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‘ऑडियंस को मूर्ख…’ बड़ी बजट की फिल्मों को लेकर क्या बोल गए विवेक अग्निहोत्री?

Vivek Agnihotri On Why Big Budget Films Fail to Impress Audiences: फिल्म डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने बड़ी बजट की फिल्मों के सिनेमाघरों में कुछ खास कमाल नहीं कर पाने को लेकर खुलकर बात की. आइए जानते हैं क्या है इसकी असली वजह.

बड़ी बजट की फिल्मों को लेकर क्या बोलें विवेक अग्निहोत्री (photo source- instagram)

Vivek Agnihotri On Why Big Budget Films Fail to Impress Audiences: डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री का नाम उनकी फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' को लेकर खूब सुर्खियों में बना हुआ है. यह फिल्म कई विवादों के बाद 5 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. हाल ही में हुए एक इंटरव्यू में विवेक ने फिल्म इंडस्ट्री में बड़ी बजट की फिल्मों के सफल न होने को लेकर खुलकर बात की. उनका मानना है कि इसकी वजह यह है कि अब इंडस्ट्री में दर्शकों को जोड़ने वाली कहानियां नहीं बन रही हैं. इन फिल्मों का फोकस सिर्फ ग्लैमर, बड़ा बजट और शूटिंग लोकेशन दिखाना है.

क्या बोलें विवेक अग्निहोत्री

विवेक का कहना है कि उन्हें पहले से ही समाज और राजनीति से जुड़े मुद्दों पर फिल्म बनाना पसंद था. हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में उन्होंने कहा कि अब कई फिल्म मेकर्स आम लोगों की जिंदगी और उनकी कहानियां बड़े पर्दे पर दिखाना बंद कर चुके हैं. उनके अनुसार, हमारी फिल्म इंडस्ट्री ने हमेशा समाज और राजनीति से जुड़े मुद्दों को फिल्मों में उठाया है. चाहे वह राज कपूर, गुरुदत्त, यश चोपड़ा या मनमोहन देसाई की फिल्में हों, इनमें मनोरंजन के लिए गाने और डांस होते थे, लेकिन साथ ही सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों को भी दिखाया जाता था. इन फिल्मों की कहानियां दर्शकों के दिल को छू जाती थीं और इनमें महिलाओं की परेशानियां, विधवाओं की मुश्किलें, वैवाहिक जीवन और राजनीति जैसे मुद्दे भी शामिल होते थे.

अमिताभ बच्चन की फिल्मों का उदाहरण

विवेक अग्निहोत्री ने अपनी बात को समझाने के लिए अमिताभ बच्चन की फिल्मों की फिल्मों का जिक्र किया। वह बताते हैं कि 1980 और 1990 के दशक में अमिताभ बच्चन की फिल्मों में उनका किरदार अत्याचारियों से बदला लेता है और यह दर्शकों को उम्मीद देता था. आगे उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे अंतरराष्ट्रीय मार्केट बड़ा हुआ, लोगों ने मान लिया कि दर्शक मूर्ख हैं, इसलिए उन्हें आसान ही पेश की जाने लगी. इसी वजह से अब फिल्मों में हर चीज का आसान हल दिखाने की कोशिश होने लगी.

फिल्म इंडस्ट्री को लेकर कही ये बात

विवेक का कहना है कि उन्होंने पिछले कुछ सालों में एक भी सफल फिल्म नहीं देखी है. वह पूछते हैं कि आखिर पिछले सालों में कौन सी ऐसी फिल्म बनी है जिसमें समाज या आम आदमी की कहानी दिखाई गई हो. वह आगे कहते हैं कि ऐसी कहानियां चाहिए जिसमें किसी शिक्षक का बेटा, किसान का बेटा, या किसी मिडिल क्लास परिवार का बेटा बुराई के खिलाफ खड़ा हो और उनसे लड़कर दर्शकों को यह उम्मीद दे कि दुनिया में अच्छे लोग भी हैं. उनका मानना है कि फिल्म इंडस्ट्री इसलिए धीरे-धीरे कमजोर हो रही है क्योंकि फिल्मों में आम आदमी की कहानियां गायब हो गई हैं, और इसी वजह से आम आदमी ने फिल्मों को अपनी जिंदगी से निकाल दिया है. 


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