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Bheed Film Review: एक बार फिर महसूस हुआ Lockdown का दर्द, अनुभव सिन्हा ने ब्लैक एंड व्हाइट कर दी सारी यादें

Bheed Film Review: आज फिल्म “भीड़” रिलीज हो गई है। अभिनव सिन्हा के डायरेक्शन में बनी यह फिल्म कोरोना संक्रमण, उसके बुरे प्रभाव, उस दौरान प्रवासियों को हुई पीड़ा और जात-पात के आधार पर किए गए भेदभाव को समेट कर बनाई गई है। फिल्म मूल रूप से कोविड और लॉकडाउन के दौरान हुई दिक्कतों पर […]

Bheed Film Review: आज फिल्म "भीड़" रिलीज हो गई है। अभिनव सिन्हा के डायरेक्शन में बनी यह फिल्म कोरोना संक्रमण, उसके बुरे प्रभाव, उस दौरान प्रवासियों को हुई पीड़ा और जात-पात के आधार पर किए गए भेदभाव को समेट कर बनाई गई है। फिल्म मूल रूप से कोविड और लॉकडाउन के दौरान हुई दिक्कतों पर ही रची बसी गई है फिर भी इसमें जात-पात के मुद्दे को भी काफी वक्त दिया गया है।

कोरोना और लॉकडाउन पर बनी है फिल्म (Bheed Film Review)

आज 24 मार्च को फिल्म रिलीज कर दी गई है। ऐसे में फिल्म का रिव्यू तो बनता है। फिल्म लॉकडाउन से सबसे बुरी तरह प्रभावित होने वाले वर्ग पर बनी है। वह लोग जो अपने घर, राज्य और अपनों से कोसो दूर रोजगार के चलते पड़े हुए हैं। ऐसे लोगों पर कोरोना की सबसे ज्यादा मार पड़ी थी। यह फिल्म मूल रूप से उन्हीं लोगों के इर्द-गिर्द घूमेगी।

पुलिस अधिकारी के रोल में नजर आएंगे राजकुमार राव

पुलिस अधिकारी सूर्य कुमार सिंह टीकस के रोल में नजर आने वाले राजकुमार राव इसके मेन लीड तो नजर आते हैं लेकिन फिल्म में अलग-अलग स्तर पर लगभग हर किरदार और उसकी मुसीबतों से रूबरू कराया जाता है। फिल्म में भूमि पेडनेकर, पंकज कपूर, आशुतोष राणा, दीया मिर्जा, कृतिका कामरा को अलग-अलग किरदार में देखा जाएगा।   फिल्म में राजकुमार राव का कैरेक्टर निम्‍न जाति से संबंध रखता है। उसे राज्‍य की सीमा के एक चेक पोस्‍ट का इंचार्ज बना दिया जाता है। वह डाक्‍टर रेणु शर्मा (भूमि पेडणेकर) से प्रेम करता है। दूसरी ओर सिक्‍योरिटी गार्ड बलराम त्रिवेदी (पंकज कपूर) अपने परिवार और 13 साथियों के साथ निकला है।

ब्लैक एंड व्हाइट है पूरी फिल्म

फिल्म दिल्ली से 1200 किमी दूर तेजपुर की सीमा पर बनाई गई है। फिल्म की सबसे खास और दिलचस्प चीज है कि फिल्म पूरी ब्लैक एंड वाइट में बनी है। शायद इससे अनुभव सिन्हा ने फिल्म की गंभीरता को और करीब से समझाने की कोशिश की है। उन्‍होंने कठिन विषय चुना है, लेकिन संवेदनाओं को पूरी तरह उभारने में विफल रहते हैं। शुरुआत में कोरोना संक्रमण फैलने के साथ फिल्‍म जात-पात और अमीरी-गरीबी जैसे सामाजिक मुद्दों को दिखाती है। तेजपुर के बॉर्डर पर एकत्र होने के बाद पैदल चलने के कारण प्रवासी मजदूरों के पैरों में पड़े छाले, भूख से बिलखते बच्‍चे, घर के करीब पहुंच कर भी वहां न पहुंच पाने की प्रवासियों की छटपटाहट को अनुभव सिन्‍हा ने बहुत संजीदगी से दर्शाया है।

आशुतोष राणा एक बार फिर छोड़ेंगे छाप

बहरहाल, ऊंच-नीच जात-पात, अमीरी-गरीबी, घर पहुचंने की कसमसाहट से जूझते पात्रों के साथ आखिर में कहानी मानवता को प्राथमिकता देने पर आती है। इंस्‍पेक्‍टर यादव के किरदार में आशुतोष राणा अपने अभिनय से मुग्‍ध करते हैं। उन्‍होंने अभिनय में संयम और शिष्‍टता का परिचय दिया है।

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