Manoj Bajpayee on Losing National Award: अगस्त 2025 में हुए 71 वें नेशनल अवार्ड शो में शाहरुख खान को उनकी फिल्म 'जवान' के लिए नेशनल अवार्ड मिला. इस अवार्ड को जीतने के बाद उनके फैंस उन्हें सोशल मीडिया पर बधाई देते नजर आए तो वहीं कुछ लोगों को ये बात कुछ खास पसंद नहीं आई. क्रिटिक्स ने जूरी के शाहरुख को नेशनल अवार्ड देने के इस फैसले पर सवाल उठाए. वहींं, कुछ लोगों का मानना था कि मनोज बाजपेयी की फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' में उनकी एक्टिंग शानदार थी और वे इस अवॉर्ड के ज्यादा हकदार थे.
क्या बोले मनोज बाजपेयी?
मनोज बाजपेयी ने अवॉर्ड को लेकर पानी और शाहरुख की तुलना पर चुप्पी तोड़ी. इंडिया टुडे से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अब बात करना बेकार है क्योंकि अवॉर्ड जा चुका है. उन्होंने बताया कि फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' उनके लिए बहुत खास है, ठीक इसी तरह 'जोरम' भी है. लेकिन वो इस बारे में ज्यादा बात नहीं करते क्योंकि इसे लेकर बहस करना उन्हें बेकार लगता है. उनका मानना है कि जो बातें पास्ट में हो गई हैं, उन्हें वहीं छोड़ देना चाहिए. आपको बता दें कि मनोज चार बार नेशनल अवॉर्ड विनर रह चुके हैं. उन्होंने अब फिल्म अवॉर्ड्स के बदलते पैटर्न पर चिंता जताई और कहा कि अवॉर्ड्स, जिनमें नेशनल अवॉर्ड भी शामिल हैं, अब टैलेंट की बजाय कमर्शियल अपील पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.
अवार्ड को लेकर क्या सोचते हैं मनोज बाजपेयी
मनोज का कहना है कि ये सिर्फ नेशनल अवॉर्ड की बात नहीं है, बल्कि सभी अवॉर्ड्स की है जिनका पहले सम्मान होता था. उन्हें इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए कि ये सब कैसे हो रहा है. ये बात सिर्फ मेरी इज्जत की नहीं है. मैं अच्छी फिल्मों को चुनकर अपनी इज्जत का ध्यान रखता हूं. लेकिन सभी संस्थाओं को इस बारे में खुद से सोचना चाहिए क्योंकि ये मेरा काम नहीं हैं. आगे वो कहते हैं कि उनके लिए अवार्ड के मायने गलत है. उनके लिए अवार्ड घर की सजावट में जुड़ने वाला एक एक हिस्सा है. आप हर रोज अवॉर्ड के सामने खड़े होकर ये बात तो नहीं कहेंगे, ‘वाह, मुझे ये मिला.
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