Aasif Sheikh Reveals Salman Khan has no dare to Speak in Front of His Father Salim Khan: 'भाभी जी घर पर हैं’ सीरियल में विभूति नारायण मिश्रा का किरदार निभाने वाले आसिफ शेख ने फिल्म ‘करण अर्जुन’ में सलमान खान के साथ काम किया था. इस फिल्म में उन्होंने सूरज सिंह का नेगेटिव रोल निभाया था. हाल ही में हुए एक इंटरव्यू में आसिफ शेख ने सलमान और उनके पिता सलीम खान के साथ अपने बॉन्ड के बारे में खुलकर बात की. आसिफ ने बताया किया कि कैसे वह सलमान के फार्म हाउस जाते और खासकर सलीम खान के साथ समय बिताते थे. इसके अलावा उन्होंने इस बात का भी खुलासा कि सलमान अपने पिता के सामने आसानी से बात नहीं कर पाते हैं.
आसिफ शेख ने सलीम खान के लिए कही ये बात
हिंदी रश से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि सलीम अंकल बहुत समझदार और सुलझे हुए इंसान हैं. आसिफ आगे बताते हैं कि उन्हें सलीम खान की बातें बहुत असली और दिलचस्प लगती हैं, साथ ही उनका ह्यूमर भी बेहद शानदार है. उन्होंने बताया कि उनकी और सलमान के बहनोई अतुल अग्निहोत्री के बीच काफी अच्छी दोस्ती है. वह और अतुल अक्सर सलीम खान के साथ बैठा करते थे और उनसे बहुत कुछ सीखते थे. सलीम खान ने उन्हें यह भी बताया कि अमिताभ बच्चन को उनकी पहली फिल्म में कैसे कास्ट किया गया था. आसिफ मानते हैं कि सलीम खान से मिली सीख और अनुभव उनके लिए बहुत काम आए.
आसिफ ने यह भी बताया किया कि एक बार सलीम खान ने उन्हें कहा था कि किसी इंसान को कुछ देने के दो तरीके होते हैं या तो दिखावा करके दो या छिपाकर दो, और ये तरीके एक व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ बताते हैं. इसके अलावा सलीम खान ने उनसे यह भी कहा था कि किसी इंसान को जज करने के लिए इस बात पर ध्यान देना कि उस शख्स के दोस्त कितने पुराने हैं, उनके नौकर कितने पुराने हैं और उसका फोन नंबर कितना पुराना है.
क्यों नहीं करते सलमान पिता सलीम खान से खुलकर बात
बातचीत में आसिफ ने यह भी बताया कि सलमान खान अपने पिता की कितनी इज्जत करते हैं. सलीम खान सलमान के सबसे बड़े क्रिटिक हैं. वह जो भी कहते हैं, सीधे कहते हैं और अपनी बात को कभी भी मीठा या पॉलिश करके नहीं कहते. भले ही उनका बेटा स्टार है, लेकिन सलीम खान भी खुद में एक बड़े सुपरस्टार हैं. आसिफ ने आगे कहा कि उन्हें याद है जब सलमान नए स्टार बने थे, तब वह अपने पिता के सामने आने से कतराते थे और बात करते समय हकलाते या लड़खड़ा जाते थे. सलमान खान में उनके आगे बोलने की हिम्मत ही नहीं थी.