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सालों पहले आता था एक ऐसा शो जिसे देखने के लिए दोपहर 12 बजे सड़कों पर पसर जाता था सन्नाटा, नाम जानते हैं आप?

Mukesh Khanna Show Shaktimaan: शक्तिमान का नाम सुनते ही एक अच्छी सी लय आपके जेहन में आ जाती है, बच्चे हों या बड़े सभी इस धारावाहिक को देखने के लिए बेसब्र रहते थे।

इमेज क्रेडिट: E 24 बॉलीवुड
Mukesh Khanna Shaktiman: शक्तिमान...शक्तिमान...शक्तिमान...शक्ति..शक्ति...शक्तिमान... कुछ आया याद। अगर आप 90 के दशक के बच्चे हैं तो ज़रूर याद होगा। आपने जैसे ही हमारी ख़बर में ये लाइन पढ़ी होंगी तो अपने आप ही मुंह से धुन निकल गई होगी। मुकेश खन्ना के इस शो को देखने के लिए सभी अपने काम जल्दी से निपटा लेते थे। दोपहर 12 बजते ही सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता था। हालांकि आज के समय में बच्चों के पास बहुत से ऑप्शन हैं जिनसे वो अपना मनोरंजन करते हैं। लेकिन कई कार्टून और सीरियल ऐसे हैं जिन्हें पेरेंट्स बच्चों के लिए पसंद नहीं करते। लेकिन शक्तिमान एक ऐसा धारावाहिक था जिसे न सिर्फ़ बच्चे बल्कि बड़े भी साथ में देखा करते थे। मुकेश खन्ना के फेमस शो को लेकर चर्चा है कि इसके ऊपर एक फिल्म बनाई जाएगी। जिसमें रणवीर सिंह को शक्तिमान के रोल में रखने की बात कही जा रही है। लेकिन इस बात पर मुकेश खन्ना को एतराज़ है।

12 बजते ही खुल जाते थे टीवी

आपको बता दें कि जब हम छोटे थे तो रविवार को दोपहर 12 बजते ही टीवी के आगे बैठ जाया करते थे। दरअसल वो समय शक्तिमान के आने का होता था। जैसे बाहुबली के पार्ट वन के रिलीज होने के बाद सभी के जेहन में सवाल था कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा। वैसे 90 के दशक में सभी के मन में एक सवाल था कि क्या गंगाधर ही शक्तिमान है?

क्या फर्क था गंगाधर और शक्तिमान में

आप सोच रहे होंगे कि गंगाधर और शक्तिमान में क्या अंतर था। शायद नहीं तो जान ही लो। दरअसल जहां शक्तिमान एक ताकतवर और दिव्य करैक्टर था। वहीं गंगाधर एक डरपोक सा और साधारण करैक्टर था। जब भी कोई मुसीबत आती थी तो गोल-गोल घूमते हुए एक लय के साथ शक्तिमान प्रकट हो जाता था। वहीं गंगाधर था कि किसी से भी डर जाता था, हालांकि वो इंटेलिजेंट बहुत था।

विलेन के रोल में छाया किलविष

शक्तिमान का हर कैरेक्टर अपने आप में ख़ास था। मुकेश खन्ना ने गंगाधर और शक्तिमान का रोल अदा किया था। वहीं विलेन के रोल में किलविष ने 'अंधेरा कायम रहे' से ऐसा डर फैलाया कि आज भी लोगों की जुबान पर ये डायलॉग चढ़ा हुआ है। कई बार हमारे ही मुँह से निकल जाता है। अंधेरा कायम रहे। वहीं गीता विश्वास के रूप में वैष्णवी महंत ने नीभाया था, जो एक निडर जर्नलिस्ट थी।

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