‘क्या फर्क पड़ता है ?..’, कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस पर बोले ‘भक्षक’ डायरेक्टर, समाज को दिखाया आईना
Bhakshak Directed Pulkit Post: दिल्ली के निर्भया रेप केस के इतने साल बाद भी देश में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ है और इस बात की गवाही कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में लेडी डॉक्टर के साथ हुई रेप और मर्डर की घटना ने साफ कर दिया है। महिलाएं अपने काम की वजह पर भी अब सुरक्षित नहीं है और इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। पूरा देश इस घटना पर आक्रोश जता रहा है और कई बॉलीवुड सेलेब्स भी इंसाफ की मांग कर चुके हैं। इस बीच अब भूमि पेडनेकर की फिल्म 'भक्षक' डायरेक्टर पुलकित ने भी स्वतत्रंता दिवस के मौके पर एक खास पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने समाज की कड़वी सच्चाई सामने रखी है।
डायरेक्टर पुलकित का पोस्ट
साल 2024 में रिलीज हुई फिल्म 'भक्षक' के डायरेक्टर पुलकित सिंह ने इंस्टाग्राम पर कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस को लेकर एक पोस्ट शेयर किया है। पुलकित ने एक फोटो शेयर की है, जिसमें एक सफेद हाथ को एक काले हाथ ने पकड़ हुआ है और इस फोटो के साथ डायरेक्टर ने एक लंबा चौड़ा नोट भी साझा किया। पुलकित ने अपनी पोस्ट के कैप्शन में लिखा, 'भक्षक की आख़िरी में भूमि पेडनेकर द्वारा कहा गया संवाद, महज संवाद नहीं था। सच था, मेरा और आपका। आज उसी संवाद को कोलकाता में हुए रेप केस से जोड़ कर वापस लिख रहा हूं, और उम्मीद करूँगा के एक दिन हम शून्य जैसे ना बैठे हो! उस दिन हम वाक़ई आज़ाद हो जाएंगे।'
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फेसबुकिया जिंदगी में अहसास हुए शून्य
पुलकित (Bhakshak Directed Pulkit Post) ने आगे लिखा, 'क्या फर्क पड़ता है ? आज कोलकाता में हुआ है कल कहीं और होगा । दो दिन गुस्सा रहेगा , शायद कुछ लोगों को बुरा भी लगे। ट्विटर फेसबुक पर अपने अपने हिस्से की समवेदना जाहिर कर लेंगे वो भी हैशटैग के साथ। कुछ समवेदना राजनीतिक होंगी और कुछ शायद तब जागें जब किसी अपने के साथ कुछ हो जाए । चाहे कुछ भी हो, फर्क कुछ ख़ास नहीं पड़ेगा। दरअसल फेसबुकिया ज़िंदगी में हमारे अहसास किसी शून्य से हो गए हैं , शून्य समझते हैं ना ?'
मीडिया की सच्चाई
डायरेक्टर ने कैप्शन में आगे मीडिया में दिखाई जाने वाली न्यूज का जिक्र करते हुए लिखा, 'मीडिया वो दिखाएगा जिससे टीआरपी बटोरी जा सके , सूट बूट पहने टीवी एंकर आपको कहानी के अलग अलग पहलू तो बताएँगे मगर सच क्या होगा उसका पता नहीं । आपके और हमारे पास भी ऐसी कई चीज़ हैं जो इन सब से ज़रूरी हैं , समय कम है ना, ऐसे लड़कियों के बलात्कार की खबर सुन कर कान बंद कर लेना ही अच्छा है , ठीक करते हैं आप लोग , जब सुनेंगे ही नहीं तब समवेदना को फ़र्क़ क्या पड़ेगा । सिर्फ़ वही सुनिए जिससे आपको मसाला मिले और टीवी चैनलों को टीआरपी।'
दुखी होना भूल गए हैं क्या ?
उन्होंने आखिर में लिखा, 'चलिए क्या फर्क पड़ता है , कल कुछ और होगा परसों कुछ और इतना सोचेंगे तो समवेदना जाग जाएगी उसको सोने ही देते हैं । बस एक सवाल हैं अगर मन करे तो सोचिएगा नहीं तो कोई बात नहीं , दूसरों के दुख पर दुखी होना भूल गए हैं क्या ? क्या आपकी गिनती इंसानों में अभी भी होती है , या आप भी भक्षक बन चुके हैं।' पुलकित की इस पोस्ट पर सोशल मीडिया यूजर्स कमेंट कर रहे हैं और काफी ज्यादा पसंद भी कर रहे हैं।
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