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रिलीज से पहले Chandu Champion का पढ़ें रिव्यू; किसने डाला Wow फैक्टर, किसने बनाया कमजोर?

Chandu Champion Review: कार्तिक आर्यन की फिल्म चंदू चैंपियन सिनेमाघरों में 14 जून को रिलीज के लिए तैयार है। चलिए रिलीज से पहले पढ़िए इसका रिव्यू, क्या फिल्म को देखना चाहिए? क्या है फिल्म की है खास बात, क्या है कमजोरी, सब कुछ जानें यहां।

इमेज क्रेडिट: E 24 बॉलीवुड
Chandu Champion Review/Navin Singh Bhardwaj: खेल जगत बॉलीवुड का बहुत ही अहम हिस्सा रहा हैं, चाहे खिलाड़ी का किसी हसीना पर दिल आ जाए या फिर किसी खिलाड़ी की जिंदगी पर फिल्म बन जाए। धोनी हो या मैरी कॉम, फिल्मी दुनिया ने हमेशा से ये दिखाने की कोशिश की है कि भारत के ये दोनों रिलिजन “खेल और बॉलीवुड” हमेशा साथ होते और चलते हैं। ऐसी ही एक गुमनाम खिलाड़ी और विजेता मुरलीकांत पेटकर की कहानी को बड़े पर्दे पर ले कर आए हैं डायरेक्टर कबीर खान और प्रोडूसर साजिद नाडियाडवाला। जी हां, हम बात कर रहे हैं कार्तिक आर्यन की फिल्म चंदू चैंपियन की, आखिर कैसी है कार्तिक की फिल्म चंदू चैंपियन, इसके लिए पढ़िए E24 का रिव्यू।

कहानी

कहानी की शुरुआत पुणे से दूर सांगली के पेठ इस्लामपुर गांव से होती है, जहां स्टेशन पर आए ओलंपिक चैंपियन को देख छोटे मुरलीकांत को ओलंपिक में हिस्सा लेने की ख्वाहिश होती है और देखते ही देखते ये ख्वाहिश सपना बन जाता है। बड़े भाई की सलाह पर मुरलीकांत (कार्तिक आर्यन) कुश्ती की तैयारी में जुट जाता है, लेकिन गांववालों के आपसी मतभेद की वजह से मुरली को गांव से भागना पड़ता है। मुरली की मुलाकात ट्रेन में करनैल सिंह (भुवन अरोड़ा) से होती है। करनैल की सलाह पर मुरली फौज में शामिल हो जाता है, जहां से वो ओलंपिक की तैयारी अच्छे से कर पाएं। फौज में मुरली की मुलाकात टाइगर अली (विजय राज) से होती है, जो उसे मिडल वेट बॉक्सिंग की तैयारी करवाता है। देखते ही देखते मुरली 1964 के इंटरनेशन मिलिट्री गेम्स में शामिल हो, बॉक्सिंग में सिल्वर मेडल जीत जाता है, लेकिन इससे पहले की मुरली ओलंपिक की तैयारी करता, 1965 के भारत-पाकिस्तान की जंग में मुरली घायल हो जाता है और गोली लगने की वजह से वो कमर के नीचे पैरालाइज हो जाता है। मुरली के अंदर ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने की इतनी चाह होती है कि वो अब स्विमिंग की तैयारी में जुट जाता है। टाइगर अली की ट्रेनिंग में मुरली सन् 1972 में हैडलबर्ग के पैरालंपिक में हिस्सा लेता है और आखिर कार 50 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग में गोल्ड मेडल जीत जाता है।

डायरेक्शन, राइटिंग & म्यूजिक

83 के बाद एक बार फिर बायोग्राफिकल स्पोर्ट्स ड्रामा के साथ वापसी हुई है। डायरेक्टर कबीर खान की फिल्म के लेखन में इनका साथ दिया हैं सुमित अरोड़ा और सुदिप्तों सरकार ने। डायरेक्शन और राइटिंग के अलावा कबीर ने फिल्म को साजिद नाडियाडवाला के साथ प्रोड्यूस भी किया है। ऐसा कहा जा सकता है कि मुरलीकांत पेटकर कि कहानी के रिसर्च में कबीर और उनकी टीम ने कोई कसर नहीं छोड़ी। मुरलीकांत की इंस्पिरेशनल कहानी को बड़े पर्दे पर अच्छे से उतारा गया हैं। राइटिंग के मामले में डायलॉग हों या पंच लाइन्स या गांव की उस दौर का लोकल लैंग्वेज, कबीर और उनकी टीम ने उम्दा काम किया है। अब बात करते हैं डायरेक्शन की, डायरेक्शन की मामले में कबीर अपनी पिछली फिल्म के मुकाबले थोड़े पीछे छूटते नजर आएं। फिल्म का फर्स्ट हाफ जहां स्टोरी बिल्डअप था वहीं स्लो भी नजर आ रहा था। इंटरवल से पहले 1965 के भारत-पाक युद्ध को वन-टेक शॉट को और बेहतर और इमोशनल बनाया जा सकता था। फिल्म में कहीं-कहीं जम्प शॉट का भी अनुभव होगा। इससे ये पता चलेगा कि फिल्म को शुरुआत से ही बिना ध्यान भटकाए बारीकी से देखना पड़ेगा। इंटरवल की बाद फिल्म धीरे-धीरे पेस पकड़ती है और अंत में भावुक कर जाती है। फिल्म का क्लाइमेक्स जबरदस्त है और ये सीन कबीर ने बड़े अनोखे अन्दाज में फिल्माया है। फिल्म के बैकग्राउंड स्कोर ने भी फिल्म में जान फूंक दी है, जिसका पूरा क्रेडिट जूलियस पैकिंग को जाता है। अरिजीत सिंह कि आवाज में प्रीतम के गाने “सत्यानाश” “सरफिरा” और “तू हैं चैंपियन” की तारीफ होनी चाहिए।

एक्टिंग

फैन्स को बीते साल सत्यप्रेम की कथा देने के बाद कार्तिक आर्यन इस साल अपनी अगली फिल्म चंदू चैंपियन के साथ वापसी कर रहे हैं। कायदे से कार्तिक ने इस फिल्म में हर उम्र के किरदार को निभाया है। चाहे स्कूल का बच्चा हों या बूढ़ा कार्तिक, इन किरदारों को ईमानदारी से निभाया है। ओलंपिक चैंपियन बनने कि चाह में मुरली के किरदार में कार्तिक ढल गए थे। फिल्म में कार्तिक के अलावा तीन और अहम किरदार हैं जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता। करनैल सिंह के किरदार में भुवन अरोड़ा ने कमाल का काम किया हैं, वहीं मुरली के ट्रेनर के रूप में टाइगर अली यानी की विजय राज को देखना दिलचस्प था। विजय राज ने हमेशा की तरह बेहतरीन परफॉरमेंस दिया है। फिल्म में कंपाउंडर टोपाज, इंस्पेक्ट और जर्नलिस्ट के किरदार में राजपाल यादव, श्रेयस तलपड़े और सोनाली कुलकर्णी का होना फिल्म का WOW फैक्टर माना जा सकता है।

फाइनल वर्डिक्ट

बड़े पर्दे पर एक गुमानम भारतीय गोल्ड मेडलिस्ट मुरलीकांत पेटकर कि कहानी को देखना और जीना एक अलग एक्सपीरियंस होगा। आप प्राउड भी फील करेंगे और मोटिवेटेड भी। कार्तिक आर्यन की मेहनत बड़े पर्दे पर नजर आ रही है, साथ में मंझे कलाकार जैसे विजय राज, राजपाल यादव, श्रेयस तलपड़े और सोनाली कुलकर्णी का होना फिल्म को उम्दा बनाता है। अगर आप इस वीकेंड मूवी प्लान कर रहें हैं तो ये फिल्म देखी जा सकती है। चंदू चैंपियन फिल्म को मिलते हैं ⭐⭐⭐⭐ स्टार। ये भी पढ़ें: 27 साल बाद फिर होगी देश की सबसे बड़ी जंग, Border 2 में अपना वादा पूरा करेंगे फौजी! 

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