बड़े-बड़े शहरों की, ऊंची-ऊंची बिल्डिंगो की और ग्लैमर से सजे कलाकरों से बहुत दूर एक और भारत बसता है… यूरोप से इसी इंडिया को देखने तो फॉरनर्स आते हैं और रीयल इंडिया बताते हैं।
ओटीटी की दुनिया के महानगरों में, आगरा का ताजमहल है – पंचायत। सीजन टू के लिए दो साल लंबा इंतजार करना पड़ा था, सो प्राइम वीडियो वालों ने सोचा कि इसे दो दिन पहले ही अचानक से धप्पा करके रिलीज़ कर दिया जाए। वैसे कोई-कोई तो ये भी बता रहा था, कि पंचायत-2 के लिए प्रेशर इतना था, कि ये सेल्फ़ रिलीज़ से पहले ही ये लीक कर गया।
अब इसमें आप डबल मीनिंग तलाश रहे हैं, तो ये बता दें कि पंचायत को A कैटेगरी में रखा गया है, यानि कि एडल्ट। अब ये सीरीज़ अपने सेकेंड सीज़न में 8 एपिसोड में इक्का दुक्का गालियों और एक दो लौंडा नाच के चलते अगर एडल्ट हो गया, तो देश की आबादी जाने कब से 18 की होने से पहले ही एडल्ट हो रही है।
खैर प्रिमाइस छोड़िए, और कहानी पर आइए – पंचायत 2 में 8 एपिसोड हैं। पिछले सीज़न के आखिरी एपिसोड मे सचिव जी टंकी पर चढ़कर रिंकी से टकराए थे, तो सेकेंड सीज़न की शुरुआत में अब जाकर उतर रहे हैं, हाथ में चाय का थर्मस लिए। जाहिर है रुमानियत तो फुलेरा में इस बार रुमानियत तारी है। मगर सचिव जी की मुस्कुराहट और बदली हुई चाल को देखकर प्रहलाद और विकास को लग रहा है कि रिंकी के प्यार के चक्कर में मार होनी है। दूसरी ओर क्रांति देवी को बाइक पर पीछे बिठाए भूषण को गड्डे में रोड से क्रॉस होने पर कन्फ्यूज़न हो जाता है कि बाइक का शॉकर बीवी के वजन से चरमराराया है या फिर फुलेरा के गड्डो सें। मंदिर के बाहर से चप्पल चोरी, शौचालय का इस्तेमाल, विधायक जी से सड़क के लिए विधायक निधि का अनुदान, और रिंकी की शादी कराने के लिए असली प्रधान मंजू देवी परेशान…।
पंचायत 2 की सबसे बड़ी खूबी ये है कि ये बड़ी-बड़ी परेशानी से नहीं उलझती, ये प्रधान जी से गिफ्ट में मिलने वाली लौकी से ही आगे बढ़ जाती है। इस सीरीज़ की राइटिंग इतनी सहज है कि आप अपने ड्राइंग रूम में बैठकर भी गांव-घर में खो जाते हैं। चंदन कुमार की कलम ने कहानी से लेकर डायलॉग्स तक सब इनता सीधा और सच्चा लिखा है कि ये सीधे आपके दिल पर असर करता है और चेहरा मुस्कुराहट से भर जाता है। दीपक मिश्रा ने पंचायत के सेकेंड सीज़न को डायरेक्ट करते हुए, एपिसोड्स को कसने की कोशिश नहीं की है… बस बहने दिया है। अमिताभ सिंह की सिनेमैटोग्राफी ने फुलेरा को आदर्श गांव बना दिया है।
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मुट्ठी भर कलाकारों के साथ पंचायत ने मिसाल रच दी है। मंजू प्रधान जी, प्रधान पति, सचिव जी, उप प्रधान प्रहलाद जी, विकास तो पहले ही सीज़न में थे, इस सीज़न में रिंकी के साथ भूषण, क्रांति देवी के साथ सतीश रे की गेस्ट अपीयरेंस, बस इतना सा ही है पंचायत का परिवार।
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सचिव जी उर्फ़ अभिषेक तो जैसे इस सांचे में ढल गए हैं। यही दिक्कत भी है, कि आपको पता है कि अभिषेक के एक्सप्रेशन्स ऐसे ही होंगे, ज़रा सा वैरिएशन की ज़रूरत तो है। रघुबीर यादव, प्रधान पति बनकर ऐसे हैं कि आप उनके मुरीद हो जाएं। मंजू देवी प्रधान के किरदार में नीना गुप्ता को देखकर आपको ऐसा लगेगा कि ये एक्ट्रेस क्या नहीं कर सकतीं। फ़ैसल जैसे प्रहलाद के किरदार में ढल गए हैं। और विकास बने चंदन रॉय के लिए तो तालियां बजनी चाहिएं। सुनीत राजवर, बिल्कुल अपने जैसी लगी हैं….क्रांति देवी बनकर भी वो बिट्टू की मम्मी ही लगती हैं। रिंकी बनी सान्वविका ने असर छोड़ा है।
असर पंचायत भी छोड़ता है, इसका सीज़न -2 देखकर मन छुट्टियों पर जाने का करता है। लेकिन फिर सचिव जी जैसे मन मसोसना पड़ता है। खैर आप मन मत मसोसिए… इस वीकेंड पर पंचायत निपटा दीजिए।
हमारी तरफ़ से पंचायत को साढ़े तीन स्टार।
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