Aap Jaisa Koi Review (Ashwini Kumar): औरतों को बराबरी वाला प्यार और इज्जत, उनके मन की करने की आजादी, पहले भी फिल्में इस टॉपिक पर बन चुकी हैं, बनती रही हैं और आगे भी बनती रहेंगी। क्योंकि ये वो पुरानी बीमारी है जो सदियों से जड़ जमा चुकी है तो इसका इलाज भी लंबा चलेगा। अब ऐसे टॉपिक पर आप एक रोमांटिक फिल्म बनाएं, जिसे देखने में मजा भी आ जाए, तो बस काम बन गया।
धर्मैटिक के बैनर तले बनी ‘आप जैसा कोई’ का फ्लेवर वही है, जिसमें औरतों के हक, उनकी आवाज, उनके बराबरी वाले प्यार और कद्र की बात होती है। ‘जितना तुम-उतना मैं’ का ये फॉर्मेट थोड़ा रिपिटेटिव जरूर लगता है, लेकिन जिस तरह से राधिका और जेहन हांडा इस कहानी को जमशेदपुर के श्रीरेनु की कहानी से शुरू करते हैं, वो आपका इंट्रेस्ट फिल्म में जगा देता है।
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फिल्म की कहानी
संस्कृत के अध्यापक श्रीरेनु, 42 की उम्र में वर्जिन हैं, लड़कियों ने उन्हें अपनी परछाई से दूर रखा है। अधेड़ उमर में उनकी भाभी रिश्ते खोज रही हैं, लेकिन लड़कियों की कसौटी पर मासूमियत से भरे श्रीरेनु अपने नाम के अनुसार ही ओड वन आउट की तरह बाहर हो जाते हैं। दोस्त की सलाह पर श्रीरेनु सेक्स चैट ऐप का सहारा भी लेते हैं और एक लड़की से बात करके ही मीठे-मीठे अहसास में खो जाते हैं। इस बीच भाभी जी एक रिश्ता लाती हैं, फ्रेंच टीचर मधु बोस का। 32 साल की फ्रेंच टीचर मधु, 42 के ODD से श्रीरेनु को पसंद करती हैं और कहानी आगे बढ़ती है। मगर इस मुलाकात में एक ट्विस्ट है… रिश्ता बनने से पहले टूट जाता है और औरत-मर्द के बीच ‘जितना तुम, उतनी मैं’ के ट्रैक पर आ जाता है।
कहानी में ट्विस्ट
जब तक ये कहानी श्रीरेनु और मधु के रोमांस तक रहती है, मीठी सी लगती है। लेकिन जैसे ही औरत के हक की आवाज उठाने के लिए अनाउंसमेंट करती है… माहौल क्लासरूम वाला हो जाता है, बोझिल। हालांकि आप श्रीनु और मधु के किरदार के जुड़े जरूर रहते हैं। श्रीनु के भैया-भाभी के रिश्ते वाला ट्रैक जबरदस्ती वाला लगता है। विवेक सोनी ने फिल्म को ओटीटी के स्केल और फ्लेवर के हिसाब से बनाया है और एक सीधी कहानी में भी आपकी दिलचस्पी बनाए रखा है।
सिनेमैटोग्राफी और एक्टिंग
जमशेदपुर से निकलने के बाद कोलकाता को सिनेमैटोग्राफर ने अच्छे से फिल्माया है। गाने फिल्म का मूड सेट करते हैं लेकिन फिल्म खत्म होने के बाद याद नहीं रहते। याद रहता है कि श्रीरेनु के किरदार में माधवन की एक्टिंग। 42 के अधेड़ उम्र– बैचलर का किरदार करते हुए भी माधवन की मासूमियत को देखकर हैरानी होती है कि ये वही एक्टर है जिसने शैतान बनकर हमें डराया था। मधु बोस बनी फातिमा– खूबसूरत भी लगी हैं और कमाल का काम भी किया है। आयशा रजा की परफॉरमेंस भी कमाल की है।
फाइनल वर्डिक्ट
जमशेदपुर से कोलकाता तक में सिमटी, आप जैसा कोई वो छोटी सी फिल्म है, जो एक वीकेंड की दोपहरी में 2 घंटे से कम वक्त में घर पर नेटफ्लिक्स खोलकर निपटा दीजिए, तो हैवी लंच के साथ एक स्वीट डिश वाली फीलिंग आएगी जिसका स्वाद रह जाता है। ‘आप जैसा कोई’ को 3 स्टार।
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