दिल में छिपा गम, 3 बार जीता नेशनल अवार्ड, अंतिम समय में इलाज के लिए नहीं थे पैसे
Surekha Sikri Birth Anniversary: 'बालिका वधु' की 'दादी सा' तो आपको याद ही होंगी। एक कड़क दादी जिन्होंने अपने उसूलों को हमेशा ऊपर रखा और हिंदी सिनेमा में नाम कमाया। हम बात कर रहे हैं दिग्गज एक्ट्रेस सुरेखा सीकरी (Surekha Sikri) की। बेशक आज वो हमारे बीच में न हों, लेकिन अपनी फिल्मों और टीवी सीरियल्स के जरिए हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगी। फिल्मों से लेकर टीवी सीरियल में अपनी एक्टिंग का परिचय देने वाली अभिनेत्री की आज बर्थ एनिवर्सरी है। इस खास दिन पर हम उनके बारे में कुछ खास बातें जानते हैं।
एक्ट्रेस नहीं जर्निलिस्ट बनना था
सुरेखा सीकरी का जन्म 19 अप्रैल 1945 को हुआ था। उनके पिता वायुसेना में थे तो मां स्कूल टीचर थीं। एक्ट्रेस का बचपन नैनीताल और अल्मोड़ा में बीता। एरयफोर्स में पिता थे तो आप ये तो समझ ही गए होंगे की वो कितने अनुशासन में रही होंगी। सुरेखा ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। हालांकि वो बनना तो जर्नलिस्ट चाहती थीं, लेकिन किस्मत में एक्ट्रेस बनना था तो साल 1971 में नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला ले लिया। 26 साल की उम्र में उन्होंने एक्टिंग की बारीकियों को सीखा और फिर थिएटर कंपनी में काम किया।
सुरेखा का बॉलीवुड डेब्यू
सुरेखा सीकरी ने साल 1978 में अपना बॉलीवुड डेब्यू किया। उनकी पहली फिल्म 'किस्सा कुर्सी का' थी जिसमें सुरेखा के रोल का नाम 'मीरा' था। शबाना आजमी, राज किरण और उत्पल दत्त की यह फिल्म लोगों को तो पसंद आई लेकिन सुरेखा को किसी ने नोटिस नहीं किया। एक्ट्रेस ने हार नहीं मानी और आगे बढ़ती चली गईं। साल 1986 में आई फिल्म 'तमस' सुरेखा के करियर को बुलंदी तक ले गई। इस मूवी में एक्ट्रेस ने राजो का किरदार निभाया था।
'किस्सा कुर्सी का' से 'घोस्ट स्टोरीज' तक
सुरेखा सीकरी के एक्टिंग की जितनी तारीफ करें उतनी कम है। एक्ट्रेस ने अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक फिल्म में काम किया। एक्ट्रेस ने 'किस्सा कुर्सी का' से अपने करियर की शुरुआत की और फिर 'नसीम', 'सरफरोश', 'जुबैदा', 'रेनकोट', 'हमको दीवाना कर गए', 'बधाई हो' और आखिरी फिल्म 'घोस्ट स्टोरीज' तक करीब 30 से अधिक फिल्मों में काम किया। अभिनेत्री को 3 बार नेशनल अवार्ड भी मिला है।
बॉलीवुड से ज्यादा टीवी ने दी पहचान
हालांकि एक्ट्रेस ने फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत की लेकिन असली पहचान उन्हें छोटे पर्दे से मिली। जी हां, एक्ट्रेस ने साल 1990 में टीवी सीरियल 'सांझ चुला' से छोटे पर्दे का डेब्यू किया था। हालांकि उन्हें असली पहचान साल 2008 में शो 'बालिका वधू' से मिली जिसमें उन्होंने कड़क मिजाज 'दादी सा' के किरदार निभाया था।
दिल में छिपा था ये दर्द
हालांकि एक्ट्रेस ने अपने एक्टिंग करियर में एक से बढ़कर एक फिल्म और सीरियल में काम किया। लेकिन उन्हें कभी भी लीड रोल में नहीं लिया गया। यही एक्ट्रेस का सबसे बड़ा दर्द था जो उनके दिल में 42 सालों तक रहा। हां हम ये जरूर कहेंगे कि बेशक वो लीड रोल में नहीं दिखाई दीं, लेकिन जो भी रोल किए उन्हीं से एक खास पहचान बनाई।
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