Sanjay Kapoor Property Row: बॉलीवुड एक्ट्रेस करिश्मा कपूर इन दिनों अपने पूर्व पति, दिवंगत बिजनेसमैन संजय कपूर, के संपत्ति विवाद को लेकर लगातार सुर्खियों में है. इस विवाद से निपटने के लिए एक्ट्रेस करिश्मा कपूर ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है. इसमें उन्होंने संजय कपूर की संपत्ति में अपने बच्चों के वाजिब हक की मांग की है. वहीं, संजय कपूर की विधवा पत्नी प्रिया सचदेव ने भी दिल्ली हाई कोर्ट में इस विवाद को लेकर याचिका दायर की है. संजय कपूर के संपत्ति विवाद ने साबित कर दिया है कि कई शादियों और उनसे होने वाले बच्चों की वजह से उत्तराधिकार की लड़ाई कितनी पेचीदा हो जाती है. चलिए जानते हैं कि ऐसे मामलों में भारत का उत्तराधिकार कानून क्या कहता है? धर्म पर निर्भर करता है कानून भारत के उत्तराधिकार कानून में ऐसे मामलों का जवाब मरने वाले व्यक्ति के धर्म पर काफी हद तक निर्भर करता है. अगर मृतक व्यक्ति सिख, जैन, बौद्ध, या हिंदू है, तो इस पर हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 लागू होगा. इस अधिनियम के तहत मृतक की संपत्ति का वारिस क्लास 1 के रिश्ते को रखा गया है, जिसमें पत्नी या पति, बच्चे और मां शामिल हैं. इन सभी का मृतक की संपत्ति में बराबर हक है. वहीं, अगर मरने वाले व्यक्ति की कोई वसीयत है, तो सबसे पहले भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 के तहत उस वसीयत की जांच की जाती है. यह भी पढ़ें: Sanjay Kapoor Property Dispute: दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वीकार की प्रिया कपूर की याचिका, संजय की वसीयत में होगा बदलाव संपत्ति बांटने की खास व्यवस्था भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 में ईसाई, पारसी और यहूदी धर्म के लोगों के लिए संपत्ति बांटने की खास व्यवस्था दी गई है, जिसमें मृतक व्यक्ति के पत्नी या पति, बच्चे और माता-पिता के बीच संपत्ति बांटी जाती है. वहीं मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए ऐसे मामले में पर्सनल कानून लागू होता है। इसके तहत मृतक व्यक्ति की संपत्ति का बंटवारा पति/पत्नी, बेटे-बेटियां, माता-पिता और बाकी करीबी रिश्तेदारों के बीच किया जाता है. View this post on Instagram A post shared by Karisma Kapoor (@therealkarismakapoor) संपत्ति के उत्तराधिकारी का दावा कई कोर्ट द्वारा भी साफ किया जा चुका है कि मृतक व्यक्ति की संपत्ति पर सिर्फ उसकी कानूनी तौर पर शादीशुदा पत्नी/पति ही उत्तराधिकारी होने का दावा कर सकते हैं. अगर मृतक का अपने पहले पार्टनर से तलाक हो गया है तो वह उसकी संपत्ति के उत्तराधिकारी होने का दावा नहीं कर सकता. यह भी पढ़ें: Karishma Kapoor के बच्चों को पिता संजय की प्रॉपर्टी में नहीं मिला हिस्सा? विवाद पर क्या है अपडेट बच्चों में कोई भेदभाव नहीं इसी तरह हिंदू उत्तराधिकारी कानून के तहत तलाक लिए बिना दूसरी शादी करना पूरी तरह से अवैध है. इसलिए बिना तलाक के दूसरी पत्नी को मृतक की विधवा नहीं माना जाता है और ना ही उसकी संपत्ति पर उसका कोई अधिकार होता है. हालांकि, इस शादी से होने वाले बच्चे का पिता की संपत्ति पर बराबर हक होता है. हिंदू उत्तराधिकारी कानून मृतक के बच्चों में कोई भेदभाव नहीं करता, फिर चाहे वो किसी भी शादी से हुए हों.