Thursday, 18 April, 2024

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Modern Love Mumbai review: खूबसूरत कहानियों का गुलदस्ता है ‘मॉर्डन लव’, मुंबई से दोबारा प्यार हो जाएगा

मुंबई, कभी ना रूकने वाला शहर। इसके सिग्नेचर सी लिंक से लेकर, गेट वे ऑफ़ इंडिया, झुग्गियां, पुरानी सोसायटी, जो अब संकरी हो गई हैं, इसकी गलियां, इसका समंदर और इन सबके बीच एक अहसास – प्यार। न्यूयॉर्क टाइम्स के कॉलम मॉर्डन लव की तर्ज़ पर प्राइम वीडियो की मिनी फिल्मों का ये गुलदस्ता मुंबई […]

मुंबई, कभी ना रूकने वाला शहर। इसके सिग्नेचर सी लिंक से लेकर, गेट वे ऑफ़ इंडिया, झुग्गियां, पुरानी सोसायटी, जो अब संकरी हो गई हैं, इसकी गलियां, इसका समंदर और इन सबके बीच एक अहसास – प्यार।

न्यूयॉर्क टाइम्स के कॉलम मॉर्डन लव की तर्ज़ पर प्राइम वीडियो की मिनी फिल्मों का ये गुलदस्ता मुंबई के हर कोने से अपने-अपने मिजाज़ की मॉर्डन लव स्टोरी तलाशता है। इस गुलदस्ते में कोई फूल सुर्ख़ लाल है, तो कोई डिसेंट व्वाइट। लेकिन इनकी खूबी ये है कि गुलदस्ते में मिलकर ये बहुत खूबसूरत लगते हैं।

6 शॉर्ट फिल्म्स यहां अलग-अलग खिलती हैं, और आख़िरी में उनकी राह एक हो जाती है। बिल्कुल मुंबई शहर की तरह, जहां एक ओर हाईराइज़ बिल्डिंग हैं और दूसरी ओर बस्तियों का झुंड । ये सब मिलकर ही तो मुंबई बनता है। 35 से 45 मिनट के 6 एपिसोड के फिनाले में इन सारी कहानियों के किरदार एक दूसरे के पास से गुजरते है, एक दूसरे से अनजाने से, लेकिन मुंबई की खुश्बू लिए।

 

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रातरानी
इस एंथोलॉजी की शुरुआत होती है शोनाली बोस की शॉर्ट फिल्म ‘रात रानी’ से। यकीन मानिए, 6 शॉर्ट फिल्मों के गुलदस्ते में ये सबसे खूबसूरत कहानी है, जिसकी खुश्बू भी सबसे ज़्यादा है। रात रानी एक कश्मीरी लड़की लाली की कहानी है, जो लुत्फी के साथ प्यार में पड़कर कश्मीर छोड़कर आती है और मुंबई की एक झुग्गी बस्ती में अपनी जन्नत बसाती है। हाउस मेड का काम करते हुए भी वो बेबाक है, बिंदास है और प्यार में खोई है। एक दिन लुत्फी उसे कहता है कि ‘मजा नहीं आ रहा है’ और शादी के 10 साल बाद उसे छोड़कर चला जाता है। मुंबई में अकेली लाली को अपने से प्यार करना सीखना है ।

शोनाली की ये कहानी एक फ्लाईओवर की सबसे ऊंचाई पर लाली के पहुंचने के साथ उसकी आज़ादी की एक मिसाल पेश करती है, कि वो आपका दिल जीत ले। मुंबई के सी-लिंक पर, जहां दो पहिया स्कूटर और साइकल की एंट्री बैन है, वहां लाली का साइकल दौड़ाना, गिरफ्तार होना, जेल जाना और फिर भी अपनी ही खुशी में झूमना… जैसे बताता है कि इस शहर के हर हिस्से में उम्मीदों के पंछी अपनी उड़ान के लिए जी जान लगाए रहते हैं।
फातिमा सना शेख इस एंथोलॉजी की विनर हैं और रात रानी सबसे बेहतर फिल्म।

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बाई
हंसल मेहता ने ‘हर्षद मेहता’ पर बनाई अपनी वेब सीरीज़ ‘1992’ के साथ ओटीटी पर इतिहास रचा है। ज़ाहिर है उनसे उम्मीदें भी ज़्यादा है। मॉर्डन लव मुंबई में उनकी शॉर्ट फिल्म बाई के खूब चर्चे भी हैं। और उसकी वजह है मुस्लिम गे लड़के की कहानी, जिसमें उन्होने ‘1992’ फेम प्रतीक गांधी को फिर से लिया है और साथ ही शेफ़ रणवीर ब्रार का एक्टिंग डेब्यू भी हंसल मेहता ने बाई से करा दिया है।

बाई यानि दादी, जिसे तनूजा निभा रही हैं। मुंबई की लकी मंज़िल में ‘बाई’ की बात आखिरी है, जबकि बाई कम बोलती हैं और जब बोलती है, तो उनके पास जैसे जादूई चाभी है, जो हर सवाल के ताले को खोल देती है। बाई के बारे में सबकी अपनी कहानी है, सब सोचते हैं कि बाई को ये बताना चाहिए, और ये नहीं। उनका पोता मांजू गे है, जाहिर है अब्बू की नाराज़गी है। सबको लगता है कि कि बाई मांजू के इस सच को सह नहीं पाएगी। दूसरी ओर मांजू अपने सच को तलाशता गोवा मे एक शेफ़ के साथ प्यार में पड़ जाता है। आखिरी सांसे लेती हुई बाई, मांजू के दर्द का इलाज़ कर देती है।

प्रतीक और रणवीर ब्रार दोनो का काम अच्छा है। तनुजा तो हैं ही शानदार। मांजू के अब्बू के किरदार में तलत अजीज़ है। शानदार डायरेक्टर, और बेहतरीन कास्ट के बीच भी बाई में कुछ है जो खटकता है, दिल से जुड़ नही पाता है।

मुंबई ड्रैगन
इस शॉर्ट स्टोरी के साथ विशाल भारद्वाज का नाम जुड़ा है। मुंबई ड्रैगन, इस शहर में बरसों से रह रहे एक चाइनीज़ फैमिली की कहानी है। इसमें मिंग है, उसकी मां है। मां, मिंग में अपनी दुनिया देखती है, चाहती है कि मिंग डॉक्टर बने और एक चीनी लड़की से शादी करे। मगर मिंग सिंगर बनना चाहता है, उसकी गर्लफ्रैंड गुजराती है और उससे भी बड़ी बात वेजिटेरियन है, लहसन से दूर रहने वाली।

मां, मिंग के लिए पूरे हफ्ते का टिफिन पैक करती है और मिंग अपनी गर्लफ्रैंड के साथ खुद खाना पकाना चाहता है। कहानी में हैप्पी एंडिंग तो है, लेकिन मेयांग चांग, येओ यान यान, नसीरुद्दीन शाह, वामिका गब्बी… हर किरदार में कमी नज़र आती है। इस शॉर्ट फिल्म में कॉमेडी, इमोशन, गाने सब हैं…लेकिन फॉर्मेट में रहने के चक्कर में विशाल भारद्वाज का मैजिक गायब हो गया है।

 

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माई ब्यूटीफुल रिंकल्स
अलंकृता श्रीवास्तव की कहानी है ‘माई ब्यूटीफुल रिंकल्स’। मुंबई की एक पुरानी सोसायटी में रहने वाली दिलबर सोढ़ी. जिसके किरदार में सारिका हैं, वो अपने से उम्र में छोटे बिजनेस एनालिस्ट कुणाल के साथ बातें करती हैं। उसे नई जॉब के इंटरव्यू के लिए तैयार करती है। इस बीच कुणाल, जो शौकिया एक इलस्ट्रेटर भी है, वो दिलबर सोढ़ी की ओर खिंचता चला जाता है। कुणाल के किरदार में दानेश रजवी की आंख़ों की मासूमियत और सारिका के ढलती उम्र की खूबसूरती… बिना बोले, अपने-अपने उपर लादे गए बोझ को उतारना और बिना छुए, एक दूसरे के बारे में सोचना…। तनवी आज़मी की स्पेशल अपीयरेंस, इस शॉर्ट फिल्म को और बेस देती है।


आई लव ठाणे
मुंबई बढ़ता गया है… नवी मुंबई और ठाणे तक। साउथ मुंबई अपना अलग ही स्वैग लिए चलता है और ठाणे मुंबई होने की कोशिश में दौड़ता है। आई लव ठाणे, इन दोनो जगहों के बीच का कन्ट्रास्ट लिए हुए है और उनके बीच एक खूबसूरत रिश्ता भी दिखाता है। ध्रुव सहगल के डायरेक्शन में आई लव ठाणे, बांड्रा की एक लैंड स्केप डिज़ाइनर, जिसके किरदार में मसाबा हैं, उसकी मिड लाइफ़ क्राइसिस में किसी साथी के तलाश से शुरु होकर ठाणे पहुंचती है और एक सरकारी नौकरी कर रहे क्लर्क पर जाकर ठहरती है, जिसे ऋत्विक भौमिक ने निभाया है। दोनो के बीच की ख़ामोशी और एक दूसरे की ओर खींचते जाना भी अनोखा है। इसका क्लाइमेक्स बहुत ही खूबसूरत है।

कटिंग चाय
डायरेक्टर नूपुर अस्थाना की कटिंग चाय, मॉर्डन लव मुंबई एंथोलॉजी की आखिरी कहानी है। डैनी और लतिका की ये कहानी, मुंबई चर्चगेट रेलवे स्टेशन से शुरु होती है… फिर मुंबई की तेज रफ्तार ज़िंदगी में उलझती है और फिर इसी चर्चगेट रेलवे स्टेशन से चल रही लोकल पर जाकर, इसे अपनी मंज़िल मिलती है। चित्रांगदा और अरशद वारसी के साथ ये कहानी बहुत ही रिलेटेबल है, जहां हम एक हाथ से रिश्ते पकड़ते हैं, तो ज़िंदगी छूटती है और ज़िंदगी के साथ भागते हैं तो रिश्ते फिसलने लगते हैं।

मॉर्डन लव मुंबई की 6 कहानियां, 6 अलग-अलग डायरेक्टर, उनके कहानियों को कहने का, शहर को देखने का नज़रिया अलग। इन सबको एक धागे में पिरोती है दो चीज़ें, पहली मुंबई और दूसरा प्यार। इस वीकेंड पर मॉर्डन लव, ओटीटी की मेन्यू की सबसे बेहतरीन रेसीपी है।

मॉर्डन लव को 3.5 स्टार।

 

 

 

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First published on: May 14, 2022 03:11 PM