बॉलीवुड का सबसे बड़ा विलेन, 61 फिल्मों में किया एक जैसा रोल, लेकिन पहचान मिली खलनायक से, पहचाना कौन?
Bollywood First Great Villain Narad Muni
Bollywood First Great Villain Narad Muni: बॉलीवुड में बहुत से ऐसे एक्टर हुए हैं, जो विलेन के रोल से ही पॉपुलर हुए हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे एक्टर के बारे में बता रहे हैं, जिसने 61 फिल्मों में एक जैसा ही किरदार निभाया, फिर भी नहीं मिली कोई खास पहचान। दिलचस्प बात ये है कि यह एक्टर राजघराने से ताल्लुक रखता है और इसे खलनायकों की भूमिका निभाने के लिए ही जाना गया। जी हां, यह अमरीश पुरी, अजीत या प्राण नहीं बल्कि कोई ओर है जिसे बॉलीवुड का पहला बेस्ट विलेन का टैग मिला। चलिए जानते हैं, इस एक्टर के बारे में।
कौन है ये एक्टर
भारतीय फिल्मों में विलेन का चलन उतना ही पुराना है जितना कि भारतीय सिनेमा। भारत की पहली बोलती फिल्म आलम आरा में पृथ्वीराज कपूर ने खलनायक की भूमिका निभाई थी। आज हम आपको ऐसे एक्टर से मिलवाने जा रहे हैं जिसने अपने करियर की शुरुआत में भक्ति फिल्मों में काम किया, लेकिन उसे असली पहचान खलनायक के रूप में ही मिली। यह अभिनेता कोई और नहीं बल्कि जीवन है। इन्होंने नारद मुनि का भी किरदार निभाया था।
किया 61 भक्ति फिल्मों में काम
खबरों के मुताबिक, जीवन के बेटे किरण कुमार ने एक बार एक इंटरव्यू में बताया था कि जीवन ने 61 फिल्मों में मुनि की भूमिका निभाई थी, लेकिन 50 के 50 के दशक तक आते-आते उन्होंने विलेन की भूमिका निभानी शुरू कर दी। इसके बाद ही उन्हें अलग पहचान मिली।
कैसे बने बॉलीवुड के खलनायक
1948 में रिलीज हुई फिल्म मेला बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई थी और इस फिल्म में जीवन के खलनायक किरदार को खूब पसंद किया गया था। इसके बाद तो जैसे जीवन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने 50 से 60 के दशक में नागिन, नया दौर, दो फूल, वक्त और कोहिनूर जैसी फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाई। 60 के दशक में खलनायक के रूप में प्राण के आने के बाद तक भी जीवन का बोलबाला रहा। वे इतने लोकप्रिय थे कि फिल्मों के पोस्टर पर भी दिखने लगे थे और लोग उन्हें सिर्फ खलनायक के तौर पर ही जानते थे।
अभिनेता बनने का सफर
जीवन का जन्म 1915 में ओंकारनाथ धर के रूप में हुआ था। जीवन कश्मीर के एक शाही परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके दादा एक रईस थे और कश्मीर में डोगरा राजाओं के शासन में राज्यपाल के रूप में काम करते थे। जीवन का परिवार नहीं चाहता था कि वे एक्टर बने तो वे 18 साल की उम्र में घर से भाग गए। इन्होंने 1935 की फिल्म 'फैशनेबल इंडिया' से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की।
जीवन का करियर
70 के दशक तक जीवन ने नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों तरह की भूमिकाएं निभानी शुरू कर दी थी। इस दौर तक आते-आते वे सपोर्टिंग रोल में भी नजर आए। उन्होंने हीर रांझा, धर्मात्मा, अमर अकबर एंथनी, सुहाग और लावारिस जैसी फिल्मों में भी काम किया। 71 साल की उम्र में उनकी 1987 में मृत्यु हो गई। उन्होंने अपने फिल्मी करियर में 300 से अधिक फिल्मों में काम किया और उनकी आखिरी फिल्म इरादा 1991 में आई थी।
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