Phir Aayi Haseen Dilruba Movie Review: एक बार ‘फिर आई हसीन दिलरूबा’, पति-पत्नी के बीच मारी तीसरे ने एंट्री
Phir Aayi Haseen Dillruba Movie Review: (Ashwini Kumar)- पिछले 3 साल में बहुत कुछ बदल चुका है। लोगों का फिल्में देखने का नजरिया भी बदल गया है। ओटीटी पर भर-भरकर रिलीज होने वाली वेब सीरीज और फिल्मों को अब कोई सिर्फ ये सोचकर नहीं देखता कि सब्सक्रिप्शन तो ले लिया है तो देख ही लेते हैं। वजह ये है कि ओटीटी पर देखने को इतना खास है कि जो बकवास है, उस पर कोई टाइम खर्च नहीं करना चाहता। लेकिन फिर भी आप देखते हैं कि – हर ओटीटी प्लेटफॉर्म, अपनी एवरेज से भी नीचे, जिसे बिलो एवरेज कहते हैं, उस फिल्म को भी ट्रेंडिंग करार दे देता है। ये बिल्कुल नेपोटिज्म वाला मामला है, कि बच्चा मेरा है, तो अच्छा ही है।
अब आप ये सोच रहे होंगे कि हम इतना ज्ञान आपको क्यों दे रहे हैं? वो इसलिए क्योंकि अच्छे से पैकेज में हमें आधा पका खाना पकड़ा दिया गया है। फिर आई 'हसीन दिलरूबा'। ये उसी हसीन दिलरूबा का सीक्वल है, जो 2021 में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई, और फिर साल की मोस्ट वाच्ड हिंदी फिल्म बन गई।
सेक्स, क्राइम थ्रिलर वाली हसीन दिलरुबा
हसीन दिलरूबा, यानि वो वाला पल्प फिक्शन टाइप का मामला, जो आपको एक जमाने में रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप पर बिकने वाले – सेक्स, क्राइम थ्रिलर वाली कहानियों जैसा था। इसमें एक हसीना थी, एक दीवाना था और एक अनजाना था। हसीना रानी सक्सेना, 'दीवाना' – रिशु सक्सेना, और 'अनजाना' – नील त्रिपाठी। दीवाने रिशु को हसीना रानी से प्यार हुआ लेकिन 'हसीना' रानी का दिल अनजाने नील की ओर खिंचा चला आया, जो उसके दीवाने का दूर के रिश्ते वाला भाई था। ये अवैध रिश्ता, नील की मौत की वजह बना, रिशू की दीवानगी जीती, रानी का प्यार मिला... लेकिन इस रिश्ते को पुलिस वालों की नजर लग चुकी थी।
कैसी है हसीन दिलरुबा के सीक्वल की कहानी
नेटफ्लिक्स वालों को लगा कि ये तो अच्छा मसाला है, फिर से चल निकलेगा। सीक्वल तैयार हो गया – फिर आई हसीन दिलरूबा। अब इसमें कहानी आगरा आ चुकी है। हसीना और दीवाना दोनो मिलने को बेताब हैं। लेकिन पुलिस की नजरें उनका पीछा करती रहती हैं। नील की मौत का साया, यानी नील के साथ रिशू के चाचा मृत्युंजय प्रसाद के लिए भतीजे की मौत का मामला पर्सनल है।
हसीना, दीवाने को बचाने के लिए एक अनजाने अभिमन्यू को फुसलाती है। मगर दांव उल्टा पड़ जाता है, ये अनजाना। पिछले वाले से ज़्यादा चालाक है वो दीवाने को नाकों चने चबवा देता है। हसीना को घुटने पर ला देता है और फिर पूछिए नहीं क्योंकि वही तो क्लाइमेक्स है।
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विज़ुअल इफेक्ट्स लगे फीके
कनिका ढिल्लन ने पल्प फिक्शन की जगह, इस बार कहानी में थोड़ा सा रेखा और कबीर बेदी स्टारर 'खून भरी मांग', थोड़ा सा ऋषि कपूर – सिमी ग्रेवाल और टीना मुनीम स्टारर 'कर्ज़' को मिलाकर एक प्यार, इश्क, बेवफाई के फॉर्मूले का नया आटा गूंथने की कोशिश की है। इसमें उन्होंने खुद ही लिखी 'मनमर्जियां' वाला जीरा भी मिलाया है। लेकिन इस बार कहानी से पैशन, इमोशन, और सिडक्शन तीनों गायब है। ट्रेलर में जितना देखा है, उतना थ्रिल भी नहीं है। आगरा में कहानी को शूट करने की कोशिश अच्छी है, लेकिन विज़ुअल इफेक्ट्स के मामले में फिल्म को असाइन हुआ कम बजट आड़े आ गया है। या प्रोड्यूसर ने इसे ऐसे ही निपटाने के इंस्ट्रक्शन दे दिए होंगे।
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कैसी रही किसकी एक्टिंग
जय प्रसाद देसाई, कहानी के मोड़ों पर खोते चले गए, किरदारों के बीच इश्क और नफरत जैसा प्रिमाइस भी वो सेट नहीं कर पाए। जब कहानी में बदले का इमोशन भी लूज मोशन जैसा लगने लगे, तो समझ लीजिए कि गड़बड़ हो गई है। पिछली बार 'हसीन दिलरूबा' बनी - तापसी पन्नू का सिडक्शन उसकी कामयाबी की बुनियाद बना था। लेकिन इस बार उन्होंने जितनी बार पंडित जी का नाम लिया, उतनी बार वो नकली सी लगीं। रिशू से प्यार, अभिमन्यू से धोखे के एक्सप्रेशन्स में भी वो कंफ्यूज सी ही लगीं हैं।
रिशू बने विक्रांत मैसी का काम अच्छा है, और उनके कैरेक्टर का ग्रॉफ भी सबसे बेहतर है। लेकिन क्लाइमेक्स से उनकी गुमशुदगी खलती है। अभिमन्यू बने सनी कौशल को इस बार, दिलरूबा का बेलगाम आशिक बनना था, लेकिन सनी इस बार पूरी तरह से चूक गए हैं। जिम्मी शेरगिल की एंट्री तो दमदार हुई, लेकिन राइटर और डायरेक्टर ने उनसे फर्जी डायलॉगबाजी के अलावा कुछ करवाया नहीं।
हसीन दिलरूबा को 2 स्टार।
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