World Thalassaemia Day 2023: हर साल 8 मई को विश्वभर में वर्ल्ड थैलेसीमिया डे (World Thalassaemia Day) मनाया जाता है। ये एक ऐसी बीमारी है जो बच्चे को अपने माता-पिता से मिलती है। इस बीमारी की पहचान बच्चे में मात्र 3 महीने की उम्र में ही हो जाती है। दुनियाभर में इस दिन को मनाने का मकसद ये है कि लोगों को रक्त संबंधी बीमारी के प्रति जागरूक किया जा सके।
आप इसे कुदरत की विडंबना कह सकते हैं कि, अगर माता-पिता को ये बीमारी है तो बच्चा इस खतरनाक बीमारी से नहीं बच सकता। जब मासूम से बच्चे की उम्र खेलने कूदने और मस्ती करने की होती है तो उस उम्र में उसे अस्पताल के बेड पर लेटना होता है और बाहरी खून चढ़ाया जाता है। जिस बच्चे के साथ ये परेशानी होती है उसके पेरेंट्स पर क्या बीतती होगी इसकी कल्पना करने से ही दर्द का एहसास होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस साल थैलेसीमिया डे की क्या थीम है, इसके क्या लक्षण हैं और कैसे इससे बचाव किया जा सकता है।
क्या है वर्ल्ड थैलेसीमिया डे का इतिहास?
आपको बता दें कि, इस दिवस की शुरुआत साल 1994 में थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन द्वारा की गई थी। पता हो कि थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन की स्थापना 1986 में पैनोस इंग्लेज़ोस द्वारा की गई थी। पैनोस इंग्लेज़ोस वो इंसान थे जो खुद थैलेसीमिया के मरीज़ थे। उनके माता-पिता यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, ग्रीस, इटली और साइप्रस में नेशनल थैलेसीमिया एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व करते थे। इस दिवस को पहली बार पैनोस के बेटे जॉर्ज की याद में मनाया गया, जिसका निधन इस बीमारी के कारण हुआ था।
वर्ल्ड थैलेसीमिया डे 2023 की थीम World Thalassaemia Day 2023
लोगों के बीच इसे लेकर जागरुकता फैलाने के मकसद से मनाए जाने वाले इस दिन के लिए इस साल भी एक थीम तय की गई है। इस साल थैलेसीमिया दिवस 2023 की थीम “थैलेसीमिया के बारे में लोगों को शिक्षित करना” (Strengthening Education to Bridge the Thalassaemia Care Gap) तय की गई है।
क्या हैं थैलेसीमिया के लक्षण World Thalassaemia Day 2023
1.बार-बार बीमार पड़ना
2.बार बार सर्दी, जुकाम होना
3.कमजोरी और उदासी महसूस होना
4.आयु के अनुसार शारीरिक विकास न होना
5.शरीर का पीलापन बना रहना
6.दांत बाहर की ओर निकल आना
7.सांस लेने में तकलीफ होना
8.कई तरह के संक्रमण होना
कैसे करें थैलेसीमिया से बचाव
आपको बता दें कि आप इस बीमारी से कैसे बच सकते हैं।
1. शादी से पहले ही महिला-पुरुष के ब्लड की जांच करा लें।
2. गर्भावस्था के दौरान इसकी जांच कराएं ताकि आने वाले बच्चे की दिक्कत न हो।
3. अगर किसी को थैलेसीमिया है तो कोशिश करें कि उसका हीमोग्लोबिन 11 या 12 बनाए रखें।
4. बीमार पड़ते ही समय पर दवा दिलाएं और पूरा इलाज करवाएं।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। कोई उपाय या नुस्खे को अपनाने से पहले चिकित्सीय परामर्श जरूर लें। e24Bollywood वेबसाइट किसी भी तरह की चिकित्सीय सलाह की पुष्टि नहीं करता है।