Wednesday, 24 April, 2024

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Rocketry – The Nambi Effect Review: माधवन की ‘रॉकेट्री’ को टैक्स फ्री कीजिए, स्कूलों में दिखाइए, ये फिल्म असली हीरो की कहानी है

हीरोज़ कैसे होने चाहिए, क्या वो नेता, जो वो वोट से चुने जाते हैं और फिर उनका सौदा किए जाते हैं, क्या वो क्रिकेटर, जो मैदान पर जाते हैं खेलते हैं और करोड़ों की फीस और एंडोर्समेंट कमाते हैं, क्या वो एक्टर, जो स्क्रीन पर आते हैं और वीएफएक्स से कमाल दिखाते हैं… या फिर […]

हीरोज़ कैसे होने चाहिए, क्या वो नेता, जो वो वोट से चुने जाते हैं और फिर उनका सौदा किए जाते हैं, क्या वो क्रिकेटर, जो मैदान पर जाते हैं खेलते हैं और करोड़ों की फीस और एंडोर्समेंट कमाते हैं, क्या वो एक्टर, जो स्क्रीन पर आते हैं और वीएफएक्स से कमाल दिखाते हैं… या फिर सरहद के वो सैनिक, वो गुमनाम साइंटिस्ट, जो हमारी दुनिया हर दिन बेहतर और सुरक्षित बनाते हैं और गुमनामी में रहते हैं?

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माधवन की रॉकेट्री, रुकिए ये नांबी नारायणन की रॉकेटरी है, क्योंकि माधवन इस फिल्म को बनाते हुए पूरी तरह से नांबी नायारणन ही बन चुके हैं, रत्ती भर का फर्क नहीं। देश की ये उन चुनिंदा फिल्मों में से है, जिन्हें देखना भर से ही हमारी और आपकी ज़िम्मेदारी पूरी नहीं होती, बल्कि इसे हर नौजवान को दिखाना होगा, शायद इससे भी बात नहीं बनेगी। रॉकेट्री, फिल्म नहीं एक मुवमेंट है, जिसे बच्चों को दिखाना ज़रूरी कर देना चाहिए और स्टेट गर्वनमेंट्स को सामने इस फिल्म को टैक्स फ्री करके स्कूल के बच्चों को दिखाना चाहिए।

 

रॉकेट्री की कहानी शुरु होती है, अपने परिवार के साथ एक आम सी, लेकिन खुशियों के साथ ज़िंदगी बिताने वाले नांबी नारायणन के साथ। और अगले ही पल, उनके उपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। अचानक मंदिर के बाहर से ज़मीन से घसीटते हुए नांबी नारायणन को हिरासत में लिया जाता है, उनके परिवार पर हमला किया जाता है और इल्ज़ाम लगाया जाता है कि उन्होने देश की रॉकेट टेक्नॉलॉजी को पाकिस्तान के हाथ बेच दिया है। इसके बाद शुरु होता है थर्ड डिग्री टॉर्चर का सिलसिला, नांबी नारायणन को तोड़कर एक झूठ को सच बनाने की एक ऐसी कोशिश, जिसने देश के एक बेहतरीन साइंटिस्ट की पूरी ज़िंदगी को बिखेर कर रख दिया।

19 साल बाद नांबी नारायणन का इंटरव्यू शाहरुख़ ख़ान ले रहे हैं। स्टूडियों में बैठे लोग सोच रहे हैं कि एक बुढ़ा अब उन्हे घंटों तक पकाएगा, शाहरुख़ ने तैयारी पूरी कर रखी है, और जब ये इंटरव्यू शुरु होता है, तो सब चौंकते हैं, शर्मिंदा होते हैं, नांबी नारायणन के साथ हुए अन्याय से उन्हे जिल्लत महसूस होती है, उनके संघर्ष से उनकी आंख़ें नम होती हैं। क्लाइमेक्स में शाहरुख़ उठकर नांबी नारायणन के कदमों में बैठ जाते हैं, देश के उस रॉकेट साइंटिस्ट, जिसे इसरो का चीफ़ होना चाहिए था, जिसे दुनिया का सबसे कामयाब साइंटिस्ट होना चाहिए था, उसकी बेकद्री, उसके खिलाफ़ हुए अन्याय के लिए पूरे देश की तरफ़ से मांफ़ी मांगते हैं।

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रॉकेट्री की कहानी को दो हिस्सो में दिखाया गया है। पहला हिस्सा वो, जिसमें नांबी नारायणन का बुलंदियों पर पहुंचना, विक्रम साराभाई का इस नौजवान साइंटिस्ट के हुनर को पहचानना, ए.पी.जे अब्दुल कलाम के साथ भारत के वैज्ञानिक क्षमताओं के लिए किसी भी हद तक जाना। प्रिंस्टन यूनीवर्सिटी में जाना, नासा की शानदार नौकरी को देश के लिए ठुकराना, स्कॉटलैंड से रॉल्स रॉयल्स के सीईओ से लिक्विड स्पेस इक्वीपमेंट्स मुफ्त ले आना, फ्रांस से ही सीखकर फ्रांस से कई गुना बेहतर विकास रॉकेट को चंद पैसों में बना डालना… ये सब देखकर थियेटर में बैठा हर शख़्स सोच रहा होता है, कि देश के इस हीरो के बारे में उसे पता क्यों नहीं !

फिर शुरु होती है सेकेंड हॉफ की कहानी, जिसमें एक झूठे इल्ज़ाम ने देश के रॉकेट मिशन को 15 साल पीछे धकेल दिया, एक बेहद काबिल साइंटिस्ट पर देशद्रोही होने धब्बा लगा दिया, जिसे हटाने की लड़ाई नांबी नारायणन और उनका परिवार बरसों तक झेलता है। जिस देश में नांबी नारायणन को पलकों पर बिठाकर रखा जाना चाहिए था, उन्हे भरी बारिश में पत्नी के साथ ऑटो से बाहर फेक दिया जाता है। माधवन ने इस पूरी कहानी को ऐसे लिखा है, ऐसे डायरेक्ट किया कि आप थियेटर में बैठकर इसे जीते हैं, इसका हिस्सा बन जाते हैं।

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माधवन इस फिल्म का शरीर है, आत्मा हैं। उन्होने ये कहानी लिखी, डायरेक्ट की और प्रोड्यूस की और साथ ही एक्ट भी किया। किसी बड़े स्टूडियों, बड़ी कंपनी, बड़े फाइनेंसर, बड़ी ड्रिस्टीब्यूटर चेन ने माधवन को सपोर्ट नहीं किया। लेकिन माधवन हारे नहीं, उन्होने पूरी ईमानदारी से नांबी नारायणन की इस कहानी को अपने पैसों से, अपने दम पर दर्शकों के सामने रखा है। हिंदी और इंग्लिश वर्ज़न में नांबी नारायणन का इंटरव्यू फिल्म में शाहरुख़ ख़ान ने लिया है, और तमिल, तेलुगू वर्ज़न में साउथ सुपरस्टार सुरैया ने। इस फिल्म में माधवन की पत्नी का किरदार सिमरन ने निभाया है। इन सबकी कोशिशों के लिए इन्हे स्टार्स नहीं, स्टैंडिंग ओवेशन देना बनता है।

रॉकेट्री को देखिए, दिखाईए, इसके बारे में बातें कीजिए, जो ना सुनना चाहे उसे भी बताइए, क्योंकि हमें और आने वाली पीढ़ियों को पता होना चाहिए कि नांबी नारायणन ने इस देश को क्या दिया, और इस देश ने उन्हे उसका क्या सिला दिया?
रॉकेटरी को 4.5 स्टार।

 

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First published on: Jul 01, 2022 03:33 PM