Wednesday, 24 April, 2024

---विज्ञापन---

छेल्लो शो (Last Film Show) रिव्यू: ये फिल्म आम ज़िदगी में सिनेमा के जश्न की कहानी है, और ऑस्कर की सच्ची हकदार है

छेल्लो शो (Last Film Show) रिव्यू, अश्वनी कुमार: गुजराती में ‘छेल्लो शो’, अंग्रेज़ी में लास्ट फिल्म शो, और 95वें ऑस्कर अवॉर्ड में भारत की ओर से भेजी गई आधिकारिक फिल्म। लोगों ने कहा कि RRR कमाल है, उसे भेजा जाना चाहिए था, और हमने तो इस गुजराती फिल्म का नाम तक नहीं सुना। सोशल मीडिया […]

छेल्लो शो (Last Film Show) रिव्यू: ये फिल्म आम ज़िदगी में सिनेमा के जश्न की कहानी है, और ऑस्कर की सच्ची हकदार है
छेल्लो शो (Last Film Show) रिव्यू: ये फिल्म आम ज़िदगी में सिनेमा के जश्न की कहानी है, और ऑस्कर की सच्ची हकदार है

छेल्लो शो (Last Film Show) रिव्यू, अश्वनी कुमार: गुजराती में ‘छेल्लो शो’, अंग्रेज़ी में लास्ट फिल्म शो, और 95वें ऑस्कर अवॉर्ड में भारत की ओर से भेजी गई आधिकारिक फिल्म। लोगों ने कहा कि RRR कमाल है, उसे भेजा जाना चाहिए था, और हमने तो इस गुजराती फिल्म का नाम तक नहीं सुना। सोशल मीडिया पर बाढ़ आ गई, कि ये ऑस्कर कमेटी वाले कैसी-कैसी फिल्म चुन लेते हैं ? तभी तो भारत ऑस्कर्स के लिए तरस रहा है, जैसे कमेंट्स की बाढ़ आ गई। ‘छेल्लो शो’ की स्क्रीनिंग मीडिया के लिए रखी गई, तो यकीन मानिए बड़े-बड़े रिव्यूयर्स ने फिल्म देखने के लिए रुकने तक की जहमत नहीं उठाई।

दरअसल यही है वो अनदेखी, जो हिंदुस्तान के बेहतरीन सिनेमा के साथ हो रही है। बात-बात पर नेपोटिज़्म और बॉलीवुड के नाम पर फिल्मों का बायकॉट की डिमांड करने वाले लोग भी, उन शानदार फिल्मों की बेकद्री करते हैं, जिन्हे पूरी दुनिया में सराहा जा रहा है, स्टैंडिंग ओवेशन दिया जा रहा है।

अपने गुजरात के फिल्म मेकर, जो बॉलीवुड से नहीं हैं, क्योंकि बॉलीवुड ने उन्हे अपनाया नहीं… लेकिन दुनिया भर में अपनी शानदार फिल्मों के लिए मशहूर पैन नलिन को गुजराती फिल्म – ‘छेल्लो शो’ के लिए गुजराती फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स ढूंढे से नहीं मिले। । वो तो तब ‘छेल्लो शो’ की ओर घूमे, जब दुनिया भर के बड़े-बड़े फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म के इंग्लिश वर्ज़न लास्ट फिल्म शो के लिए बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिलने लगा। हॉलीवुड के बड़े-बड़े डायरेक्टर्स ने इसकी स्क्रीनिंग रखवानी शुरू की.. और तब दुनिया के दूसरे हिस्सों में बसे भारतीय गुजराती लोगों ने अपने इंटरनेशनल फ्रैंड्स की रिकमेंडशन पर ‘छेल्लो शो’ देखी और हैरान रह गए।

आप कहेंगे कि ये तो ‘छेल्लो शो’ का रिव्यू नहीं है, इसमें तो तारीफ़ ही तारीफ़ है। तो यकीन मानिए कि इस रिव्यू को आप पढ़ भी इसीलिए रहे हैं क्योंकि RRR की जगह ‘छेल्लो शो’ को भारत की ओर से ऑफिशियल एंट्री बनाया गया है।

अब रिव्यू पर आते हैं, ‘छेल्लो शो’ एक 9 साल के बच्चे समर की कहानी है, जो गुजरात के काठियावड़ गांव चलाला स्टेशन के पास रहता है। स्टेशन पर उसके पापा एक चाय स्टॉल लगाते हैं और समर का काम है वहां आने वाली इक्का-दुक्का ट्रेन के मुसाफिरों को चाय बेचना। समर और उसके साथ गांव में रहने वाले दूसरे बच्चे, जो रेलवे स्टेशन पर काम करने वालों के ही बच्चे हैं, वो ट्रेन से शहर जाते हैं और वहां स्कूल में पढ़ते हैं।। समर को उसके पिता, जो वैसे तो फिल्में देखने और दिखाने के सख़्त खिलाफ़ हैं, पहली बार पूरे परिवार, यानि समर, उसकी छोटी बहन और उसकी मां को फिल्म दिखाने ले जाते हैं। फिल्म का नाम है – महाकाली… और बस प्रोजेक्टर से फिल्म स्क्रीन पर पड़ती हुई रौशनी और परदे पर सिनेमा का पहला तजुर्बा समर की ज़िंदगी बदल देता है।

 और पढ़िए –  GoodBye Film Review : ‘गुडबाय’ देख कभी निकलेंगे आंसू तो कभी आएगी हंसी, जानें कैसी है फिल्म की स्टोरी

समर, अब फिल्म बनाना चाहता है। लेकिन जिस गांव में बिजली भी ढंग से नहीं पहुंचती, वहां फिल्म कैसे बनेगी ? फिल्म की दीवानगी में समर, फिल्म थियेटर के प्रोजेक्टर रूम ऑपरेटर से डील करता है कि वो उसे फ्री में प्रोजेक्शन रूम से फिल्म दिखाएगा और समर उसे अपनी मां के हाथ का खाना खिलाएगा। फिल्मों के लिए समर का दीवानापन और बढ़ता है, वो रेलवे स्टेशन के माल गोदाम से, शहर के थियेटर तक जाने वाली फिल्म की रील चुरा लेता है, ताकि वो और उसके साथी गांव के एक भूतिया घर में खुद का सिनेमा बना सकें।

पुलिस आती है, समर पकड़ा जाता है, पापा से पिटाई होती है और समर सब कुछ छोड़कर भाग जाना चाहता है, मगर वो दिन समर की ज़िंदगी में तूफ़ान ला देता है, जिस दिन फिल्म थियेटर से उसका प्रोजेक्टर तोड़कर बाहर निकाल दिया जाता है।

‘छेल्लो शो’ की हम आपको पूरी कहानी भी सुना दें, तो भी इस फिल्म की खूबसूरती ख़त्म नहीं होगी। और इसके पीछे का राज़ ये है कि डायरेक्टर पैन नलिन ने अपनी कहानी को ही इस फिल्म में उतार दिया है। तो ‘छेल्लो शो’ देखते वक्त आपको याद रखना होगा, कि चेहरा भले ही बदल गया है, लेकिन सिनेमा में गुजरात के काठियावाड़ के रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते हुए जिस बच्चे की ज़िंदगी को बदल दिया, आज उसी की फिल्म में आप उसी की कहानी देख रहे हैं।

काठियावाड़ की रीयल लोकेशन पर ये फिल्म शूट हुई, जिस गैलेक्सी थियेटर में पैन नलिन ने अपनी ज़िंदगी की पहली फिल्म महाकाली देखी थी, और बाद में वो सिंगल स्क्रीन थियेटर, गन्ना गोदाम में बदल गया, उसे ‘छेल्लो शो’ के लिए फिर से रेनोवेट किया गया। गांव असली, स्टेशन असली, किरदार असली और अहसास असली… यही ‘छेल्लो शो’ की सबसे बड़ी खूबी है।

 और पढ़िए  Vikram Vedha Review: ‘विक्रम वेधा’ दमदार या बेकार, सिनेमाघरों में जाने से पहले जरूर पढ़ें रिव्यू

बेहतरीन कैमरावर्क, शानदार बैकग्राउंड स्कोर, और गांवों से चुने हुए बच्चे, जो इस फिल्म के हीरो हैं उन्होने चेल्लो शो को बिल्कुल रीयल बना दिया है। सिनेमा की रील, आग की भट्टी में ढलकर कैसे हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन गई, वो द लास्ट फिल्म शो की सबसे हसीं अहसास है, जहां लगता है कि सिनेमा हम सबकी ज़िंदगी में बसता है।

‘छेल्लो शो’ सिनेमा का सेलिब्रेशन है, ये फिल्म खुद में स्टार है और वाकई ऑस्कर की हकदार है।

‘छेल्लो शो’ को 4 स्टार।

 और पढ़िए –  Reviews से  जुड़ी ख़बरें 

First published on: Oct 13, 2022 03:42 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.