Superboys of Malegaon Review: फिल्ममेकिंग के हैं शौकीन, तो आपको पसंद आएगी ये कहानी, पहले पढ़ लें रिव्यू
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Superboys of Malegaon Review/Navin Singh Bhardwaj: कहानी, कहानी तब होती जब उसे अच्छे सुनाया जाये। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में साल में कई फिल्में रिलीज होती है कुछ जेहन में घर कर जाती है तो बहुत कायमाब होने के बाद भी चंद महीनों में अपना असर खो देती हैं। लेकिन सिनेमा दीवानों के लिए, दीवानगी का काम है, निर्माता और निर्देशक फिल्में बनाने का जोखिम उठाते ही रहते हैं। ऐसे ही एक फिल्म मेकर के जद्दोजहद भरी लाइफ पर बनी फिल्म 'सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव' 28 फरवरी 2025 को रिलीज के लिए तैयार है। कैसी है वरुण ग्रोवर और रीमा कागती की ये मूवी इसके लिए पढ़िए E24 का रिव्यू...
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कैसी है कहानी? (Superboys of Malegaon Review)
यह कहानी साल 1997 के दौरान महाराष्ट्र के छोटे से गांव मालेगांव की है, जहां 5 दोस्त नासिर (आदर्श गौरव ) फरोग ( विनीत कुमार सिंह ) शफीक (शशांक अरोड़ा) अकरम (अनुज सिंह दुहान) और इरफान (साकिब अयूब) अपनी-अपनी जिंदगी में व्यस्त हैं। नसीर के बड़े भाई का छोटा सा सिनेमाघर है, जहा पुरानी फिल्में दिखाई जाती है। एक तो ज्यादा लोग थियेटर में नहीं आते, दूसरी पायरेटेड फिल्में दिखाने पर पुलिस की रेड। तब नासिर को आईडिया आता है कि वो खुद के गांव मालेगांव के लोगों के साथ मिल कर अपनी फिल्में बनाएगा।
फिर अपने चारो दोस्तों को इकट्ठा कर नासिर शोले फिल्म की कॉपी कर 'मालेगांव के शोले' बनाता है, जिसे वहां की ऑडियंस खूब पसंद करती है, बस इससे शुरू होता है- पैरोडी फिल्में बनाने का सिलसिला... सुपरहिट फिल्में देखकर नासिर, उनकी पैरोडी बनाता है और गांव के लोग इन फिल्मों को बहुत चाव से देखते हैं।
कहानी में आता है ट्विस्ट (Superboys of Malegaon Review)
इस कामयाबी से नासिर जोश में भर जाता है, फिर वो इन्वेस्टर्स के फेर में पड़कर एक नई ओरिजिनल फिल्म बनाना चाहता है, जबकि दोस्त उसे बार-बार ऐसा करने से रोकते हैं। ये फिल्म बुरी तरह से फ्लॉप होती है और मजबूरन नासिर को अपने थिएटर को होटल में बदलना पड़ता है। नासिर को इसी वक्त पता चलता है कि उसका दोस्त शफीक कैंसर से जूझ रहा है, अब कैंसर से जूझ रहे दोस्त की इच्छा कैसे मालेगांव के इन ब्वॉयज़ को 'सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव' बनाती है, ये जानने के लिए आपको अपने पास के थिएटर का रूख करना पड़ेगा।
'मसान' के राइटर ने लिखी कहानी
फिल्म की कहानी के बाद अब इसके डायरेक्शन, राइटिंग और म्यूजिक की बात करते हैं। सबसे पहले तो बता दें कि इस मूवी को वरुण ग्रोवर ने लिखा है, जिनकी 'मसान' से विक्की कौशल ने डेब्यू किया था रियल लाइफ पर बेस्ड, मालेगांव जैसे छोटे से गांव के उभरते निर्माता नासीर शेख की कहानी हो वरुण ने बेहतरीन तरीके से लिखा है। सुना था कि फिल्म लिखने से पहले वरुण ने मालेगांव में अच्छा खासा समय गुजारा है और ये उनकी स्क्रिप्ट में भी झलकता है, बात करने का लोकल तरीका हो या डायलॉग डिलीवरी या लोकल लैंग्वेज।
कैसा लगा डायरेक्शन
रीमा कागती का डायरेक्शन शानदार है, फिल्म के गाने याद भले ही ना रहे पर बैकग्राउंड स्कोर कमाल का है, जिसका क्रेडिट म्यूजिक कंपोजर्स सचिन-जिगर को जाता है। फ़िल्म में साल 1997 के दौरान की हर वो चीज बारीकी से दिखाई गई है, जो आज नहीं दिखायी देती, इससे रीमा कागती की डिटेलिंग का अंदाजा हो जाता है।
स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी लगी?
सबसे पहले बता दें कि इस फिल्म 5 एक्टर हैं लेकिन तीन कैरेक्टर्स पर ज्यादा फोकस किया गया है। गौरव आदर्श, विनीत कुमार सिंह और शशांक अरोड़ा इन तीनों की एक्टिंग की बात करें, तो तीनों ने ही शानदार काम किया है। एक्सप्रेशन से लेकर डायलॉग बोलने तक में तीनों काफी मेहनत की है, जो फिल्म में नजर भी आ रही है। इन तीनों के अलावा फिल्म की फीमेल स्टार्स मुस्कान जाफरी और ऋद्धि कुमार ने भी बेहतरीन काम किया है। इनके अलावा अनुज सिंह दुहान, साकिब अयूब जैसे मशहूर एक्टर्स ने भी अपने किरदार को बखूबी निभाया है।
फाइनल वर्डिक्ट
अगर आप इस वीकेंड लाइट हार्टेड फिल्म देखना चाहते है और फिल्में कैसे बनती है उसे भी समझना चाहते हैं, तो ये फिल्म मस्ट वॉच है।
'सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव' को मिलते हैं 4 स्टार।
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