Attack Movie Review: इंडियन सुपरसोल्जर के किरदार में जॉन हुए फेल, ढीले स्क्रीनप्ले ने निकाली हवा
अटैक का ट्रेलर आया तो शानदार लगा। पूरी फिल्म के सबसे बेहतरीन एक्शन सीन्स को इकट्ठा करके ट्रेलर बना दिया था गया था। फिल्म देखने पहुंचे, तो पता चला कि इन एक्शन सीन्स को छोड़कर पूरी फिल्म में देखने को कुछ है ही नहीं। एक बेहतरीन आइडिया के साथ अटैक से उम्मीदें थीं, जॉन अब्राहम का लुक भी शानदार था। पेन मुवीज़ जैसे बड़े बैनर ने जॉन की अटैक को पेश किया, तो लगा कि गंगुबाई काठियावाड़ी और RRR के बाद ये पेन मूवीज़ का ट्रिपल धमाका होगा। मगर फिल्म देखने थियेटर पहुंचे, तो सारे अरमान वैसे ही पानी में बह गए, जैसे जॉन के इंडिया के पहले सुपर सोल्ज़र बनने का सपना बिखरा है। इस सपने को लेकर जॉन इतने आगे बढ़ गए थे कि उन्होने, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर के साथ मिलकर अटैक को पहले ही पार्ट वन घोषित कर दिया है... और पार्ट टू का ऐलान कर दिया है।
लेकिन पार्ट वन ने जॉन के अरमान का दम जैसे निकाला है, वो देखकर आप कहेंगे कि इस सुपर सोल्ज़र को विज्ञान की ताकत से ज़्यादा एक अच्छी स्क्रिप्ट की ज़रूरत है। कहानी सुनिएगा, तो पाइएगा कि हॉलीवुड में जो आपने दसियों साल पहले सुना है ये तो वही है।
और पढ़िए –Pathaan: शाहरुख खान ने अपनी फिल्म ‘पठान’ के क्रू मेंबर को लिखा हैंड रिटन नोट, एक्टर की दरियादिली देख इंप्रेस हुए फैंस
अर्जुन इंडियन आर्मी का एक सोल्ज़र है, जो पाकिस्तान के अंदर घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करता है। इस ऑपरेशन में उसका मकसद है एक बड़े आतंकवादी को पकड़ना। अर्जुन कामयाब होता है, लेकिन उसका सामना एक छोटे बच्चे से होता है, जो फिदाइन बनना चाहता है। अर्जुन उसके बम को डिफ्यूज करने के बाद भी उसे छोड़ देता है। वही फिदाइन बच्चा अब भारत की संसद पर हमला करता है और सारे सांसदों के साथ, देश के प्रधानमंत्री को भी संसद में कैद कर लेता है। हामिद गुल, अपने आतंकवादी अब्बू का आज़ाद कराना चाहता है और साथ ही पूरी दिल्ली को बायोबम से ख़त्म करने पर आमादा है। दूसरी ओर अर्जुन, जो आएशा से प्यार करता है... और एक टेरेरिस्ट हमले में आशा की मौत होती है और अर्जुन की बॉडी पैरेलाइज़्ड हो जाती है।
डिफेंस मिनिस्ट्री के साथ मिलकर इस बीच एक साइंटिफिक इनोवेशन पर काम चल रहा है। जिसमें एक सुपर सोल्ज़र टेक्निक बनाई गई है, इस टेक्निक का इस्तेमाल एक चिप के ज़रिए अर्जुन पर होता है और अर्जुन व्हील चेयर से उठकर संसद को बचाने और हामिद गुल को ख़त्म करने निकल पड़ता है।
फिल्म में क्या होगा, आपको पता ही है। कहानी कैसी है ये बता दिया। अब कहानी के साथ किया क्या गया है ये बताते हैं। इस फिल्म में प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री को ऐसे दिखाते हैं कि जैसे वो टूट-पूंजिया नेता हों। डिफेंस के काम करने का तरीके के बारे में रिसर्च करने की ज़रूरत तक समझी नहीं गई है। जॉन के सिर के पीछे चिप लगाकर सुपर सोल्ज़र बनाने के लिए जो एनीमेशन तैयार किया गया है, उससे बेहतर एनीमेशन 25 साल पहले मुकेश ख़न्ना के शक्तिमान में थे। कहानी और स्क्रीनप्ले के मामले में अटैक बुरी तरह से मार खाती है। नतीजा कैरेक्टर भी डेवलप नहीं हो पाए हैं।
फिल्म का हाईलाइट है एक्शन सीन्स। ये भी जानते चलिए कि एक्शन सीन्स की सिनेमैटोग्राफी विल ने की है, जो बेहतरीन है। इन सीन्स मे जॉन अब्राहम जानदार लगे हैं। लेकिन कहीं-कहीं ये पबजी के गेम जैसा अहसास देने लगता है। बाकी सिनेमैटोग्राफी आपको बिल्कुल अलग नज़र आएगी, जो एवरेज है। गानों में दम नहीं है।
बाकि परफॉरमेंस पर आइएगा, तो एक्शन सीन्स में जॉन अब्राहम शानदार है, बाकि रोमांटिक सीन्स से उन्होने सारी जान निकाल दी है। जैकलीन फर्नाडीज़ का नाम फिल्म में आएशा है, बाकि वो लगी जैकलीन फर्नाडीज़ ही हैं, मतलब उम्मीद करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। रकुल प्रीत, साइंटिस्ट बनने की कोशिश कर रही है, लेकिन ये उनके चेहरे और एक्शन में कही नज़र नहीं आता।
रकुल को एक्टिंग क्लासेस लेने की ज़रूरत है। प्रकाश राज फिल्म में डिफेंस एक्सपर्ट और अर्जुन के बॉस बने हैं, लेकिन फिल्म में वो किसी कैरिकेचर से ज़्यादा नहीं है। यहां गलती प्रकाश राज की नहीं, उनके कैरेक्टर को गढ़ने वाले राइटर की है। यही हाल रत्ना पाठक शाह के साथ भी हुआ है।अटैक से उम्मीदें पत पालिए, एक्शन के शौकीन है तो देख लीजिए। फिल्म में कहानी और एक्टिंग खोजिएगा, तो नाउम्मीदी हाथ लगेगी।
अटैक को दो स्टार।
यहाँ पढ़िए - बॉलीवुड से जुड़ी ख़बरें
Click here - News 24 APP अभी download करें
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world
on News24. Follow News24 and Download our - News24
Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google
News.