‘संतोष’ से पहले भी इन फिल्मों पर लग चुका है बैन, सेंसर बोर्ड ने दिखाई थी ‘लाल झंडी’
Banned film
भारत में समय-समय पर कई फिल्में सेंसर बोर्ड की सख्ती और सामाजिक-राजनीतिक विवादों के कारण बैन होती आई हैं। हाल ही में संध्या सूरी की फिल्म संतोष को भारत में बैन कर दिया गया, जो पुलिस की हिंसा और महिलाओं की स्थिति पर आधारित थी। इस फिल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया, लेकिन सेंसर बोर्ड ने इसे "इस्लामोफोबिया और पुलिस की नकारात्मक छवि" दिखाने के आरोप में रिलीज की अनुमति नहीं दी। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब किसी फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगी हो। इससे पहले भी कई चर्चित फिल्मों पर सेंसर बोर्ड और अन्य कारणों से बैन लगाया जा चुका है।
1. संतोष
निर्देशक संध्या सूरी की फिल्म संतोष को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली, लेकिन सेंसर बोर्ड ने इसकी रिलीज पर रोक लगा दी। इसमें महिलाओं के प्रति गलत भावना, इस्लामोफोबिया और पुलिस की हिंसा दिखाने के आरोप लगे।
2. फायर
साल 1996 में दीपा मेहता की इस फिल्म में समलैंगिक संबंधों को दिखाया गया था, जिससे धार्मिक संगठनों में नाराजगी फैल गई और इसे अस्थायी रूप से बैन कर दिया गया था।
3. कामसूत्र: ए टेल ऑफ लव
साल 1996 में मीरा नायर की इस फिल्म में यौन विषयों की वजह से इसे सेंसर बोर्ड ने रिलीज करने की अनुमति नहीं दी थी।
4.ब्लैक फ्राइडे
साल 2004 में अनुराग कश्यप की यह फिल्म 1993 के मुंबई बम धमाकों पर आधारित थी। लेकिन इस केस की सुनवाई कोर्ट में लंबित थी, इसलिए इसकी रिलीज को रोक दिया गया था।
5. सिन्स
साल 2005 में इस फिल्म में एक पादरी और महिला के बीच संबंधों को दिखाया गया था। इसे कैथोलिक ग्रुप ने आपत्तिजनक बताया थी फिर इसे सेंसर बोर्ड ने इसे बैन कर दिया था।
6. द पिंक मिरर
साल 2003 में श्रीधर रंगायन की इस फिल्म में ट्रांसजेंडर और समलैंगिकता जैसे मुद्दों को उठाया गया था। लेकिन सेंसर बोर्ड ने इसे "अश्लील और आपत्तिजनक" बताते हुए रोक लगा दी।
7. उर्फ प्रोफेसर
साल 2000 में आई इस फिल्म को अश्लीलता और अभद्र भाषा के कारण सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को रिलीज नहीं होने दिया।
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8. परजानिया
साल 2005 में गुजरात दंगों पर आधारित इस फिल्म को राजनीतिक और सामाजिक संवेदनशीलता के कारण गुजरात में प्रतिबंधित कर दिया गया था।
9. वॉटर
साल 2005 में दीपा मेहता की इस फिल्म में विधवाओं की स्थिति पर आधारित कहानी थी, जिससे यह विवादों में आ गई और इसकी रिलीज रोक दी गई।
10. पांच
साल 2003 में अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित यह फिल्म हिंसा, गाली-गलौज और ड्रग्स के इस्तेमाल के कारण बैन कर दी गई थी।
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