam 2 Review: विजय सलगावकर के केस ने लिया क्या अंजाम? पढ़ें 'दृश्यम 2' का रिव्यू
Drishyam 2 Review: विजय सलगावकर के केस ने लिया क्या अंजाम? पढ़ें 'दृश्यम 2' का रिव्यू

Drishyam 2 Review, Navin Singh Bhardwaj : इस साल कई ऐसी फ़िल्में आई हैं जिनसे लोगों को काफ़ी उम्मीदें थीं। बड़े पैमाने – बड़े सितारों और बड़े बजट की फ़िल्म होने के बावजूद भी बॉक्स ऑफिस पर ज़्यादा कमाल नहीं कर पायी है। एक्का दुक्का ऐसी फ़िल्में हैं जिसे देखा जा सकता है इस साल अजय देवगन की दो फ़िल्में आई रनवे 34 और थैंक गॉड इसके अलावा अजय RRR और गंगुबाई में कैमियो करते दिखे अब साल के अंतिम पड़ाव पर रिलीज़ हुई है अजय देवगन की तीसरी फ़िल्म दृश्यम 2 जिसका इंतज़ार बेसब्री से हो रहा था। वो कहते हैं ना अंत भला तो सब भला, शायद दृश्यम 2 ये कमाल कर पाये। पुलिस इन्वेस्टीगेशन, सच-झूठ गुनाह और साज़िश से भरपूर दृश्यम 2 कैसी है ये जानने के लिए पढ़े E24 का रिव्यू।

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कहानी

गोवा में रहने वाले विजय सलगावकर आपको याद ही होगा, अगर नहीं तो दृश्यम 2 देखने से पहले दृश्यम 1 ज़रूर देखें। सात साल बाद विजय अपने और अपने परिवार पर बीती घटना के बाद फ़िलहाल ख़ुशी ख़ुशी ज़िंदगी बिता रहा होता है। परिवार आज भी उस सदमे से उभरा नहीं है और सोसाइटी से कटे कटे से रहते हैं। इसी बीच विजय एक केबल ऑपरेटर से एक थियेटर के मालिक बन चुका होता है। फ़िल्म देखते देखते और फिल्मों के शौक़ीन विजय अब फ़िल्म प्रोड्यूस करना चाहता है। कहानी के लेखन को लेकर विजय एक जाने माने लेखक और स्क्रीन राइटर मुराद अली (सौरभ शुक्ला ) से मिलता है। पूरी कहानी बताने के बाद भी विजय अपनी फ़िल्म की क्लाइमेक्स से खुश नहीं होता है। इसी बीच सात साल पहले 2 अक्टूबर के हुए हादसे से विजय का परिवार अभी पूरी तरह से उबरा नहीं है। सदमे की वजह से विजय की बड़ी बेटी अंजू (इशिता दत्ता ) को जहां एपिलेप्टिक अटैक होता रहता है वहीं विजय की बीवी नंदिनी आज भी पुलिस को देख कर अक्सर चौक जाती है। गोवा में आईजी तरुण अहलावत (अक्षय खन्ना ) की एंट्री होती है जो मीरा देशमुख (तबू ) के दोस्त भी होते हैं। तरुण के आने के बाद सात साल पहले का केस रीओपन होता है और पुलिस दोबारा समीर देशमुख / सैम ( तब्बू का बेटा ) की लाश ढूंढने मी लग जाती है। इस बात मीरा और तरुण मिल के पूरी तैयारी के साथ विजय और उसके परिवार को पकड़ने में लग जाती है। जिसके बाद उन्हें एक ठोस सबूत के रूप में गवाह डेविड ब्रिंगेंज़ा ( सिद्धार्थ बोड़के ) मिलता है। क्या इस बार के पुलिस इन्वेस्टीगेशन में विजय अपने और अपने परिवार को बचा पता है ? ये देखने के लिए आपको थियेटर का रुख़ करना होगा।

डायरेक्शन

इस बार फ़िल्म के सीक्वल के डायरेक्शन की कमान अभिषेक पाठक ने अपने हाथों में ली है। वैसे कहा जाये तो अभिषेक ने पूरी ईमानदारी से अपने काम को अंजाम दिया है। भले ही आपको क्लाइमेक्स का अंदाज़ा पहले से हाय हो गया हो लेकिन पूरी फ़िल्म के दौरान आपका इंटरेस्ट बरकरार रहता है। फ़िल्म के दौरान कई बार आप अचानक से ताली बजाने लग जाते हैं तो कई बार आप हैरान भी हो जाते हैं। फ़िल्म की शुरुआत के 20 मिनट को छोड़ दें तो पूरी फ़िल्म आपको बांधे रखती है। फ़िल्म के इंटरवल तक आते-आते फ़िल्म तेज़ी से रफ़्तार पकड़ती है और लास्ट तक सस्पेंस बरकरार रखने मी कामयाब होती है। थ्रिलर और सस्पेंस एसई भरपूर आख़िर का 20 मिनट बहुत ही दमदार गुज़रता है।

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टेक्निकल

फ़िल्म की जान फ़िल्म का बैकग्राउंड स्कोर है जहां म्यूजिक हर सीक्वेंस पर थ्रिल बिल्डअप वहीं ये आपको आपकी कुर्सी से बांधे भी रखता है। सिनेमेटोग्राफ़र सुधीर के. चौधरी के बेहतरीन खूबसूरत शॉर्ट्स गोवा को एक अलग नज़रिए से पेश करता है। फ़िल्म की शुरुआत के 20 मिनट को एडिटर संदीप फ़्रांसिस थोड़ा और क्रिस्प कर सकते थे।

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एक्टिंग

तबू और अजय देवगन जब एक साथ बड़े पर्दे पर आए तो आप ख़ुद ही उनके मैजिकल दुनिया में खो जाते हैं उनके होने से मैजिक क्रिएट होना लाज़मी है। अक्षय खन्ना की एंट्री ने फ़िल्म को दिलचस्प मोड़ दिया है। अक्षय हर एंगल से अपने किरदार में ढल गए हैं। श्रीया शरण नए अपने किरदार को बखूबी से निभाया है। बेटियों के रूम में ईशिता और मृणाल का किरदार के प्रति कॉन्फिडेंस स्क्रीन पर साफ़ झलकता है। एक बार फिर इंस्पेक्टर गायतोंडे के रूप में कमलेश सावंत का काम बेहतरीन हैष सौरभ शुक्ला का इस फ़िल्म में अहम किरदार है जहां वो मज़बूती से अपनी मौजूदगी दर्ज करा जाते हैं। स्क्रीन स्पेस ज़्यादा ना मिलने की बावजूद भी रजत कपूर ने अपना काम ईमानदारी से किया है।

क्यों देखें

अगर आपने दृश्यम 1 नहीं देखी है तो दृश्यम 2 देखने से पहले ज़रूर देखे। फ़िल्म पहले पार्ट का सीक्वल है और पूरी तरह से कनेक्टेड है। फ़िल्म का क्लाइमेक्स आपको अपने सीट पर बांधे रखेगा और बीच-बीच में आपको हैरान भी करता रहेगा।

दृश्यम 2 को मिलते हैं ⭐️⭐️⭐️⭐️

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First published on: Nov 18, 2022 03:46 PM

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