Mannu Kya Karega? Review: बॉलीवुड में कॉलेज पर आधारित कई फिल्में आई हैं, चाहे वो हल्की-फुल्की रॉमकॉम हों, दोस्ती हो या फिर पहली मोहब्बत की कहानियां, लेकिन अक्सर ये फिल्में कॉलेज लाइफ की मस्ती, दोस्तों के मज़ाक और लव ट्रायंगल्स तक सीमित रह जाती हैं। वहीं, असली जिंदगी के उलझनों और खुद को खोजने की गहराई को कम दिखाया जाता है। ऐसे में संजय त्रिपाठी द्वारा डायरेक्टेड मन्नू क्या करेगा? एक ताज़ा अनुभव पेश करती है। यह सिर्फ कॉलेज रोमांस नहीं है, बल्कि मन्नू की खुद की पहचान, उलझन और सपनों को खोजने की कहानी है। फिल्म में हल्की-फुल्की मस्ती, दोस्ती और प्यार के साथ-साथ युवा जीवन की असली परेशानियों और खुद की खोज को भी बेहद नेचुरल और रिलेट करने वाले तरीके से दिखाया गया है, जो इसे बाकी कॉलेज फिल्मों से अलग बनाता है।
मन्नू की उलझन भरी दुनिया
देहरादून के हरे-भरे वादियों में बसे कॉलेज में मानव “मन्नू” (व्योम) की दुनिया में हर चीज, जैसे फुटबॉल, किताबें, IT, और ड्रामा में उसका हाथ रहता है, लेकिन खुद को लेकर मन्नू पूरी तरह कन्फ्यूज है। तेज दिमाग और कॉलेज का पॉपुलर लड़का होने के बावजूद, उसे पता नहीं कि असली में उसे क्या करना है। उसकी ये उलझन उसकी मां (चारु शंकर) को बेचैन करती है, जबकि पिता (कुमुद मिश्रा) को यकीन है कि बेटा किसी दिन कमाल करेगा।
जिया की एंट्री और नई राह
मन्नू की कन्फ्यूजन भरी ज़िंदगी में एंट्री होती है जिया रस्तोगी (साची बिंद्रा) की, जो पढ़ाई और करियर को लेकर पूरी तरह से फोकस्ड है। जिया की दुनिया में उसका लक्ष्य साफ है, भले ही उसकी पर्सनल लाइफ में हल्की-फुल्की उलझनें हों पर वो किसी बात का बोझ अपने दिल पर नहीं रखती। उसकी ठान लेने की क्षमता और सपनों की ओर बढ़ने का जुनून मन्नू के लिए एक नई प्रेरणा बनता है।
प्यार की शुरुआत और ट्विस्ट
एक कॉलेज ट्रिप के दौरान मन्नू और जिया के बीच नज़दीकियां बढ़ती हैं और प्यार का सिलसिला शुरू हो जाता है। मन्नू जिया को इंप्रेस करने के लिए कुछ ऐसा कर देता है, जिसकी असलियत सामने आने पर उसकी ज़िंदगी पूरी तरह उलट-पुलट हो जाती है।
गलतियों से सीख और खुद की खोज
सच का सामना करने के बाद मन्नू को अपनी गलतियों का एहसास होता है। अब वह अपने रिश्तों, दोस्तों और सपनों को लेकर नए तरीके से सोचता है। प्रोफेसर डॉन (विनय पाठक) की मदद और मार्गदर्शन से मन्नू धीरे-धीरे खुद को समझता है और अपने जीवन को सही रास्ते पर कैसे लाता है, यह देखना अपने आप में दिलचस्प है।
जबरदस्त परफॉर्मेंस
फिल्म की एक्टिंग की अगर बात करें, तो व्योम ने मन्नू के किरदार को बेहद रियल और रिलेटेबल बनाया है। साची ने जिया के रोल में ताजगी और एनर्जी भर दी है, जो कहानी को नया जीवन देती है। कुमुद मिश्रा और चारू शंकर ने माता-पिता के किरदार में भावनाओं की गहराई जोड़ते हुए कहानी को और मजबूत बनाया है। वहीं, विनय पाठक ने अपने प्रोफेसर के किरदार में हर बार की तरह शानदार परफॉर्मेंस दी है।
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कहानी, म्यूजिक और सिनेमैटोग्राफी
हर फिल्म की रूह उसकी कहानी होती है, लेकिन मन्नू क्या करेगा? म्यूजिक और विजुअल्स ही कहानी की धड़कन बन जाते हैं। नौ गानों का सफर कभी हंसी में डुबोता है, तो कभी आंखें नम कर जाता है। स्क्रीनप्ले ऐसा है कि कहीं भी बनावटीपन महसूस नहीं होता—फर्स्ट हॉफ में कॉलेज की शरारतें और दोस्ती की मिठास, और दूसरे हिस्से में अपने रास्ते को पहचानने की गहराई। डायलॉग्स सीधे दिल पर असर करते हैं, जैसे किसी दोस्त ने चुपचाप हमारी उलझनें कह दी हों। और देहरादून की वादियां… वे तो जैसे पर्दे से बाहर आकर हमें अपनी गोद में बैठा लेती हैं। नतीजा यह है कि कहानी, म्यूजिक और सिनेमैटोग्राफी मिलकर फिल्म को एक यादगार एहसास में बदल देते हैं।
फाइनल वर्डिक्ट
मन्नू दरअसल हर उस युवा की परछाई है जो जिंदगी की भागदौड़ में कभी उलझन, कभी सपनों और कभी फैसलों के बीच अटक जाता है। उसकी कहानी दिल से निकलती है और सीधा दिल तक पहुंचती है, क्योंकि यह सिर्फ कॉलेज रोमांस नहीं, बल्कि खुद से पूछे गए उस सवाल का जवाब है: "अब आगे क्या?" फिल्म का संगीत और दमदार परफॉर्मेंस इसे और गहराई देते हैं, जिससे मन्नू क्या करेगा? सिर्फ लव स्टोरी बनकर नहीं रह जाती, बल्कि यह अपने मकसद की तलाश को सबसे खूबसूरत सफर बना देती है।
क्यूरियस आई फिल्म्स ने इस कहानी को सच्चाई और पैशन के साथ पर्दे पर उतारा है। नतीजा यह है कि यह फिल्म हर युवा के लिए जरूरी है, एक ऐसी मूवी जिसे आप वीकेंड पर परिवार और दोस्तों के साथ देखकर न सिर्फ एंटरटेन होंगे, बल्कि थोड़ा सा खुद को भी बेहतर समझ पाएंगे।