Explainer: पंचायत चुनाव में मंजू देवी की हार क्यों? कहां गलती कर बैठे प्रधान जी
चुनाव जीत गईं क्रांति देवी (Image Credit: x)
Explained Why Manju Devi Lost Panchayat Election: सादगी और गांव की कहानी पर बनी वेब सीरीज पंचायत का सीजन 4 अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो गई है। पंचायत 4 अपनी कॉमेडी, धांसू डॉयलॉग और गांव की सुदंरता को कायम रखने के लिए फेमस हैं। प्राइम वीडियो की पंचाय सीरीज का अपना एक अलग फैन बेस है और 24 जून को सीरीज के आते ही लोग सोशल मीडिया पर अपने रिएक्शन देने लगे है।
पंचायत सीजन 4 में प्रधान चुनाव के साथ कहानी को आगे बढ़ाया गया है, इस सीरीज के नए सीजन में सचिव जी, रिंकी, प्रधान के पति और मंजू देवी समेत कई किरदारों की वापसी हुई है। भले ही किरदार पुराने हैं, मगर इस बार कैरेटर्स में काफी बदलाव देखने को मिला है, किसी के रोल में गहराई है। फुलेरा गांव में प्रधान के चुनाव में मंजू और क्रांति दोनों आमने-सामने थे और इस बार भूषण की पत्नी ने बाजी मार ली है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर किन वजहों से क्रांति के सामने मंजू देवी की हार हुई है।
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क्रांति देवी ने मंजू देवी का हराया
क्रांति देवी की जीत और मंजू देवी की हार ने लोगों के मन में सवाल खड़ा कर दिया है कि कैसे बनकारस ने रणनीति के सामने प्रधान के पति के पैंतरे कोई काम नहीं आए। सोशल मीडिया यूजर्स तक क्रांति देवी की जीत पर मीम्स शेयर कर रहे हैं, जिसमें वो बोल रहे हैं कि क्रांति देवी तक चुनाव जीत गईं, लेकिन राहुल गांधी नहीं।
राजनीति में प्रह्लाद पांडे की बढ़ती पकड़
मंजू देवी की हार गई हैं और उनकी हार की एक वजह सियासत में प्रह्लाद पांडे की बढ़ती पकड़ भी है। प्रह्लाद पांडे को फुलेरा में पहले ही लोग उनके बलिदान के लिए काफी पसंद करते हैं और वो जनता के दिलों में बसते हैं। इस बीच अब उनकी लोगों की नजरों में उनकी इज्जत की वजह से भी चुनाव में मंजू देवी की पकड़ ढ़ीली हो गई है।
मंजू देवी के काम में कमी
दूसरी वजह प्रधान मंजू देवी अपनी गांव की असली जिम्मेदारियों से दूर रहने की वजह से भी हारी हैं। जहां उन्होंने अपनी साइड में विकास किया है, मगर गांव के दूसरे हिस्से में कोई काम नहीं किया। प्रधान होने के बावजूद काम से दूर रहने की वजह से लोग उनको सिर्फ नाम मात्र का ही सरपंच मानने लगे थे और पंचायत के कामकाज के लिए सब लोग हमेशा सचिव अभिषेक और प्रह्लाद पांडे के पास ही जाते थे।
जनता का बदलाव की मांग करना
पंचायत के तीनों सीजन में ही फुलेरा गांव की प्रशासनिक हालत और दिक्कतों में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला है। प्रधान मंजू देवी ने अपने कार्यकाल में फुलेरा में कोई सुधार नहीं किया है, जिससे लोग बहुत निराश हैं। इसी वजह से फुलेरावासियों ने इस बार बदवाल की मां को काफी सीरियसली ले लिया था, जो मंजू देवी की हार की सबसे बड़ी वजह बना है।
भूषण-क्रांति की साजिश
क्रांति देवी प्रधान का चुनाव जीती है और सबसे बड़ी बात ये है कि उन्होंने मंजू देवी को चुनाव में हराया है। ऐसे में मंजू देवी की चुनाव में हार की एक वजह क्रांंति और उसके पति भूषण की साजिशे भी हैं, क्योंकि जनता के खिलाफ दोनों ने मिलकर ही मंजू देवी के खिलाफ माहौल बनाया था। उन दोनों फुलेरा में एक अभियान भी चलाया था, जिसका असर चुनावी नतीजों में साफ देखने को मिला।
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