Byline Ashwini Kumar: हिंदुस्तान में जब तक अनपढ़ सेंसर बोर्ड है, तब तक अच्छे सिनेमा पर कैंची चलती रहेगी। कुल 27 बदलाव करके सेंसर बोर्ड ने ओह माय गॉड 2 (Oh My God 2 Review) से भगवान को निकालने की पूरी कोशिश की, लेकिन अच्छी कहानियां अपनी मंजिल ढूंढ ही लेती है।
वैसे भी ओह माय गॉड 2 के बारे में आप बहुत सारी कहानियां सुना सकते हैं, जैसे कि अक्षय कुमार (Akshay Kumar) ने ये फिल्म तब साइन की, जब वो कोरोना से जूझ रहे थे। इस हौसले भरी कहानी को सुनाने के लिए अमित रॉय को साइन करना एक और बड़ा फैसला था, जो इससे पहले रोड टू संगम और तिंग्या जैसी कमाल की, लेकिन कम पॉपुलर फिल्में बना चुके थे। इन सब मुश्किलों के बाद भी ओह माय गॉड को थियेटर में देखने वालों के कम से कम ऐसे 10 मौके आते हैं, जब पूरा थियेटर तालियों से गूंजने लगता है।
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फिल्म में सेक्स एजुकेशन के अभाव के बारे में बताया है
ओह माय गॉड2 हमारे एजुकेशन सिस्टम में रिफॉर्म की बात करता है। भारत में सेक्स एजुकेशन के अभाव में, इसकी शर्मिंदगी और इससे जुड़े अपराधों पर पूरी दलीलों के साथ बात करता है और यकीन मानिए कि पूरी फिल्म देखते हुए, जिन बातों को आप अपने परिवार के साथ आज तक नहीं कर पाए, उन्हें ये फिल्म साथ में दिखाने का आप मन बना लेंगे।
जानें क्या है फिल्म की कहानी ? (Oh My God 2 Review)
ओह माय गॉड 2 कहानी हैं – कांति शरण मुदगल की, जो महादेव का अनन्य भक्त तो है ही, साथ ही एक ज़िम्मेदार पिता है। उज्जैन के महाकाल मंदिर में कांति शरण पूजा के सामानों वाली एक दुकान चलाता है और भगवान शिव को अपने दिल में बसाए रहता है। मगर एक दिन अचानक कांति शरण के परिवार पर मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ता है, पता चलता है कि उसका बेटा, यौन वर्धक दवाएं लेकर हस्तमैथुन करते हुए बेहोश हो गया।
फिल्म पर चल चुकी है सेंसर बोर्ड की कैंची
ओह माय गॉड 2 की जिस कहानी को लेकर बाहर हंगामा मचा हुआ है, सेंसर की कैंची रुकने का नाम नहीं ले रही थी, फिल्म रिलीज के 10 दिन पहले तक सेंसर में अटकी रही थी, वैसा ही हंगामा इस मुद्दे पर फिल्म के अंदर भी चलता है। कांति के नाबालिग बेटे को स्कूल से बाहर निकाल दिया जाता है, कांति की दुकान और घर छिन जाते हैं। ऐसे में अपने भक्त को सही राह दिखाने भोलेनाथ खुद आते हैं। सेंसर के हंगामे के बाद भगवान शिव को, उनके गण में बदल दिया गया। लेकिन कहानी अपना असर नहीं खोती।
कांति, बेटे के सम्मान, स्कूल में बच्चों की बुलिंग और सेक्स एजुकेशन के अभाव में अपने बच्चे का केस हाईकोर्ट तक लेकर जाता है, जहां स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन कांति के सामने धाकड़ एडवोकेट कामिनी माहेश्वरी है। कामिनी के साथ, बेटे के सम्मान और स्कूल में अपने बच्चे के दोबारा एडमिशन करने करवाने की मांग लेकर, भोलेनाथ के दिखाए रास्ते से लेकर ये केस लड़ता है।
कॉमेडी और सस्पेंस से भरपूर है फिल्म
यकीन मानिए स बेहद मुश्किल कहानी को राइटर डायरेक्टर अमित रॉय ने इतनी खूबी से पिरोया है कि 2 घंटे 36 मिनट की इस फिल्म के हर सीन पर आपका सिर हामी में मिलेगा, आप हंसेंगे, हैरत में पड़ेंगे और फिर सोचेंगे कि जिस भारत के कामसूत्र को दुनिया फॉलो करती है, वहां के मंदिरों में संभोग की मुद्राएं गुदी हुई है, उसी भारत देश के लोग आखिर खुद सेक्स एजुकेशन के नाम पर नज़रें चुराने लगते हैं। आपको अहसास होता है कि अंग्रेजों के बनाए एजुकेशन सिस्टम के चलते हम कितना पीछे चले गए हैं।
फिल्म के कलाकारों के हौसले को सलाम (Oh My God 2 Review)
बिलाशक ओह माय गॉड 2 एक डेयरिंग फिल्म है, जिसे सोचना, लिखना, बनाना और उसमें काम करना सब कुछ किसी बड़े रिस्क से कम नहीं है। मगर अक्षय कुमार ने ये हौसला दिखाया है। अमित राय ने ये कोशिश की है, पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) ने हौसला जुटाया है, यामी गौतम (Yami Gautam) ने हाथ बढ़ाया है। काम इनका इतना शानदार है कि इस हौसले के लिए, इस शानदार फिल्म के लिए, इतनी बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए, कोर्ट रूम में बेबाक बहस के लिए तालियां बजती रहनी चाहिए।
फिल्म को मिली है अच्छी रेटिंग
साथ ही सेंसर बोर्ड को रिवाइज करने का वक्त आ गया है, क्योंकि चंद महीनों में फिल्मों की रेटिंग करने वाली इस संस्था ने दिखाया है, कि उनकी सोच और काबिलियत इस काबिल नहीं, कि वो फिल्मों को उनके मेरिट पर जज कर पाएं। फिल्म ओह माय गॉड 2 4.5 मिले हैं तो आप इसे देखिए, दिखाइए।